संतान को संपत्ति से बेदखल कर सकते हैं मातापिता

संतान को संपत्ति से बेदखल कर सकते हैं मातापिता

विशेष संपादकीय

संतानों के अमानवीय व्यवहार के चलते न्यायिक व्यवस्थाओं के माध्यम से कानूनी प्रावधानों का दायरा बढ़ा दिया गया है। अब वृद्ध माता-पिता तथा वरिष्ठ नागरिक ऐसी संतानों को अपने मकान से बेदखल कर सकते हैं।

मां-बाप के त्याग, उनकी ममता और खामोशी को कमजोरी समझने वाली संतानों को रोहतक प्रशासन का उदाहरण ध्यान में रखना चाहिए। तीन बेटों को पालने-पोसने और उनके लिए घर बनवाने वाले पिता को मारपीट कर बेघर करने वाले बेटों को ही यहां जिला प्रशासन ने बेघर कर दिया है। रोहतक के जिलाधीश के हस्तक्षेप के बाद प्रशासन ने वसंत विहार कालोनी के डीएफओ पद से सेवानिवृत्त मनफूल व उनकी पत्नी बिमला देवी को घर की चाबी सौंप दी। संवेदनहीन संतानों की करतूत तो देखिए कि तीन बेटों को प़ढा-लिखाकर, शादी करवाकर और तीनों को मकान बनाकर देने के बावजूद बू़ढे मां-बाप से दुर्व्यवहार किया गया। दरअसल, आत्मकेंद्रित-स्वार्थी संतानें मां-बाप के त्याग व बलिदान को अपना अधिकार मान बैठती हैं। यहां तक तो ठीक है मगर उनसे दुर्व्यवहार और उन्हें बेघर करना अमानवीय ही है। यह घटना उन संतानों के लिए सबक है जो निरंकुश व्यवहार से मां-बाप का जीवन नरक बना देते हैं। यह घटनाक्रम उन मां-बाप का हौसला ब़ढाने वाली है जो बच्चों के जुल्म चुपचाप सह रहे हैं। सवाल यह उठता है कि कैसे कोई संतान इतनी एहसान फरामोश हो सकती है कि खून-पसीने से कमाई कर अपनी संतानों के लिए धन जुटाने वाले मां-बाप को उस उम्र में (बु़ढापे में) बेघर कर दे जब उन्हें संतानों के संरक्षण की सबसे ज्यादा जरूरत होती है? यह घटना तमाम बुजुर्गों को राहत और हौसला देने वाली है कि यदि उनके साथ संतानों द्वारा ऐसा अन्याय होता है तो उसे बर्दाश्त करने के बजाय प्रशासन और न्यायालय की शरण लें। उनके संरक्षण के लिए देश में तमाम कानूनी प्रावधान हैं।यह विडंबना ही है कि देश में वृद्ध माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों से दुर्व्यवहार, उपेक्षा, मारपीट और प्रता़डना के मामले लगातार ब़ढ रहे हैं। इसके साथ ही कलियुगी संतानों द्वारा पैतृक संपत्ति से मां-बाप को बेदखल करने की घटनाएं भी ब़ढी हैं। दरअसल, परिवारों में वरिष्ठ नागरिकों को बेकद्री व अन्याय से मुक्त कराने के लिए ही तत्कालीन सरकार ने वर्ष २००७ में माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण और कल्याण कानून बनाया था। इस अपराध के लिए तीन माह की कैद और पांच हजार रुपए के जुर्माने का प्रावधान है लेकिन संतानों के अमानवीय व्यवहार के चलते न्यायिक व्यवस्थाओं के माध्यम से कानूनी प्रावधानों का दायरा ब़ढा दिया गया है। अब वृद्ध माता-पिता तथा वरिष्ठ नागरिक ऐसी संतानों को अपने मकान से बेदखल कर सकते हैं। वरिष्ठ नागरिकों की संपत्ति के संरक्षण के अधिकार का ही एक हिस्सा संतानों की मकान से बेदखली भी है। यही नहीं, कुछ समय पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने अपनी एक व्यवस्था में कहा था कि भरण पोषण न्यायाधिकरण को पिता से दुर्व्यवहार करने वाली वयस्क संतान को घर से बेदखल करने का आदेश देने का अधिकार है।

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