निर्भया को इंसाफ, चारों दोषी फांसी पर लटकाए गए

निर्भया को इंसाफ, चारों दोषी फांसी पर लटकाए गए

निर्भया मामले के दोषी

नई दिल्ली। निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के चारों दोषियों को यहां तिहाड़ जेल में शुक्रवार सुबह फांसी पर लटका दिया गया। तिहाड़ जेल के निदेशक संदीप गोयल ने बताया कि डॉक्टर ने फांसी के बाद चारों दोषियों की जांच कर उन्हें मृत घोषित कर दिया। उच्चतम न्यायालय ने 16 दिसंबर, 2012 के 23 वर्षीया पैरामेडिकल छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या मामले में मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को दोषी करार दिया था।

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दोषियों ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका भी प्रस्तुत की थी जो खारिज हो गई। इसके अलावा, उन्होंने फांसी टलवाने के लिए कई पैंतरे आजमाए और पूर्व में जारी मृत्यु वारंटों के अनुसार सजा नहीं हो पाई। चारों दोषियों ने फांसी से बचने के लिए अपने सभी कानूनी विकल्पों का पूरा इस्तेमाल किया और गुरुवार रात तक इस मामले की सुनवाई चली। सामूहिक बलात्कार एवं हत्या के इस मामले के इन दोषियों को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद तीन बार सजा की तामील के लिए तारीखें तय हुईं लेकिन फांसी टलती गई। आखिरकार उनके सभी न्यायिक अधिकार पूरे हुए और 20 मार्च सुबह 5.30 बजे चारों दोषी फांसी पर लटकाए गए।

मामले को फिर अटकाने के लिए गुरुवार रात को दोषियों के वकील ने दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया और याचिका में तीन दोषियों ने निचली अदालत द्वारा उनकी फांसी पर रोक नहीं लगाने के फैसले को चुनौती दी। न्यायमूर्ति मनमोहन सिंह और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने देर रात की सुनवाई में दोषियों की याचिका खारिज करते हुए कहा कि इसमें कोई मेरिट नहीं है।

उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दोषियों की याचिका पर उच्चतम न्यायालय में भी सुनवाई शुरू हुई। यहां सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने निर्भया के परिजन का पक्ष रखा। उच्चतम न्यायालय ने भी दोषियों की याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद फांसी का रास्ता साफ हो गया और तय समय पर चारों दोषी फंदे पर लटका दिए गए।

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क्या बोले निर्भया के माता-पिता?
दोषियों की फांसी के बाद निर्भया की मां ने कहा, ‘आखिरकार हमें न्याय मिला। भारत की बेटियों के लिए न्याय की खातिर हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। देर से ही सही, हमें न्याय मिला।’ वहीं, निर्भया के पिता ने कहा, ‘न्याय के लिए हमारा इंतजार बेहद पीड़ादायी था।’

फांसी से पहले होती हैं ये तैयारियां
तिहाड़ जेल में पहली बार एक साथ चार लोगों को फांसी दी गई है। दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी जेल में 16,000 से अधिक कैदी हैं। जेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मेरठ से जल्लाद पवन मंगलवार शाम तिहाड़ जिला प्रशासन के पास पहुंच गया था ताकि फांसी की तैयारी की जा सके।

जेल नियमावली के अनुसार, जेल अधीक्षक को फांसी से एक दिन पहले रस्सियों का टिकाऊपन और फांसी के तख्त की मजबूती जांचनी होती है। इसके बाद कैदियों के वजन से डेढ़ गुना ज्यादा भारी पुतलों या रेत के बैग को रस्सी की मजबूती जांचने के लिए 1.830 मीटर और 2.440 मीटर की ऊंचाई से फेंका जाता है।

दिल्ली जेल नियम 2018 के तहत फांसी के समय अधीक्षक, उपाधीक्षक, प्रभारी चिकित्सा अधिकारी, निवासी चिकित्सा अधिकारी और जिला मजिस्ट्रेट या अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट का वहां मौजूद होना आवश्यक है। फांसी होते समय कैदियों के परिवार को वहां मौजूद रहने की अनुमति नहीं होती। फांसी दिए जाने और उनके शवों को वहां से हटाने तक बाकी कैदियों को उनकी कोठरी में कैद रखा जाता है।

नियमावली के अनुसार, फांसी दिए जाने से चार दिन पहले चिकित्सा अधिकारी को रिपोर्ट तैयार करनी होती है, जिसमें वह इस बात का जिक्र करता है कि कैदी को कितनी ऊंचाई से गिराया जाए। हर कैदी के लिए अलग से दो रस्सियां भी रखी जाती हैं। जांच के बाद रस्सी और अन्य उपकरणों को एक स्टील के बॉक्स में बंद कर दिया जाता है और उसे उपाधीक्षक को सौंप दिया जाता है।

अगर कैदी चाहे तो वह जिस धर्म में विश्वास रखता है, उसके पुरोहित को बुलाया जा सकता है। फांसी देने वाले दिन अधीक्षक, जिला मजिस्ट्रेट/अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट, चिकित्सा अधिकारी सहित कई वरिष्ठ अधिकारी सुबह-सुबह कैदी से उसकी कोठरी में मिलने जाते हैं।

कैदी के मुंह पर काला कपड़ा
अधीक्षक और जिला मजिस्ट्रेट या अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में कैदी की वसीयत सहित किसी भी दस्तावेज पर हस्ताक्षर कराए जा सकते हैं या उसे संलग्न किया जा सकता है। जेल के नियमों के अनुसार फांसी के तख्ते पर चढ़ने से पहले कैदी के मुंह पर काला कपड़ा पहना दिया जाता है ताकि वह फंदे को देख न पाए।

कैदी के धर्म के अनुसार उसके शव का अंतिम संस्कार किया जाता है। कई बार उसके पोस्टमार्टम के बाद उसे परिवार को भी सौंप दिया जाता है। उसका अंतिम संस्कार करने के लिए शव को ले जाने के लिए एम्बुलेंस का इस्तेमाल किया जाता हे।

तिहाड़ में आखिरी बार नौ फरवरी, 2013 को उत्तर कश्मीर के सोपोर के निवासी अफजल गुरु को फांसी दी गई थी। संसद पर हमले के दोषी को सुबह आठ बजे फांसी दी गई थी और उसे जेल परिसर में ही दफना दिया गया था।

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