दिल्ली: रेलवे स्टेशन भगदड़ मामले को लेकर कांग्रेस ने बोला सरकार पर हमला
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया

Photo: SupriyaShrinate FB Page
नई दिल्ली/दक्षिण भारत। कांग्रेस ने रविवार को मांग की कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को इस्तीफा देना चाहिए।
यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर कल रात जो हुआ, वो हादसा नहीं 'नरसंहार' है। वहां का मंजर देखकर दिल दहल गया। आस्था और विश्वास से भरे कई श्रद्धालु कुंभ जाने के लिए आए तो जरूर, लेकिन रेलवे प्रशासन की नाकामी के कारण आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक दम घुटने से 18 लोगों की मौत हो गई। इनमें 9 महिलाएं, 4 पुरुष और 5 बच्चे शामिल हैं।सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि हादसे के चश्मदीदों की बातें सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। कुली भाइयों ने शवों को लाद-लादकर बाहर निकाला। वहां पुलिस प्रशासन और एंबुलेंस की व्यवस्था तक नहीं थी। अस्पताल में लाशों का अंबार लगा हुआ था। लोगों के चेहरे पर अपनों को खोने के दुख के साथ ही वो दहशत दिखी, जिसका सामना उन्होंने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर किया। श्रद्धालुओं के इस नरसंहार का जिम्मेदार कौन है?
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि रेलवे की नाकामी के बाद जो हुआ, वो और शर्मनाक है। रेल मंत्री इस्तीफा देने के बजाए पूरी तरह से ... पर उतर आए और पूरे महकमे को लीपा-पोती पर लगा दिया और अभी भी ... पर आमादा हैं। इतना बड़ा हादसा हो जाने के बाद भी नैरेटिव बनाया गया कि सब कुछ कंट्रोल में है। जब लोग भगदड़ में मर रहे थे तो रेल मंत्री आंकड़े छिपाने में जुटे हुए थे।
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि रेल मंत्री की यह ... नई नहीं है। यही काम वे बार-बार करते रहे हैं। कोई भी ट्रेन हादसा हो तो ये उसे 'छोटी घटना' बताते हैं। जब मृतकों के परिवार वाले सच बयां करने लगे, तो कुछ रिपोर्टरों के फ़ोन ज़ब्त किए जाने लगे, फ़ुटेज डिलीट किए जाने की बात कही गई। यही नहीं, एक महिला रिपोर्टर की आईडी तक छीनी गई। ऐसी घटना पर संवेदना व्यक्त करने और माफी मांगने के बजाय रेल मंत्री और सरकार मौत के आंकड़े छिपाने में लग गए, जो कि और वीभत्स है।
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि कल नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे के कुछ ही घंटे पहले रेल मंत्रालय की सेफ्टी रिव्यू मीटिंग हुई थी, जिसकी कुछ घंटों बाद ही धज्जियां उड़ गईं। रेलवे की उस मीटिंग का क्या निष्कर्ष निकला? क्या मीटिंग सिर्फ चाय-समोसा खिलाने के लिए बुलाई गई थी? 15 फरवरी को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हर घंटे 1,500 जनरल टिकट कटे। रेलवे को पता था कि वहां कितने श्रद्धालु जमा होने वाले हैं। ऐसे में सवाल है कि भीड़ संचालन के लिए क्या इंतजाम किए गए? वहां कितनी संख्या में पुलिसकर्मियों और आरपीएफ को तैनात किया गया?
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि आपदा प्रबंधन या दिल्ली पुलिसकर्मियों को क्यों नहीं बुलाया गया? क्या वहां भीड़ को कंट्रोल करने के अनाउंसमेंट किए जा रहे थे? क्या जो खबरों में लोग बता रहे हैं, वो सच है कि अंतिम समय में प्लेटफॉर्म बदला गया, जिससे भगदड़ और अफरा-तफरी और भी ज्यादा मची? अनारक्षित इतने ज्यादा टिकट कटे थे कि लोग पहले ट्रेन में पहुंचने के लिए भागने लगे।
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि इतना कुछ हो जाने के बाद ज़िम्मेदारी लेना और गलती मानना तो दूर की बात है, मोदी सरकार जनता को ही जिम्मेवार ठहरा रही है। जनता कोई कीड़ा-मकोड़ा और गाजर-मूली है क्या? आख़िर जनता की सरकार से क्या उम्मीद है? आस्था के पर्व महाकुंभ में जाने के लिए जनता की सरकार से उम्मीद होती है कि उनके लिए आवागमन के उचित प्रबंध हों, पुलिस प्रशासन की तैनाती हो, भीड़ संचालन का बंदोबस्त हो, लेकिन अगर सरकार जनता के लिए ऐसे प्रबंध भी नहीं कर सकती, तो फिर ये लोग सत्ता में क्यों बैठे हैं?