केरल ने लगाया दलित पुजारियों का “छक्का’, तोड़ा सदियों पुराना जातिगत बंधन!

केरल ने लगाया दलित पुजारियों का “छक्का’, तोड़ा सदियों पुराना जातिगत बंधन!

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त्रावणकोर। केरल प्रांत में पहली बार दलितों का चयन पुजारी के रुप में हुआ है। त्रावणकोर देवस्वोम (मंदिर) नियुक्ति बोर्ड ने एतिहासिक निर्णय लेते हुए दलित समुदाय के छह लोगों को पुजारी बना दिया है। गुरुवार को जारी हुई बोर्ड की सूची में गैर-ब्राह्मण 36 लोगों के नाम भी इसमें शामिल है। हालांकि बोर्ड ने इससे पहले भी गैर-ब्राह्मणों को पुजारी बनाया हैं। 62 पुजारियों की जारी हुई इस सूची में मात्र 26 पुजारी ही ब्राह्मण समुदाय से हैं।

बताया जाता है इन पुजारियों का चयन लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के जरिए हुआ है जिसका मॉडल राज्य लोक सेवा आयोग की तरह है। बोर्ड के इस निर्णय का थोड़ा प्रतिरोध होने की आशंका भी जताई जा रही है।

उधर ऑल इंडिया ब्राह्मण फेडरेशन के अक्कीरमन कालिदासन भट्‌टाथिरीपद के मुताबिक वे मंदिरों में गैर-ब्राह्मणों के पुजारी बनाए जाने के विरुद्ध तो नहीं है, किंतु एक ऐसा सिस्टम होना चाहिए जो कि यह सुनिश्चित करे कि जिनका चयन हो रहा है उन्हें तंत्र-मंत्रों की जानकारी है। अक्कीरमन के अनुसार यह नियुक्तियां पूरी तरह से ज्ञान और मंदिरों के विश्वास पर होनी चाहिएं न कि आरक्षण के नियमों का पालन करने के लिए।

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केरल पुलयार महासभा के अध्यक्ष टीवी बाबू ने इस फैसले को क्रांतिकारी कदम बताया है तो मलयाला ब्राह्मण समाजम्‌ के अध्यक्ष एन अनिल कुमार के मुताबिक मंदिरों में आरक्षण से मंदिरों की पवित्रता को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है। पुजारी कोई एक पद भर नहीं है अपितु एक रस्म है। वर्तमान निर्णय को नामंजूर करते हुए उन्होंने बताया कि आरक्षण केवल नौकरी के लिए अमल में लाया जा सकता है।

उल्लेखनीय है कि त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड के मंदिरों के लिए रिक्त पदोें हेतु 62 पुजारियों की सूची जारी की गई है, अन्य मंदिरों के लिए भी अगली सूची शीघ्र जारी की जाएगी। बोर्ड के नियंत्रण में 1252 मंदिर हैं तथा पुजारियों की निर्धारित संख्या करीब 2500 है।

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