दिनाकरण और स्टालिन ने केन्द्र सरकार पर लगाए आरोप

दिनाकरण और स्टालिन ने केन्द्र सरकार पर लगाए आरोप

चेन्नई। द्रवि़ड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन और अखिल भारतीय अन्ना द्रवि़ड मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) से दरकिनार नेता टीटीवी दिनाकरण ने बुधवार को केन्द्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार पर निशाना साधा। दिनाकरण ने कहा कि केन्द्र सरकार राज्य के प्रशासन में राज्यपाल के माध्यम से हस्तक्षेप कर रही है क्योंकि मौजूदा राज्य सरकार कमजोर है।बुधवार को स्टालिन ने एक बयान जारी कर कहा कि तमिलनाडु में राज्यपाल के पास उस तरह का अधिकार नहीं है जिस प्रकार का अधिकार पुदुच्चेरी के लेफ्टीनेंट गवर्नर के पास होता है लेकिन केन्द्र सरकार राज्यपाल के माध्यम से राज्य पर शासन करने की उम्मीद लगाए बैठी है। उन्होंने कहा कि मौजूदा राज्य सरकार की प्रशासनिक क्षमताएं कमजोर होने के कारण केन्द्र सरकार इसका फायदा उठाने की कोशिश कर रही है। राज्य सरकार को राज्य से संबंधित सभी समस्याओं में केन्द्र सरकार से विचार विमर्श करने का प्रयास छो़डकर अपने स्तर पर कार्य करने की जरुरत है।टीटीवी दिनाकरण ने बुधवार को ट्वीटर पर श्रृंखलाबद्ध ढंग से ट्वीट करते हुए केन्द्र शासित प्रदेश पुदुच्चेरी और नई दिल्ली तथा तमिलनाडु के प्रशासन के बीच अंतर बताने की कोशिश की। उन्होंने अपने एक ट्वीट में लिखा कि नई दिल्ली और पुदुच्चेरी जैसे केन्द्र शासित प्रदेशों में लेफ्टीनेंट गवर्नर के हस्तक्षेप के कारण वहां का प्रशासन पूरी तरह से लकवाग्रस्त हो गया और अब ऐसा लग रहा है कि तमिलनाडु के साथ भी ऐसा ही होने वाला है। ऐसा लगता है कि संविधान के खिलाफ किसी राज्य के मामलों में हस्तक्षेप करने का यह भाजपा का तरीका है।ज्ञातव्य है कि राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने मंगलवार को राजभवन में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री सहित राज्य के अन्य मंत्रियों के साथ राज्य के विकास कार्यों की समीक्षा के लिए एक बैठक बुलाई थी। दिनाकरण ने इस बैठक पर तंज कसते हुए कहा कि लगता है कि यह बैठक पलानीस्वामी को वापस घर भेजने से पहले बुलाई गई बैठक थी। राज्यपाल द्वारा समीक्षा बैठक बुलाने से यह स्पष्ट होता है कि राज्य में अम्मा (जयललिता) की सरकार नहीं है। अगर जयललिता होतीं तो वह किसी भी हाल में इस प्रकार की बैठक नहीं हो पाती क्योंकि अन्नाद्रमुक का सिद्घांत सभी स्तर पर राज्य की स्वायत्तता को बरकरार रखना था।उन्होंने आरोप लगाया कि अगर अपने आप को बचाने के लिए ईडाप्पाडी के पलानीस्वामी को राज्य को भी गिरवी रखना प़ड जाए तो वह इससे भी नहीं हिचकिचाएंगे। उन्होंने राष्ट्रीय योग्यता सह अर्हता प्रवेश परीक्षा (नीट) से छूट मिलने से लेकर अभी तक एक-एक कर राज्य के अधिकार खोए हैं। यह काफी शर्मनाक है कि राज्य के मंत्रियों ने राज्यपाल द्वारा की गई राज्य के विकास की समीक्षा का स्वागत किया है। इसके लिए सिर्फ मुख्यमंत्री जिम्मेदार हैं और वह सिर्फ अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।स्टालिन ने कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने कहा था कि देश में निर्वाचित सरकार संसदीय लोकतंत्र के अनुरुप शक्तिशाली होगी। उन्होंने पूर्व केन्द्रीय कानून मंत्री और संविधान के रचयिता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के कथन का संदर्भ देते हुए कहा है कि उन्होंने कहा था देश में राज्यपाल का पद एक ऐसा पद होगा कि राज्यपाल सिर्फ केन्द्र सरकार के प्रतिनिधि होंगे। उन्होंने कहा कि द्रमुक का मानना है कि राज्यपाल पद की कोई आवश्यकता ही नहीं है। द्रमुक नेता ने कहा कि राज्यपाल को पलानीस्वामी सरकार को विश्वासमत लाने के लिए कहना चाहिए क्योंकि राज्य सरकार के खिलाफ गुटखा घोटाला और मतदाताओं को रिश्वत देने सहित कई प्रकार की शिकायतें लंबित हैं। इन शिकायतों पर कार्रवाई करने के बदले राज्यपाल राज्य के प्रशासनिक कार्यों में हस्तक्षेप करना शुरु कर दिया है।

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