प्रदूषण से लड़ना सबकी जिम्मेदारी

प्रदूषण से लड़ना सबकी जिम्मेदारी

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में इन दिनों प्रदूषण इतना ज्यादा हो गया है कि उच्चतम न्यायलय ने न केवल दिल्ली सरकार, बल्कि केंद्र सरकार को भी फटकार लगाई है साथ ही पंजाब और हरियाणा की सरकारों को भी नसीहत दी गई है। दिल्ली का हाल बहुत बुरा है। सांस लेते ही वायु प्रदूषण से लोगों का दम घुटने लगता है।
जहॉं एक तरफ पर्यावरण की अवहेलना हो रही है वहीँ दूसरी और सुधार की कोशिशें भी चल रही हैं। कुछ तथ्य सामने आए हैं कि हमने प्रदूषण के ग्राफ को थोड़ा झुकाया है, लेकिन इतना पर्याप्त नहीं है। दिल्ली के वासियों को यह ध्यान रखना होगा कि अपने सामूहिक रोष के बावजूद उन्हें यह नहीं भूलना चाइये की शहर में प्रदुषण की स्थिति सुधरने की जिम्मेदारी उनकी भी है। सबको अपना ध्यान सुधार की और केंद्रित रखने की आवश्यकता है। यह एक ऐसा मोर्चा है, जहां सुधार साफ देख सकते हैं और सहज ही यह भी जान सकते हैं कि क्षेत्र में प्रदूषण में कमी आयी है की नहीं। स्थिति गंभीर है। जनता को इस बात पर अब दृढ़ता के साथ ध्यान केंद्रित करना चाहिए कि उन्हें सांस लेने के अधिकार से किसी प्रकार का समझौता करना है या नहीं।
इस बात पर ध्यान देने कि आवश्यकता है कि आखिर हुआ क्या है? सबसे पहले तो वायु गुणवत्ता की स्थिति और उसका जनता के स्वास्थ्य से संबंध के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ने की आवश्यकता है। कुछ साल पहले, सरकार ने वायु गुणवत्ता सूचकांक की शुरुआत की थी, जिसमें लोगों को बताया गया था कि प्रदूषण के प्रत्येक स्तर का जनता के स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है। हमारे देश में बड़ी संख्या में वायु गुणवत्ता जांचते रहने के लिए वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन स्थापित किये गए हैं।
यह सूचना सांस-दर-सांस उपलब्ध है, हमारे फोन पर हमारे सामने। हम जानते हैं कि सांस लेना कब विषाक्त होता है। आज हम प्रदूषण के बारे में जानते हैं और रोष में हैं। पर यह भी स्पष्ट हो जाना चाहिए, स्टेशनों का यह नेटवर्क देश के अनेक हिस्सों में मौजूद है या नहीं। अधिकांश शहरों में एक या दो निगरानी केंद्र ही हैं, इसलिए ज्यादातर लोग इस बारे में नहीं जानते हैं, लेकिन दिल्ली में जहरीली हवा अब एक राजनीतिक मुद्दा बन चुकी है। ज्यादातर राजनीतिक दल सुधार की कोशिशों का श्रेय लेने की होड़ में उलझे हैं और एक दूसरे पर आरोप लगते नहीं थक रहे हैं।
अगर आप वायु गुणवत्ता के डाटा पर गौर करें तो यह सामने आता है की स्मॉग का सालाना समय घट रहा है, यह समय देर से शुरू हो रहा है और जल्दी खत्म हो रहा है। दूसरी बात, वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्र आठ वर्ष से सक्रिय हैं और उनके आंकड़ों के अनुसार, यदि तुलना करें, तो प्रदूषण में गिरावट का रुख दिखता है। पहले के तीन वर्षों से तुलना करें, तो पिछले तीन वर्षों में करीब 25 प्रतिशत की कमी आई है। सभी निगरानी केंद्रों से प्राप्त आंकडे़ इसकी तस्दीक करते हैं। यह एक अच्छी खबर है। प्रदूषण में कमी हुई है, लेकिन स्थिति फिर भी ठीक नहीं है। हमें प्रदूषण को और 65 प्रतिशत कम करना होगा, ताकि हमें जैसी वायु चाहिए, वैसी मिल सके।

Tags:

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download

Latest News

श्रद्धा कपूर की पहली फिल्म की वह घटना, जब वे बोलीं- 'मुझे काम पर नहीं जाना!' श्रद्धा कपूर की पहली फिल्म की वह घटना, जब वे बोलीं- 'मुझे काम पर नहीं जाना!'
Photo: shraddhakapoor Instagram account
चुनाव आयोग ने झारखंड और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा की
अग्निवीरों की पैराशूट रेजिमेंट की पासिंग आउट परेड हुई
बाबा सिद्दीकी मामले में एक और शख्स को गिरफ्तार किया गया
केरल: मुख्यमंत्री ने की घोषणा- ऑनलाइन पंजीकरण के बिना भी कर सकेंगे सबरीमाला में दर्शन
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने नीलामी बोलियों को खारिज करने के बीडीए के अधिकार को बरकरार रखा
एयर मार्शल विजय गर्ग ने वायुसेना स्टेशन के उपकरण डिपो का दौरा किया