समझिए ये 3 इशारे, 2019 के लोकसभा चुनावों की तैयारी है अविश्वास प्रस्ताव!
समझिए ये 3 इशारे, 2019 के लोकसभा चुनावों की तैयारी है अविश्वास प्रस्ताव!
राजग के सहयोगी दलों के पास भी एक मौका है कि वे अपनी ताकत का अहसास कराएं। अगर वे सरकार के पक्ष में मतदान करते हैं तो गठबंधन को बल मिलेगा। अगर वोटिग से दूर रहने का फैसला किया तो यह संकेत होगा कि हमारी ताकत को कम न समझें।
नई दिल्ली। मोदी सरकार के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव सदन में हार-जीत नहीं बल्कि आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी अधिक लगता है। राजनीति की जरा-सी भी जानकारी रखने वाला व्यक्ति जानता है कि जिस सरकार के पास पर्याप्त बहुमत होता है, उसे किसी अविश्वास प्रस्ताव से नहीं हटाया जा सकता। वास्तव में यह प्रस्ताव राजग के शक्ति प्रदर्शन के साथ ही विपक्ष द्वारा सरकार की खामियों को उठाने के एक मंच की तरह है। क्योंकि:
1. तेदेपा अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई और कांग्रेस ने उसका समर्थन किया। वहीं लोकसभा अध्यक्ष ने इसे स्वीकार कर लिया। दोनों ओर ही योद्धा तैयार खड़े हैं। भाजपा इसके जरिए यह संदेश देना चाहेगी कि वह लोकतंत्र में विपक्ष को पर्याप्त सम्मान देती है, इसलिए अविश्वास प्रस्ताव का सामना किया। चूंकि जनता ने उसे भरपूर समर्थन दिया था, इसलिए विपक्ष उसे कोई हानि नहीं पहुंचा सका।2. अविश्वास प्रस्ताव द्वारा विपक्ष सरकार की खामियों को सुर्खियों में लाना चाहेगा, क्योंकि इसका जिक्र देश-विदेश के मीडिया में होगा। वह जानता है कि वोटिंग के जरिए सरकार नहीं गिरा पाएगा, पर इस प्रक्रिया से विपक्ष एकजुट होने का प्रयास करेगा। इसी से महागठबंधन की संभावना पर विचार किया जा सकता है। अगर विपक्ष किसी कारणवश अविश्वास प्रस्ताव लाने में कामयाब नहीं होता तो यह प्रचार किया जाता कि सरकार उसकी आवाज दबा रही है, असहिष्णुता का माहौल है। इस मुद्दे के आधार पर विपक्ष एकजुटता का नारा लगाता।
3. राजग के सहयोगी दलों के पास भी एक मौका है कि वे अपनी ताकत का अहसास कराएं। अगर वे सरकार के पक्ष में मतदान करते हैं तो गठबंधन को बल मिलेगा। अगर वोटिंग से दूर रहने का फैसला किया (जैसे शिवसेना) तो यह संकेत होगा कि हमारी ताकत को कम न समझें। इससे सरकार के संख्या बल में कमी आएगी और भाजपा के नेतृत्व को आगामी चुनावों में उन्हें ज्यादा गंभीरता से लेना होगा।