माल्या का सवाल- बैंकों से उनकी पेशकश स्वीकार करने को क्यों नहीं कह रहे मोदी?
माल्या का सवाल- बैंकों से उनकी पेशकश स्वीकार करने को क्यों नहीं कह रहे मोदी?
लंदन/भाषा। भगोड़े कारोबारी विजय माल्या ने एक बार फिर से सोशल मीडिया के जरिये भारत सरकार को संदेश दिया है। इस बार माल्या ने अपने संदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसद में संबेाधन का सीधा उल्लेख किया है। माल्या (63) ब्रिटेन सरकार के उनके प्रत्यर्पण आदेश के खिलाफ अपील करने की प्रक्रिया में हैं।
ब्रिटेन सरकार ने माल्या को भारत को सौंपने का निर्देश दिया है जिससे उसके खिलाफ धोखाधड़ी और मनी लांड्रिंग का मामला चलाया जा सके। माल्या ने एक बार फिर अपना यह दावा दोहराया कि वह अब ठप ख़डी किंगफिशर एयरलाइंस के बकाया कर्ज के भुगतान के लिए पैसा सामने रखने को तैयार हैं। बुधवार देर रात कई ट्वीट कर माल्या ने कहा, प्रधानमंत्री के संसद में भाषण पर मेरा ध्यान दिलाया गया है। वह काफी अच्छे वक्ता हैं। मोदी ने बिना नाम लिए कहा है कि एक व्यक्ति 9,000 करोड़ रुपए लेकर भाग गया। मीडिया में जैसी चर्चा चलती है उससे मैं अंदाजा लगा सकता हूं कि वह मेरा उल्लेख कर रहे थे।माल्या ने कहा, अपने पहले के ट्वीट के बाद मैं एक बार फिर से पूरे सम्मान के साथ से प्रधानमंत्री से जानना चाहता हूं कि वह अपने बैंकों को यह निर्देश क्यों नहीं दे रहे हैं कि मैंने जो पैसा मेज पर रखा है वे वह स्वीकार क्यों नहीं करते। इससे वे किंगफिशर को कर्ज के रूप में दिए गए सार्वजनिक धन की पूरी वसूली का श्रेय ले सकते हैं।
माल्या पूर्व में मोदी को पत्र भेजकर कह चुके हैं कि भारत सरकार को उनकी पेशकश स्वीकार करनी चाहिए। उन्होंने फिर कहा कि वह इस तरह की पेशकश कर्नाटक उच्च न्यायालय के समक्ष भी कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि इसे हल्की पेशकश नहीं कहा जा सकता। यह पूरी तरह स्पष्ट, ईमानदारी के साथ की गई पेशकश है। इसे स्वीकार किया जा सकता है।
माल्या ने कहा कि अब स्थिति पहले के उलट है। बैंक किंगफिशर को दिए गए कर्ज को वापस क्यों नहीं लेना चाहते हैं। भारतीय अदालतों में चल रहे मौजूदा घटनाक्रमों पर माल्या ने कहा कि वह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के इस दावे से हैरान हैं कि मैंने अपनी संपत्तियां छिपाई हैं।