बेटियों की बहादुरी: ऐरो इंडिया के मंच पर आसमान से कूदीं पांच महिला ‘वायु योद्धा’
बेटियों की बहादुरी: ऐरो इंडिया के मंच पर आसमान से कूदीं पांच महिला ‘वायु योद्धा’
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। विंग कमांडर आशा ज्योतिर्मसी के नेतृत्व वाली भारतीय वायु सेना की टीम ‘वायु योद्धा’ ने रविवार को शहर के बाहरी हिस्से में स्थित यलहंका के एयरबेस में चल रहे ऐरो इंडिया-2019 के अंतिम दिन रविवार को स्काईडाइविंग का शानदार मुजाहिरा किया। ज्योतिर्मसी की इस टीम ने शो के दौरान 5,000 फीट की छलांग लगाकर यलहंका हवाई क्षेत्र पर अवतरण कर लोगों को हैरत में डाल दिया। विंग कमांडर विशाल लखेश द्वारा प्रशिक्षित, इस टीम ने विमानन क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी का सांकेतिक जश्न मनाया।
सभी पांच निडर महिला स्काईडाइवर्स भारतीय वायुसेना के उड़ान, शिक्षा और तकनीकी विभागों से हैं। विंग कमांडर ज्योतिर्मसी हैदराबाद से आती हैं और 20 दिसंबर, 1997 को एक लेखा अधिकारी के रूप में भारतीय वायु सेना में कमीशन प्राप्त करने से पहले वह एक राष्ट्रीय स्तर की एथलीट थीं। जानकारी के मुताबिक, ज्योतिर्मसी ने वर्ष 1999 में स्काइडाइविंग शुरू की और तब से अब तक वह आसमान की ऊंचाइयों से जमीन पर 864 हवाई छलांग लगा चुकी हैं, जो देश में किसी भी महिला स्काईडाइवर के लिए एक कीर्तिमान है।वर्ष 2001 में एक माइक्रोलाइट विमान से स्काइडाइव करने वाली वह पहली महिला अधिकारी थीं। वहीं, 35वें विश्व सैन्य पैराशूटिंग चैंपियनशिप में उन्होंने पहली भारतीय महिला सैन्य टीम का नेतृत्व किया था। उनकी टीम की सदस्य और फ्लाइंग ऑफिसर तुहिना गौर दूसरी पीढ़ी की अधिकारी हैं, जिनके पास 350 से अधिक फ्लाइंग ऑवर्स का अनुभव है। स्काडाइविंग के जोखिमों के बारे में बताते हुए, वह कहती है, कई बार किसी दिक्कत की वजह से पैराशूट नहीं खुल पाता। ऐसे में आपकी एड़ियों को चोट लग सकती है। अगर हमें चोट लगती है तो हम उड़ नहीं सकते।
तुहिना स्काइडाइविंग करने के अलावा चेतक और चीता हेलीकॉप्टरों की पायलट भी हैं। वहीं, वायु योद्धा टीम की एक अन्य सदस्य हैं विंग कमांडर संगीता पॉलराज। वह बेंगलूरु से मनोविज्ञान में स्नातकोत्तर हैं। उन्होंने वर्ष 2009 में अपने आसमानी कारनामों की शुरुआत की। उनके नाम 307 फ्री-फॉल जंप का रिकॉर्ड दर्ज है। टीम की चौथी सदस्य स्क्वाड्रन लीडर सीमा शिवरण को वर्ष 2011 में हेलीकॉप्टर स्ट्रीम की उड़ान शाखा में नियुक्त किया गया था। अब वह हेलिकॉप्टर ट्रेनिंग स्कूल, हकीमपेट में तैनात हैं।
दूसरी पी़ढी की वायु योद्धा सीमा हरियाणा के सोनीपत से ताल्लुक रखती हैं और चेतक तथा चीता हेलीकॉप्टरों पर 1,500 घंटे से अधिक उ़डान भर चुकी हैं। इसी तरह, स्क्वॉड्रन लीड ईशा गिल को 9 जुलाई, 2012 में भारतीय वायुसेना में तकनीकी अधिकारी के तौर पर कमिशन मिला था। उन्हें आगरा स्थित पीटीएस में आधारभूत पैरा जंपिंग का प्रशिक्षण प्राप्त है।