तेजस्वी सूर्या ने प्रधानमंत्री को 750 साल पुरानी पवित्र पांडुलिपि की प्रतिकृति भेंट की

इस ग्रंथ को वेफरफिच तकनीक से संरक्षित किया गया है

तेजस्वी सूर्या ने प्रधानमंत्री को 750 साल पुरानी पवित्र पांडुलिपि की प्रतिकृति भेंट की

Photo: @Tejasvi_Surya X account

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। बेंगलूरु दक्षिण से भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और उन्हें मध्वाचार्य द्वारा रचित 750 साल पुरानी पवित्र पांडुलिपि 'सर्वमूल ग्रंथ' की एक संरक्षित प्रतिकृति भेंट की।

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इस ग्रंथ को अत्याधुनिक वेफरफिच तकनीक का उपयोग करके संरक्षित किया गया है, जो पांडुलिपियों को सदियों तक बनाए रखने में सक्षम है। प्रधानमंत्री को भेंट की गई यह पांडुलिपि बेंगलूरु दक्षिण के एक एनजीओ तारा प्रकाशन द्वारा आधुनिक रूप में संरक्षित की गई है।

तेजस्वी सूर्या ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, 'शिवश्री और मुझे हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर मिला। हमेशा की तरह, प्रधानमंत्री ने गर्मजोशी और प्रेम जताया तथा हमें आशीर्वाद दिया। उन्होंने हमारी शादी की तस्वीरें देखीं, जिससे हम दोनों को सुखद आश्चर्य हुआ।'

उन्होंने वेफरफिच के बारे में बताया कि यह एक पेटेंटेड सेमीकंडक्टर निर्माण आधारित तकनीक है, जिसमें सिलिकॉन वेफर्स को सब्सट्रेट के रूप में उपयोग किया जाता है। लेखन सिलिकॉन पर सोने या एल्यूमीनियम धातु के जमाव द्वारा किया जाता है। सैकड़ों छवियों को एक ही वेफर पर एम्बेड किया जा सकता है। ये वेफर अग्निरोधक और जलरोधक हैं तथा एक हजार साल तक ऐसे ही रह सकते हैं। इस तकनीक का उपयोग नासा ने चंद्रमा पर मानव की पहली लैंडिंग के दौरान एक टाइम कैप्सूल छोड़ने के लिए किया था।

सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री ने प्राचीन पांडुलिपियों के संरक्षण की इस प्रक्रिया के बारे में सवाल पूछे और हमारी पारंपरिक बुद्धिमत्ता को संरक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, देश हमारी प्राचीन पांडुलिपियों को संरक्षित करने के मिशन पर है, जो सभ्यतागत ज्ञान का खजाना हैं। प्रधानमंत्री ने ज्ञान भारत मिशन शुरू किया है और इस महत्त्वपूर्ण पहल का समर्थन करने के लिए बजटीय आवंटन किया है।

तेजस्वी सूर्या ने तारा प्रकाशन के बारे में बताया कि इसे साल 2006 में वैदिक ज्ञान को संरक्षित और प्रसारित करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। पिछले 18 वर्षों में, इसने प्राचीन पांडुलिपियों को सदियों तक संरक्षित करने के लिए अभूतपूर्व तकनीकों को विकसित किया है। 

तारा प्रकाशन की स्थापना प्रो. पीआर मुकुंद ने की थी, जो अमेरिका के रोचेस्टर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में इंजीनियरिंग के प्रोफेसर एमेरिटस हैं। अपने पांच दशक लंबे इंजीनियरिंग करियर के अलावा, वे वैदिक विज्ञान के शिक्षक हैं। उन्होंने कई पुस्तकें लिखी हैं।

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