ट्रंप की विजय और भारत

पाकिस्तान, चीन और बांग्लादेश में सुगबुगाहट प्रारम्भ हो गई है

ट्रंप की विजय और भारत

Photo: DonaldTrump FB Page

सुरेश हिंदुस्तानी
मोबाइल: 9770015780

Dakshin Bharat at Google News
अमेरिका में रिपब्लिकल पार्टी की ऐतिहासिक विजय के बाद अब यह तय हो गया है कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति बनेंगे| अमेरिका का इतिहास बताता है कि ट्रम्प की यह जीत उनकी ऐतिहासिक वापसी है| अमेरिका में यह विजय किसी चमत्कार से कम नहीं है| १३० वर्ष के अमेरिकी इतिहास में यह पहली बार है, ज़ब किसी ने यह कारनामा किया है| डोनाल्ड ट्रम्प ने लगातार तीसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव लड़ा, जिसमें पहली और तीसरी बार वे सफल रहे, दूसरी बार के चुनाव में जो बाइडेन से पराजित हो गए| इस चुनाव में पराजित होने के बाद ट्रम्प अमेरिका में राजनीतिक तौर पर लगातार सक्रिय रहे| उनका मिशन फिर से राष्ट्रपति बनना ही था, जिसे उन्होंने बखूबी अंजाम देकर एक नया कीर्तिमान बना दिया| चुनाव में उनकी प्रतिद्वंदी कमला हैरिस यकीनन राजनीतिक समझ रखती थी, लेकिन यह समझ किसी भी प्रकार से सफलता की परिचायक नहीं बन सकी| हालांकि अमेरिकी मीडिया के एक वर्ग ने तो उनको भावी राष्ट्रपति के रूप में प्रचारित कर दिया| लेकिन यह नैरेटिव भी उनके लिए जीत का मार्ग नहीं बना सका| यहां एक ख़ास तथ्य यह भी माना जा सकता है कि कमला हैरिस को भारतीय मूल का बताने का सुनियोजित प्रयास किया गया| ऐसा इसलिए किया गया कि भारतीय मूल के मतदाताओं को उनके पक्ष में लाया जा सके, लेकिन वे जिन हाथों में खेल रही थी, वह लाइन भारत के लिए राजनीतिक तौर सही नहीं थी|

वैश्विक राजनीति के जानकार डोनाल्ड ट्रम्प की जीत कई निहितार्थ निकाल रहे हैं| कई विश्लेषक ट्रम्प की जीत को भारत की कूटनीतिक सफलता के तौर पर भी स्वीकार कर रहे हैं| इसका एक कारण यह माना जा रहा है कि वैश्विक स्तर पर भारत सरकार जिस नीति और विचार को लेकर कार्य कर रही है, उसकी झलक ट्रम्प के विचारों में भी दिखाई देती है| इसके अलावा ट्रम्प का कहना है कि अमेरिका की खोई ताकत को फिर से प्राप्त करना चाहते हैं| आज अमेरिका कहने मात्र को ही महाशक्ति है, लेकिन उसका वैसा दबदबा आज नहीं है, जो पहले हुआ करता था| इस बीच भारत ने महाशक्ति बनने की दिशा में तीव्र गति से अपने कदम बढ़ाए हैं, इसलिए आज विश्व के अनेक देश भारत को महाशक्ति के रूप में देखने लगे हैं| हमें स्मरण होगा कि रूस और यूक्रेन के मध्य युद्ध के दौरान भारत के नागरिक पूरे सम्मान के साथ भारत लौटे थे| उस समय भारत के नागरिकों के समक्ष यूक्रेन की सेना ने अपने हथियार नीचे कर लिए थे| यह केवल एक दृश्य नहीं, बल्कि भारत की शक्ति का ही परिचायक था| भारत की इस बढ़ती शक्ति से अमेरिका भी भली भांति परिचित है| रूस और यूक्रेन युद्ध के बारे में कई बार यह कहा जा चुका है कि भारत चाहे तो युद्ध रुकवा सकता है| इसका तात्पर्य यही है कि आज का भारत विश्व के लिए एक ताकत बन चुका है|

अमेरिका के इस चुनाव में भारत के लोकसभा चुनाव की तरह ही प्रचार किया गया| कई प्रकार के नैरेटिव स्थापित करने का प्रयास किए गए| वामपंथी विचार के मीडिया ने ट्रम्प की राह में अवरोध पैदा करने के भरसक प्रयास किए| यहां तक कि उनको सनकी और विलेन कहने में भी गुरेज नहीं किया गया| यही तो भारत में किया गया| वामपंथी समूह ने भारत के लोकसभा चुनावों में सरकार के विरोध में जहरीली भाषा का प्रयोग किया| फिर भी आख़िरकार नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री पद पर आसीन हो गए| अब ऐसा लगने लगा है कि मतदाता बहुत समझदार हो गया है| उसको किसी भी प्रकार से भ्रमित नहीं किया जा सकता| उसे अब देश दुनिया की समझ हो गई है, इसलिए वह वर्तमान के साथ कदम मिलाकर चलने की ओर अग्रसर हुआ है|

विश्व के कई देश आज कई प्रकार की समस्याओं से जूझ रहे हैं| कोरोना के बाद कई देशों की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है, उसे पटरी पर लाने के लिए उस देश की सरकार की ओर से भरपूर प्रयास किए जा रहे हैं| इन समस्याओं में कई समस्याएं ऐसी हैं, जो सबके सामने हैं| आतंकवाद एक विकराल समस्या बनता जा रहा है| अमेरिका भी इससे ग्रसित है| रूस और यूक्रेन की बीच तनातनी कम नहीं हो रही| इजराइल और हमास के बीच युद्ध जैसे हालात हैं| अमेरिका में ट्रम्प के पुनः राष्ट्रपति बनने के बाद यह लग रहा है कि अब आतंक के सहारे भय का वातावरण बनाने वाले किसी भी कदम को पूरे जोश के साथ रोकने का प्रयास किया जाएगा|

अमेरिका में ट्रम्प की जीत से भारत के पड़ोसी देश यानि पाकिस्तान, चीन और बांग्लादेश में सुगबुगाहट प्रारम्भ हो गई है, क्योंकि यह देश भारत को हमेशा अस्थिर करने की फिराक में रहते हैं| हम वह वाकिया अभी तक भूले नहीं हैं, ज़ब अमेरिका ने आतंक के विरोध में बड़ी कार्यवाही को अंजाम देते हुए ओसामा बिन लादेन को मौत के घाट उतार दिया था, हालांकि उस समय अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा थे, लेकिन आतंक के विरोध में ट्रम्प का भी वैसा ही रवैया माना जा सकता है| इसी प्रकार चीन के समक्ष भी स्थिति पैदा होती दिखाई दे रही है| हम जानते हैं कि अमेरिका हमेशा से ही पाकिस्तान से आतंक के विरोध में कार्यवाही करने के लिए कहता है, लेकिन जो देश आतंक के आकाओं के सहारे ही चल रहा हो, वह आतंक के विरोध में कैसे कार्यवाही कर सकता है| अब अमेरिका में ट्रम्प के पुनः आने के बाद इस बात की संभावना बढ़ गई है कि अब पाकिस्तान दिखावे के लिए ही सही, लेकिन आतंक के आकाओं के खिलाफ एक्शन लेगा|

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download