स्टालिन की अध्यक्षता में द्रमुक ने बुलाई बैठक

स्टालिन की अध्यक्षता में द्रमुक ने बुलाई बैठक

चेन्नई। गुरुवार को अन्ना सालै स्थित द्रवि़ड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के मुख्यालय अन्ना अरिवालयम में पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन के नेतृत्व में बैठक बुलाई गई। इस बैठक में पार्टी के विभिन्न जिलों के जिला सचिवों ने हिस्सा लिया। इस बैठक के दौरान पार्टी के भविष्य की रणनीतियों पर चर्चा की गई। सूत्रों के अनुसार इस बैठक में पार्टी के सामने आ रही चुनौतियों से निपटने की चर्चा की गई। पार्टी के पदाधिकारियों के अनुसार राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के निधन के बाद राज्य की राजनीति में एक शून्य पैदा हुआ है और यह स्टालिन के एक मजबूत नेता के रुप में उभर कर सामने आने का सबसे मुफीद मौका है इसलिए पार्टी समय-समय पर अपने पदाधिकारियों के साथ इस प्रकार की बैठकें करती रहती है।पार्टी के जिला सचिवों के अनुसार हालांकि स्टालिन को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया है लेकिन लोगों के दिमाग में पार्टी प्रमुख के रुप में अभी भी करुणानिधि की छवि बरकरार है और पार्टी के कार्यकर्ताओं की यह पूरी कोशिश है कि थलपति (स्टालिन इसी नाम से पार्टी कार्यकर्ताओं में लोकप्रिय हैं) को पार्टी का चेहरा बनाया जाए। इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी से भी निपटने के लिए भी पार्टी तैयारी कर रही है। जयललिता के निधन के बाद अखिल भारतीय अन्ना द्रवि़ड मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) तीन गुटों में बंट चुकी हैं इसके बावजूद भाजपा के समर्थन के कारण सरकार बची हुई है, इसे लेकर भी द्रमुक लगतार मंथन-चिंतन कर रही है। इस बैठक के दौरान स्टालिन ने अपनी पार्टी के जिला सचिवों के साथ पार्टी की प्लेटिनम जयंती मनाने के विषय पर चर्चा की। इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय योग्यता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) के कारण राज्य के विद्यार्थियों पर प़डे प्रभाव के विषय में भी बातचीत की। बैठक में शामिल नेताओं के अनुसार पार्टी निकट भविष्य में होने वाले किसी भी चुनाव के लिए खुद को तैयार कर रही है। इसके लिए सभी जिलों के पदाधिकारियों को तैयारियों में जुटने का निर्देश दिया गया है। पार्टी के कैडरों को नए मतदाताओं और सदस्यों को पार्टी से जो़डने का भी निर्देश दिया गया।ज्ञातव्य है कि जयललिता के निधन के बाद अन्नाद्रमुक के सभी नेता उनके द्वारा किए गए कार्यों को बताने का कार्य कर रहे हैं। इसके साथ ही पार्टी के संस्थापक और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एमजीआर की जन्मशताब्दी को व्यापक ढंग से मनाने का निर्णय लेना भी राज्य में लगातार बिग़ड रही अन्नाद्रमुक की छवि को सुधारने की कोशिश है।ठीक इसी प्रकार से द्रमुक के कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया गया है वह लोगों को करुणानिधि द्वारा किए गए कार्यों के बारे में बताएं। इसके साथ ही सभी जिला सचिवों को यह भी कहा गया है कि वह कैडरों को पार्टी के संस्थापक सीएन अन्नादुरै और द्रविि़डयन क्रांति के जनक माने जाने वाले ईवीआर पेरियार के योगदान और राज्य की राजनीति पर उनके प्रभाव के बारे में लोगांे को जागरुक करने के लिए कहें।

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