बजट 2021-22: संतुलन के साथ संजीवनी

बजट 2021-22: संतुलन के साथ संजीवनी

बजट 2021-22: संतुलन के साथ संजीवनी

फोटो स्रोत: PixaBay

सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए केंद्रीय बजट से देशभर को अनेक आशाएं थीं। इनमें से कई पूरी हुईं, कुछ पर संतोष हुआ, बाकी पर उम्मीद है कि वे भविष्य में पूरी होंगी। हर बजट में सुधार की गुंजाइश तो होती ही है और इससे प्रत्येक व्यक्ति संतुष्ट हो जाए, ऐसा संभव नहीं है। यह बजट कोरोना महामारी के प्रभावों से जूझ रही अर्थव्यवस्था को विभिन्न क्षेत्रों में संतुलन बनाकर चलते हुए संजीवनी देता प्रतीत होता है। पिछले साल से कई मोर्चों पर सरकार के सामने आर्थिक चुनौतियां पसरी हुई हैं। उन सबके लिए धन का प्रबंध करना टेढ़ी खीर है। अब चूंकि कोरोना टीकाकरण शुरू हो गया तो उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले समय में हालात सुधरेंगे।

बजट इस लिहाज से भी खास रहा क्यों​कि यह डिजिटल था। सरकार को ऐसी ही पहल अन्य क्षेत्रों में भी करनी चाहिए। चूंकि सालभर से स्वास्थ्य रक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता में है तो वित्त वर्ष 2021-22 में स्‍वास्‍थ्‍य और खुशहाली के लिए 2,23,846 करोड़ रुपए का व्‍यय रखा गया है। यह 137 प्रतिशत वृद्धि है। साथ ही कोविड-19 टीके के लिए 35,000 करोड़ रुपए का प्रावधान प्रासंगिक है।

सरकार ने वायु प्रदूषण की समस्‍या को गंभीरता से लिया है। इससे निपटने के लिए 10 लाख से ज्यादा जनसंख्‍या वाले 42 शहरी केंद्रों के लिए 2,217 करोड़ रुपए उपलब्ध कराए जाएंगे लेकिन इतना ही काफी नहीं होगा। जब तक जनता को इस पहल से नहीं जोड़ा जाएगा, पर्यावरण निर्मल नहीं हो सकता। लॉकडाउन में हमने देखा कि प्रदूषण किस तरह कम हुआ था। अब जरूरत है कि अर्थव्यवस्था को गति देते हुए पर्यावरण सुधार के प्रयास किए जाएं। सड़क एवं राजमार्ग मंत्रालय को 1,81,101 लाख करोड़ रुपए का अब तक का सबसे ज्यादा आवंटन देश में सड़कों का जाल बिछाने में मदद करेगा। इसके दूरगामी लाभ होंगे। 278 किलोमीटर के बेंगलूरु-चेन्नई एक्सप्रेस-वे से लोगों को आवाजाही में आसानी होगी। इसी प्रकार चेन्नई-सेलम गलियारे के निर्माण से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी।

लॉकडाउन में रेलवे ने गांव-गांव तक खाद्यान्न पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दिसंबर 2023 तक ब्रॉड-गेज मार्गों पर शत-प्रतिशत विद्युतीकरण पूरा करने का लक्ष्य प्राप्त कर लिया जाता है तो इससे बड़ी सुविधा होगी। ‘वन नेशन, वन राशन कार्ड’ से प्रवासी कामगारों को सर्वाधिक लाभ होगा।

बजट में करदाताओं को छूट मिलने की आस थी। वहीं, 75 वर्ष की आयु और उससे अधिक के वरिष्‍ठ नागरिकों को आयकर दाखिल करने से राहत दी गई है। कर संबंधी विवादों को कम करने और समाधान प्रक्रिया आसान बनाने के लिए भी कुछ कदम उठाए गए हैं। मामलों को दोबारा खोलने की समय सीमा घटाकर छह साल से तीन साल की गई है। गंभीर मामलों में जहां एक साल में 50 लाख या उससे ज्यादा की आय छिपाने के सबूत मिलते हैं, उसमें संबंधित आकलन को 10 साल तक दोबारा खोला जा सकता है। हालांकि यह करने के लिए प्रधान मुख्‍य आयुक्‍त का अनुमोदन जरूरी होगा। राष्‍ट्रीय फेसलेस आयकर अपीलीय ट्रिब्‍यूनल केंद्र स्‍थापित होने से आयकर दाताओं में व्यवस्था के प्रति विश्वास जगेगा।

अप्रवासी भारतीयों के लिए विदेश से सेवानिवृत्ति होने के बाद स्वदेश लौटने पर आय से संबंधित मुद्दों को सुलझाने के लिए नियमों के सरलीकरण से उनके लिए आसानी होगी। इससे देश को उनकी प्रतिभा का लाभ मिलेगा। कोरोना काल में अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा डिजिटल हुआ है। सरकार ने डिजिटल लेन-देन के लेखापरीक्षा की सीमा 5 करोड़ रुपए से लेकर 10 करोड़ रुपए तक बढ़ाई है। इसका लाभ उन्हें मिलेगा जो 95 प्रतिशत लेन-देन डिजिटल तरीक से करते हैं। यह कदम डिजिटल को प्रोत्साहित करेगा।

बजट में मेहनतकश लोगों के घर के सपने को साकार करने के लिए ऋण के ब्‍याज में 1.5 लाख रुपए तक की छूट का प्रावधान 31 मार्च, 2022 तक बढ़ाया जाना राहत देगा। सस्‍ते घर की योजना के तहत कर छूट का दावा करने के लिए पात्रता की समय-सीमा में बढ़ोतरी कर इसे 31 मार्च, 2022 तक करने से बड़ी संख्या में लोगों को लाभ होगा। हालांकि मोबाइल चार्जर के भाग और मोबाइल फोन के कुछ अन्य भागों से छूट समाप्त करने के फैसले ने युवाओं को कुछ मायूस भी किया। महामारी में कई अवरोधक पार कर चुके भारतवासियों के लिए रवींद्रनाथ टैगोर के इन शब्दों से ज्यादा प्रासंगिक और क्या हो सकता है जिनका जिक्र वित्त मंत्री ने भी किया: ‘विश्‍वास वह चिड़िया है जो प्रकाश की अनुभूति करती है और तब गाती है जब भोर में अंधेरा बना ही रहता है।’

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