तमिलनाडु: हर महीने हर घर को धन राशि कैसे मुमकिन?

तमिलनाडु: हर महीने हर घर को धन राशि कैसे मुमकिन?

तमिलनाडु: हर महीने हर घर को धन राशि कैसे मुमकिन?

फोटो स्रोत: PixaBay

चेन्नई/दक्षिण भारत। अपने अंतिम घोषणापत्रों के जारी होने से पहले, अन्नाद्रमुक और द्रमुक ने दृष्टि दस्तावेजों की घोषणा की, जो अत्यधिक जांच का विषय बन गए हैं। ऐसे समय में जब राज्य सरकार के कोष बढ़ते कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं, दोनों पार्टियों ने घोषणा की है कि अगर वे सत्ता में आते हैं तो पूरे तमिलनाडु के घरों की महिला प्रमुखों को 1,000 रुपए (द्रमुक) और 1,500 रुपए (अन्नाद्रमुक) प्रति माह दिए जाएंगे।

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हालांकि यह राशि केवल प्राथमिकता और गैर-प्राथमिकता वाले उन परिवारों को प्रदान की जाएगी, जो अपने राशन कार्ड के माध्यम से वस्तुओं के लिए पात्र हैं, लेकिन तब भी वितरित की जाने वाली अंतिम राशि की संख्या बहुत बड़ी होगी। बता दें कि राज्य में 2.02 करोड़ से अधिक राशन कार्ड हैं, जिनमें से केवल 49,472 ऐसे हैं जो वस्तु-राशन कार्ड नहीं हैं। इसका मतलब है कि घोषित किए गए राशियों के लिए 2,01,81,922 कार्ड धारक पात्र हो सकते हैं।

द्रमुक के लिए इसका अर्थ होगा प्रति वर्ष प्रति घर 12,000 रुपए का व्यय, जो एक वर्ष में 24,000 करोड़ रुपये से अधिक होगा। वहीं अन्नाद्रमुक के लिए, यह राशि सालाना 36,000 करोड़ रुपये से अधिक होगी।

फरवरी में, तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम द्वारा राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले पेश किए गए अंतरिम बजट में राज्य के घटते वित्त पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव को दर्शाया गया था। जानकारी के अनुसार 2020-21 के लिए एक बड़े राजस्व और राजकोषीय घाटे के अलावा, इस साल होने वाला ऋण भी 5,000 करोड़ को पार करने की उम्मीद है।

अन्नाद्रमुक मंत्री मफोई पंडियाराजन इस बीच कहते हैं कि सरकारी खर्च की बड़ी योजना में, परिवारों के लिए वादा की गई राशि को संभालना मुश्किल नहीं है। यह सामाजिक न्याय योजना के तहत प्रत्यक्ष लाभ देने का एक और तरीका है। अगर आप सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को देखें, तो निराश्रित महिलाओं और बुजुर्गों सहित कम से कम 35 लाख लोगों को 1000 रुपये पेंशन मिलती है।

हमने इस योजना को सूची में सिर्फ 8 लाख लोगों के साथ शुरू किया था, लेकिन यह काफी बढ़ गया। अनुमान के अनुसार प्रत्यक्ष धन वितरण (हाल ही में घोषित लाभ के लिए) की राशि 36,000 करोड़ रुप. तक आएगी और वादा किए गए गैस सिलिंडर के साथ, कुल 41,000 करोड़ रुपए का खर्च होगा। मौजूदा सामाजिक न्याय खर्चों से जोड़कर देखें, तो इसमें ऐसा कुछ नहीं है जो करना असंभव होगा।

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