नई शिक्षा नीति में तीन-भाषा फॉर्मूला पूरे देश के लिए अच्छा है: किरेन रिजिजू
'देश को धर्म या भाषा के आधार पर नहीं बांटना चाहिए'

Photo: KirenRijiju FB page
तिरुवनंतपुरम/दक्षिण भारत। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को कहा कि नई शिक्षा नीति (एनईपी) में तीन-भाषा फॉर्मूला पूरे देश के लिए अच्छा है।
एनईपी में त्रिभाषा नीति पर चल रही गंभीर बहस, विशेष रूप से दक्षिणी राज्यों से, के संबंध में पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि कुछ गलतफहमियां हैं या कुछ लोग जानबूझकर 'राजनीति करने की कोशिश कर रहे हैं'।केंद्रीय संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति में तीन भाषा नीति पूरे देश के लिए अच्छी है।’
रिजिजू दक्षिणी क्षेत्र के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (पीएमजेवीके) पर क्षेत्रीय समीक्षा बैठक और प्रशिक्षण कार्यशाला में भाग लेने के लिए तिरुवनंतपुरम में थे।
रिजिजू ने कहा, 'आज नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री हैं, लेकिन हिंदी उनकी मातृभाषा नहीं है; उनकी मातृभाषा गुजराती है। हमारे गृह मंत्री अमित शाह की मातृभाषा गुजराती है। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की मातृभाषा उड़िया है और मेरी मातृभाषा अरुणाचली है, लेकिन हम अपने देश के हित को सर्वोपरि रखते हुए एक टीम के रूप में काम कर रहे हैं।'
उन्होंने कहा, ‘इसलिए हमें देश को धर्म या भाषा के आधार पर नहीं बांटना चाहिए।’
उन्होंने कहा, 'हम सभी भारतीय हैं; आइए हम मिलकर काम करें और प्रधानमंत्री मोदी ने लगातार कहा है कि भारत में हर क्षेत्र, हर समुदाय और हर कोई समान है, और सभी को समान सुरक्षा और समान वरीयता दी जाएगी, इसलिए हमें देश को जाति, पंथ, धर्म या समुदाय या राज्य या क्षेत्र के आधार पर नहीं बांटना चाहिए।'
उनका यह बयान एनईपी 2020 के खिलाफ तमिलनाडु सरकार के कड़े विरोध के बीच आया है, जिसमें त्रि-भाषा फार्मूले पर चिंता जताई गई है और केंद्र पर हिंदी थोपने का प्रयास करने का आरोप लगाया गया है।