सरकार फिल्म उद्योग के प्रतिनिधियों से करेगी बातचीत : वेलूमणि

सरकार फिल्म उद्योग के प्रतिनिधियों से करेगी बातचीत : वेलूमणि

चेन्नई। गुरुवार को राज्य के सिनेमा थियेटर मालिकों द्वारा आहूत अनिश्चितकालीन ह़डताल का मुद्दा विधानसभा में भी उठाया गया। पिछले चार दिनों से तमिल फिल्म उद्योग के समर्थन में सिनेमा थियेटरों पर ताले प़डे हुए हैं। तमिल फिल्म उद्योग के प्रतिनिधियों का यह कहना है कि जब तक सरकार उनकी ओर से रखी गई दो मांगों को स्वीकार नहीं करती है तब तक वह अपनी ह़डताल समाप्त नहीं करेंगे। गुरुवार को विधानसभा में राज्य के ग्रामीण विकास एवं विशेष कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्री एसपी वेलूमणि ने कहा कि तमिल फिल्म उद्योग केे प्रतिनिधियों से एब बार फिर से बातचीत की जाएगी। विधानसभा में राज्य के सिनेमा थियेटरों द्वारा की जा रही ह़डताल का मुद्दा मुख्य विपक्षी पार्टी द्रवि़ड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने प्रश्नकाल के दौरान उठाया। वेलूमणि ने कहा कि मनोरंजन कर राज्य के स्थानीय को प्राप्त होने वाले राजस्व के प्रमुख स्रोत हैं। इसके अभी तक राज्य टैक्स के रुप में वसूला जाता था और इससे प्राप्त होने वाले राजस्व को स्थानीय निकाय को स्थानांतरित कर दिया जाता था। उन्होंने कहा कि अब पूरे देश में जीएसटी लागू होने के बाद इसे राज्य टैक्स के रुप में प्राप्त करने से समस्या हो सकती है इसलिए एक विधेयक पारित कर इसे स्थानीय निकाय के अधीन लाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि जीएसटी और मनोरंजन को दो अलग-अगल टैैक्स के रुप में नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि दोनों अलग-अलग चीजें हैं। वेलूमणि ने विधानसभा केा बताया कि इस विषय पर विचार विमर्श करने के बाद मुख्यमंत्री कोई अच्छा निर्णय लेंगे। वेलूमणि ने कहा कि अगर मनोरंजन कर को पूरी तरह से समाप्त किया जाता है तो स्थानीय निकायों के समक्ष राजस्व की काफी कमी हो जाएगी।इससे पूर्व द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने विधानसभा में कहा कि कमल हासन और रजनीकांत जैसे अभिनेताओं ने इस मुद्दे पर अपनी चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को केरल और पश्चिम बंगाल का उदाहरण लेना चाहिए जिन्होंने अपने राज्यों में मनोरंजन टैक्स को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से इस गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में समुचित कदम उठाया जाना चाहिए क्योंंकि यह सिर्फ मनोरंजन से जु़डा मामला नहीं है फिल्म उद्योग से राज्य के हजारों लोग जु़डे हुए हैं और यदि इसी प्रकार से सिनेमा घर बंद रहते हैं और फिल्में रिलीज नहीं होती है तो इस उद्योग से जु़डे लोगों की आजीविका पर संकट मंडरा सकता है।

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