ड्रोन: रणभूमि का नया योद्धा
रूस में करोड़ों रु. के विमान यूक्रेनी ड्रोन्स के सामने बेबस साबित हुए

पाकिस्तान ड्रोन्स के जरिए भारतीय इलाकों की जासूसी करता है
यूक्रेन ने जबर्दस्त ड्रोन हमले से रूस के दर्जनों सैन्य विमानों को नुकसान पहुंचाकर युद्ध को और भड़का दिया है। इस हमले ने रक्षा क्षेत्र में ड्रोन तकनीक के महत्त्व को उजागर कर दिया है। रूस अपने एयर डिफेंस सिस्टम और बेहतरीन मिसाइलों के लिए जाना जाता है। इसके बावजूद यूक्रेनी ड्रोन घुसपैठ करने में कामयाब हो गए और रूस के सैन्य विमानों पर तबाही बनकर टूटे! करोड़ों रुपए के विमान कुछ हजार के ड्रोन के सामने बेबस साबित हुए। हमने 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भी ड्रोन का किरदार देखा था। भारतीय ड्रोन जहां पाकिस्तानी शहरों पर मंडराते देखे गए, वे अपने लक्ष्य तक पहुंचे, वहीं पाकिस्तान ने भी अपने ड्रोन के जरिए लड़ाई का रुख मोड़ने की कोशिश की थी। भविष्य में ड्रोन उन्नत होते जाएंगे और ये सैन्य क्षमताओं को प्रभावित करने की स्थिति में होंगे। जिसके पास ज्यादा शक्तिशाली और घातक ड्रोन्स की फौज होगी, युद्ध के मैदान में उसका पलड़ा भारी होगा। इस समय भारत को ड्रोन विकास की ओर विशेष ध्यान देना होगा। इस दौड़ में हमारा देश किसी से पीछे नहीं रहना चाहिए। भारत ड्रोन तकनीक पर काम कर रहा है। उसने ड्रोन विकास और काउंटर-ड्रोन सिस्टम में प्रगति की है, लेकिन भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहना होगा। चीन ड्रोन स्वार्म तकनीक पर काम कर रहा है, जिसके तहत एकसाथ सैकड़ों या हजारों ड्रोन्स को उड़ाकर हमला किया जा सकता है। वह एआई आधारित ड्रोन में भी निवेश कर रहा है। ये आत्मघाती ड्रोन स्वायत्त रूप से अपना लक्ष्य चुनते हैं और हमला करते हैं। चीन अपनी रक्षा तैयारियों के बारे में ज्यादा जानकारी सार्वजनिक नहीं करता, लेकिन ऐसी रिपोर्टें हैं, जिनमें दावा किया गया है कि वह जैमिंग-प्रतिरोधी ड्रोन पर काम कर रहा है। इन ड्रोन्स को ऐसे डिजाइन किया जाता है कि ये जैमिंग को चकमा देने में कामयाब हो सकते हैं।
भारत इन चुनौतियों से अवगत है। उसने कैट्स ड्रोन में महारत हासिल की है, जो विभिन्न सैन्य मिशन के लिए उपयुक्त होते हैं। ड्रोन का इस्तेमाल सिर्फ युद्ध तक सीमित नहीं है। इनके जरिए जासूसी भी की जा सकती है। याद करें, पिछले साल एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तान के कितने ड्रोन देखे गए थे? उनमें से कई तो बीएसएफ ने मार गिराए थे। पाकिस्तान इन ड्रोन्स के जरिए भारतीय इलाकों की जासूसी करता है। इसके अलावा ड्रग्स और हथियारों की तस्करी जैसे काम ड्रोन की उड़ान से आसान हो गए हैं। पहले, इसके लिए तस्कर आते-जाते थे। इसमें बहुत जोखिम होता था। सुरक्षा बलों की नजर पड़ने पर 'माल' तो पकड़ा ही जाता था, तस्कर भी मारा जाता था। एफपीवी जैसे सस्ते ड्रोन विस्फोटक ले जाने में सक्षम होते हैं। ये टैंक और विमान को भी तबाह कर सकते हैं। ये ड्रोन भविष्य में उन्नत होने के साथ अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। इसके लिए भारत को लेजर-आधारित एंटी-ड्रोन सिस्टम और जैमिंग तकनीक विकसित करने पर ध्यान देना होगा। वर्तमान में पाकिस्तान में उच्च स्तर पर इस बात को लेकर जरूर चर्चा की जा रही होगी कि उसके ड्रोन, जो उसे तुर्किये से मिले थे, कैसे नाकारा साबित हो गए? वह भविष्य में उन खामियों को दूर करने की कोशिश करेगा। इसके जवाब में हमें एआई-आधारित डिटेक्शन सिस्टम को मजबूत करना चाहिए, ताकि दुश्मन का कोई भी ड्रोन भारतीय वायु क्षेत्र में आते ही धराशायी कर दिया जाए। एलओसी पर ड्रोन डिटेक्शन रडार और रेडियो फ्रीक्वेंसी जैमर तैनात करने से पाकिस्तानी ड्रोन गतिविधियों पर कुछ लगाम लगेगी। बांग्लादेश के साथ लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भी ड्रोन संबंधी सतर्कता बढ़ानी होगी। इन दिनों उसकी चीन से नजदीकी बढ़ गई है।