अराजकता की नई बस्ती बना बांग्लादेश
बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही शेख हसीना ने भारत में शरण ली है

Photo: mofadhaka FB page
संजीव ठाकुर
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बताया जाता है कि बांग्लादेश में देश के गठन के बाद यह दूसरी क्रांति अमेरिका, चीन तथा पाकिस्तान के इशारे पर की गई है| बांग्लादेश में आतंकवाद अब पूरी तरह से सिर उठाने लगा है| जमात-ए-इस्लामी से प्रतिबंध हटते ही वर्तमान मोहम्मद यूनुस सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन कर दिया है हिंसा की कई घटनाएं हुई है| आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं भी जारी है छात्र संगठनों में भी दो ग्रुप हो गए हैं और एक छात्र संगठनों का ग्रुप मोहम्मद यूनिस सरकार का घोर विरोधी बनाकर आंदोलन कर रहा है| पाकिस्तान की तर्ज में बांग्लादेश में भी सत्ता परिवर्तन होते ही हिंदुओं का बड़ी संख्या में वध किया गया एवं मंदिरों में तोड़फोड़ की गई| इसमें दो मत नहीं कि यदि बांग्लादेश भी उग्रवादियों आतंकवादियों के कब्जे में चला जाता है तो उसका विकास तेजी से अवरुद्ध हो जाएगा और वह पाकिस्तान की तरह आर्थिक रूप से कमजोर एवं पिछड़ा राष्ट्र बन कर रह जाएगा|
बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही क्योंकि शेख हसीना ने भारत में शरण ली है फ़ौरी तौर पर बांग्लादेश को शेख हसीना की भारत के प्रति अनुराग एवं मित्रता पसंद नहीं आई होगी| आतंकवादी संगठन जमात ए इस्लामी ने फिर बांग्लादेश में उपद्रव मचाना शुरू कर दिया है| अराजकता और आतंकवादी संगठनों का बांग्लादेश अब एक नया ठिकाना बन गया है चीन और अमेरिका भी इसे अपनी नई बस्ती बनाना चाहते हैं निश्चित तौर पर भारत के लिए यह शुभ संकेत नहीं है पाकिस्तान व चीन स्वतंत्रता के बाद से भारत के पारंपरिक दुश्मन रहे है पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठन अभी भी जम्मू कश्मीर में लगातार हिंसा एवं वारदात करने में लगे हुए हैं|
अब बदले हुए बांग्लादेश का शासन तंत्र भारत के पक्ष में नहीं होगा ऐसी स्तिथि में भारत अब अनेक पड़ोसी दुश्मन देशों से घिरा हुआ रहेगा फल स्वरुप भारत की सीमा सुरक्षा पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है ऐसे में भारत को अंदरुनी तथा सीमा पर अपनी सुरक्षा व्यवस्था पर कड़ी निगरानी रख चाक चौबंद व्यवस्था रखनी होगी| भारत संप्रभुता एकता तथा अखंडता का वैश्विक स्वच्छ एवं साफ-सुथरी छवि वाला एकमात्र बड़ा लोकतांत्रिक देश है| अमेरिका में भी लोकतंत्र है पर वहां पूंजीवादी व्यवस्था तथा व्यापक व्यवसायीकरण ने अनेक राष्ट्रपतियों को विस्तार वादी तथा साम्राज्यवादी मानसिकता का बना दिया है| अमेरिका की शक्ति संपन्नता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसे एक संवेदनहीन,लोकतांत्रिक एवं निरंकुश राष्ट्र के रूप में स्थापित कर चुकी है| अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में अमेरिका और विभिन्न काल खंडों में अलग-अलग देशों को एक दूसरे से युद्ध करने के उकसाने के लिए बदनाम रहा है, और उसकी इस इस कूटनीति का सबसे बड़े एवं तात्कालिक उदाहरण अफगानिस्तान में तालिबान आतंकवादियों का कब्जा एवं और रूस यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन अमेरिकी तथा अमेरिकी समर्थित नैटो एवं यूरोपीय देशों की भूमिका ही रही है|
इसी तरह इसराइल हमास युद्ध में इसराइल को खुला समर्थन देकर अमेरिका ने विस्तारवाद तथा साम्राज्यवाद की आग को हवा देने का काम किया है और लगभग २ हजार लोगों की जान को जिंदगी से वंचित कर दिया है| दूसरी तरफ भारत एक विशाल लोकतांत्रिक देश होने के साथ-साथ शांति सौहार्द्र और गुटनिरपेक्षता का पक्षधर रहा है| भारत देश में सदैव वैश्विक शांति का संदेश ही दिया है, यह अलग बात है कि भारत को धार्मिक सामाजिक आर्थिक विविधता विषमता के कारण अंदरूनी विवादों तथा आतंकवादी गतिविधियों के कारण अशांत रहने पर मजबूर किया है| भारत की आंतरिक सुरक्षा भी पिछले २० वर्षों से अलग-अलग शहरों यहां तक संसद भवन के हमलों और कश्मीर में विभिन्न समय तथा स्थानों पर आतंकवादी हमलों ने भारत की आंतरिक व्यवस्था में उथल-पुथल मचाने का प्रयास किया है, भारत की शक्ति और सामर्थ्य इतनी सक्षम है कि आतंकवादियों के हमलों का भारत सरकार ने समय-समय पर मुंहतोड़ जवाब भी दिया है|
यह तो तय है कि भारत में आतंकी गतिविधियां आंतरिक सुरक्षा के लिए हमेशा खतरा बनी हुई थी और है| इसके अलावा एल ए सी तथा एलओसी में चीन तथा पाकिस्तान जैसे देशों से हमें मुकाबला करना होगा| पाकिस्तान दिवालिया होने की कगार पर है पर चीन की मदद तथा उकसावे के कारण पाकिस्तान भारत को एक बड़ा दुश्मन मानती है| अमेरिका जैसे देश बाहर से तमाशा देखने वाले देशों में माने जाते हैं| अतः भारत को अपनी आंतरिक तथा सीमा की सुरक्षा स्वयं के शक्ति तथा सामर्थ से ही करनी होगी एवं हमेशा सतर्कता बरतनी होगी|
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