सुप्रीम कोर्ट का ‘आतिशी’ आदेश, नहीं होगी दिल्ली में ‘पटाखेबाजी’!
सुप्रीम कोर्ट का ‘आतिशी’ आदेश, नहीं होगी दिल्ली में ‘पटाखेबाजी’!
नई दिल्ली। अपने अधिकारों को लेकर देश के नागरिकों का देश की ही सर्वोच्च न्यायालय के दरवाजे खटखटाना अथवा किसी बात को लेकर गुहार लगाना कोई नई बात नहीं है। लेकिन यह अपनी तरह का अलग ही मामला है जब मात्र छह से 14 माह के बच्चों के नाम से सुप्रीम कोर्ट में साफ हवा में श्वांस लेने के अधिकार के तहत एक याचिका दायर की गई जिसमें मांग की गई कि दशहरे और दीपावली जैसे पर्वों पर पटाखों की बिक्री पर रोक लगाई जाए।
यह अनोखी जनहित याचिका गत वर्ष दिल्ली में वायु प्रदूषण के चलते खराब हो रहे हालातों के मद्देनजर लगाई गई थी। 11 नवंबर को 2016 को राजधानी दिल्ली व एनसीआर में दिवाली पर पटाखों की बिक्री पर रोक का आदेश दिया था जिसे फिर से बरकरार कर दिया गया है। यह प्रतिबंध एक नवंबर 2017 तक बरकरार रहेगा। बकौल सुप्रीम कोर्ट एक बार ये टेस्ट करना चाहते हैं कि दीपावली पर क्या हालात होंगे?जानकारी के मुताबिक कोर्ट ने सभी स्थायी और अस्थायी लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिये हैं। जानकारी के मुताबिक 12 सितंबर के रोक के आदेश में संशोधन किया गया है, एक नवंबर से पटाखे बिक सकेंगे। बताया जाता है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली और एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर लगी रोक कुछ शर्तों के साथ हटाई थी। साथ ही यह भी निर्देशित किया था कि दिल्ली में पटाखों की बिक्री के लिए लाइसेंस पुलिस की निगरानी में दिए जाएं तथा इनकी संख्या भी अधिकतम पांच सौ ही हो।
कोर्ट ने यह भी कहा है कि गत वर्ष की बनिस्बत इस बार पचास फीसदी को ही लाइसेंस दिया जाए। यही नियम एनसीआर में भी लागू किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि साइलेंस जोन के 100 मीटर के भीतर पटाखे नहीं जलाए जाएंगे, यानी अस्पताल, कोर्ट, धार्मिक स्थल और स्कूल आदि के 100 मीटर के दायरे में पटाखे न चलें। इसके अलावा पटाखे बनाने में लिथियम, लेड, पारा, एंटीमोनी व आर्सेनिक का इस्तेमाल न करने का निर्देश है। दिल्ली और एनसीआर में अगले आदेश तक दूसरे राज्यों से पटाखे नहीं लाए जाएंगे क्योंकि यहां पहले से ही पटाखे मौजूद हैं।
दरअसल, पिछले साल 11 नवंबर को दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में पटाखों की बिक्री पर सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को पूरे एनसीआर में पटाखों की बिक्री के लिए कोई नया लाइसेंस नहीं देने और पहले से जारी लाइसेंस को निलंबित करने के आदेश दिए थे।
इसके साथ कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि ’सीपीसीबी तीन महीने में रिपोर्ट दाखिल कर बताए कि पटाखों में किस तरह की सामग्री इस्तेमाल की जा रही है। पिछले साल 11 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों के खिलाफ तीन बच्चों अर्जुन गोपाल, आरव भंडारी और जोया राव की ओर से उनके पिताओं की ओर से दायर जनहित याचिका पर यह फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले ही संकेत दिया था कि दिल्ली में पटाखों की बिक्री पर रोक लग सकती है।