आम चुनाव में सर्वाधिक और न्यूनतम जीत के रिकॉर्ड

आम चुनाव में सर्वाधिक और न्यूनतम जीत के रिकॉर्ड

चुनाव में मतदाता

नई दिल्ली/वार्ता। विश्व के सबसे ब़डे लोकतंत्र के चुनावी इतिहास में सबसे अधिक मतों से जीत हासिल करने का रिकार्ड मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के अनिल बसु के नाम दर्ज हैं तो सबसे कम वोट से विजय प्राप्त कर लोकसभा पहुंचने का सौभाग्य भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सोम मरांडी और कांग्रेस के कोंथाला रामकृष्ण को मिला है।

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देश में हुए सोलह आम चुनावों में से 1962 से 2014 तक हुए 14 लोकसभा चुनाव के प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 2004 में माकपा के अनिल बसु ने पश्चिम बंगाल की आरामबाग संसदीय सीट से रिकार्ड पांच लाख 92 हजार 502 मतों से जीत हासिल की थी।

भाजपा के सोम मरांडी के नाम 1998 के चुनाव में बिहार के राजमहल संसदीय क्षेत्र से सबसे कम मात्र नौ मतों से जीत हासिल करने का रिकार्ड दर्ज है। इसके अलावा 1989 के आम चुनाव में आंध्र प्रदेश के अनकापल्ली संसदीय सीट से कांग्रेस के कोंथाला रामाकृष्ण ने भी नौ मतों के अंतर से विजय पायी थी।

दूसरी सबसे बड़े अंतर से जीत वर्ष 2014 के आम चुनाव में भाजपा के नरेंद्र मोदी ने गुजरात के वडोदरा से पांच लाख 70 हजार 128 वोटों से जीत हासिल की थी। वर्ष 1996 के आम चुनाव में कांग्रेस के गायकवाड़ सत्यजीत सिंह दिलीप सिंह के नाम मात्र 17 वोटों से दूसरे सबसे कम मतों की जीत दर्ज है। तीसरी सबसे बड़े अंतर से जीत का श्रेय लोकजनशक्ति पार्टी (लोजपा) के राम विलास पासवान के नाम दर्ज है।

उन्होंने 1989 के संसदीय चुनाव में जनता दल के उम्मीदवार के रुप में बिहार के हाजीपुर से पांच लाख 44 हजार 48 मतों से विजय पायी थी। द्रवि़ड मुनेत्र कषगम(डीएमके) के एम एस शिवासामी तीसरे सबसे कम अंतर से जीतने वाले सांसद हैं। इन्हें 1971 के आम चुनाव में तमिलनाडु के त्रिरुचेन्दूर से केवल 26 वोटों से जीत मिली थी।

वर्ष 1962 के आम चुनाव में सबसे अधिक मतों से जीतने के मामले में स्वतंत्र पार्टी की गायत्री देवी ने राजस्थान के जयपुर से एक लाख 57 हजार 692 मतों से विजय पाई तो इन्हीं चुनावों में सोशलिस्ट उम्मीदवार रिशांग सबसे कम 42 मतों से जीतने वाले उम्मीदवार थे। वह मणिपुर की आउटर मणिपुर सीट से सांसद चुने गये थे।

निर्दलीय उम्मीदवार के सिंह ने 1967 के आम चुनाव में सर्वाधिक एक लाख 93 हजार 816 मतों से जीत पाई थी। वह राजस्थान के बीकानेर से सांसद बने थे। इस चुनाव में कांग्रेस के एम राम ने हरियाणा के करनाल से 203 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी। कांग्रेस के एम एस संजीवी राव ने 1971 में आंध्र प्रदेश के काकीनाडा से सर्वाधिक 292926 मतों से विजय पायी तो इसी चुनाव में सबसे कम 26 मतों से जीत द्रमुक के एम एस शिवासामी को तमिलनाडु के त्रिरुचेन्दूर में मिली।

वर्ष 1977 में राम विलास पास भारतीय लोक दल के टिकट पर बिहार के हाजीपुर से सबसे अधिक मतों से जीतने वाले उम्मीदवार थे।उन्होंने चार लाख 24 हजार 545 वोटों से विजयी परचम लहराया था। इस चुनाव में पीजेंट एंड वर्कर्स पार्टी के देसाई दजीबा बलवंतराव ने महाराष्ट्र के कोल्हापुर से 165 वोटों से जीत पाई थी। महाराजा मार्तंड सिंह 1980 में मध्य प्रदेश के रीवा से सबसे अधिक वोटों से जीते। निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में लड़े सिंह को दो लाख 38 हजार 351 मतों से जीत मिली।

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