शाह ने किया स्पष्ट- सीएए कभी वापस नहीं लिया जाएगा

शाह ने कहा कि एनआरसी का सीएए से कोई लेना-देना नहीं है

शाह ने किया स्पष्ट- सीएए कभी वापस नहीं लिया जाएगा

Photo: amitshahofficial FB page

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को समाचार एजेंसी एएनआई के पोडकास्ट में सीएए के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि सीएए कभी वापस नहीं लिया जाएगा। भाजपा ने साल 2019 में अपने घोषणापत्र में कहा था कि हम सीएए लाएंगे और पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश के शरणार्थियों को नागरिकता देंगे। भाजपा का एजेंडा बहुत स्पष्ट है और उसी एजेंडे के आधार पर हमें बहुमत मिला। साल 2019 में ही यह बिल संसद के दोनों सदनों ने पास कर दिया, उसके बाद कोविड के कारण ये थोड़ा विलंब हुआ।

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शाह ने कहा कि विपक्षी दल तुष्टीकरण की राजनीति कर वोट बैंक को मजबूत करना चाहते हैं। वे बेनकाब हो चुके हैं और देश की जनता जानती है कि सीएए इस देश का कानून है। मैं चार साल में कम से कम 41 बार बोल चुका हूं कि सीएए लागू होगा और चुनाव से पहले होगा।

शाह ने कहा कि विपक्ष के पास कोई और काम नहीं है, उन्होंने यहां तक कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक में राजनीतिक फायदा है, तो क्या हमें आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई नहीं करनी चाहिए? उन्होंने यह भी कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाना भी हमारे राजनीतिक फायदे के लिए था। हम साल 1950 से कह रहे हैं कि हम अनुच्छेद 370 को हटाएंगे। उनका इतिहास है कि वे जो कहते हैं, वह करते नहीं हैं। प्रधानमंत्री मोदी का इतिहास है कि जो भी भाजपा ने कहा है, मोदी ने जो कहा है, वह पत्थर की लकीर है। मोदी की हर गारंटी पूरी होती है।

शाह ने कहा कि सीएए से इस देश के अल्पसंख्यकों या किसी और व्यक्ति को डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इसमें किसी की नागरिकता लेने का प्रावधान नहीं है। सीएए सिर्फ और सिर्फ तीन देशों अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू, सिक्ख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी शरणार्थियों को नागरिकता देने का कानून है।

शाह ने कहा कि जब देश का विभाजन हुआ, तब पाकिस्तान में 23 प्रतिशत हिंदू और सिक्ख थे। आज ये केवल 3.7 प्रतिशत बच गए हैं। उनका धर्म परिवर्तन हुआ, उन्हें अपमानित किया गया। आखिर कहां जाएंगे ये लोग? साल 1951 में बांग्लादेश में 22 प्रतिशत हिंदू थे। साल 2011 की जनगणना में वे 10 प्रतिशत रह गए हैं। अफगानिस्तान में साल 1992 से पूर्व लगभग 2 लाख सिक्ख और हिंदू थे, जो आज करीब 500 बचे हैं। क्या इन लोगों को अपने अनुसार जीने का अधिकार नहीं था?

शाह ने कहा कि मुसलमानों को भी नागरिकता के लिए आवेदन करने का अधिकार है, किसी के लिए रास्ता बंद नहीं है। यह विशेष अधिनियम इसलिए बनाया गया है, क्योंकि ये बिना किसी दस्तावेज़ के आए हैं।

शाह ने कहा कि जिनके पास दस्तावेज नहीं है, उनके लिए हम कोई रास्ता ढूढ़ेंगे, लेकिन जिनके पास दस्तावेज हैं, वे लगभग 85 प्रतिशत से ज्यादा हैं। कोई समय सीमा नहीं है, आराम से समय लेकर आवेदन किया जा सकता है, भारत सरकार आपके उपलब्ध समय के अनुसार साक्षात्कार के लिए आपको कॉल करेगी। सरकार आपको दस्तावेज़ के ऑडिट के लिए बुलाएगी और आमने-सामने साक्षात्कार किया जाएगा। वे सभी लोग, जिन्होंने 15 अगस्त, 1947 से 31 दिसंबर, 2014 के बीच भारत में प्रवेश किया है, उनका यहां स्वागत है।

शाह ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अपने भ्रष्टाचार के उजागर होने से आपा खो बैठे हैं। उन्हें पता नहीं है कि ये लोग भारत में आ चुके हैं और भारत में रह रहे हैं। अगर उन्हें इतनी ही चिंता है तो वे बांग्लादेशी घुसपैठियों की बात क्यों नहीं करते या रोहिंग्या का विरोध क्यों नहीं करते? दिल्ली का चुनाव उनके लिए लोहे के चने चबाने जैसा है, इसलिए वे वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं। वे विभाजन की पृष्ठभूमि भूल गए हैं, इसलिए उन्हें शरणार्थी परिवारों से मिलकर चाय पीनी चाहिए।

शाह ने कहा कि मैं ममता बनर्जी से करबद्ध निवेदन करना चाहता हूं कि राजनीति करने के हजारों मंच हैं, कृपया बांग्लादेश से आए बंगाली हिंदू का अहित न करें, आप भी एक बंगाली हैं। ममताजी को मैं खुली चुनौती देता हूं कि इस कानून की धारा में से एक धारा वे नागरिकता छीनने वाली बता दें। वे खौफ पैदा कर रही हैं, हिन्दू और मुसलामानों के बीच विवाद कराना चाहती हैं। ममताजी, इसको मत रोकिये, आप घुसपैठ रोकिए। असम में भाजपा सरकार आने के बाद घुसपैठ पूरी तरह से बंद हो गई है।

शाह ने कहा कि वह दिन दूर नहीं है, जब वहां (पश्चिम बंगाल) भाजपा की सरकार आएगी और घुसपैठ रोकेगी। मैं मानता हूं कि अगर ममताजी इतने महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे के साथ तुष्टीकरण की राजनीति कर घुसपैठ होने देंगी, जो शरणार्थी आए हैं, उन्हें नागरिकता देने का विरोध करेंगी तो जनता आपके साथ नहीं रहेगी। ममता बनर्जी को शरणार्थी और घुसपैठ दोनों शब्दों के बीच का अंतर ही नहीं पता है।

शाह ने कहा कि जो दुष्प्रचार चल रहा है, उसके कारण कई लोग आवेदन करने में भी संकोच करेंगे। मैं  सभी लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि नरेंद्र मोदी सरकार पर भरोसा रखिए। आपको पूरे प्रभाव से नागरिकता दी जाएगी। यह कानून आपको शरणार्थी के रूप में स्वीकार कर रहा है। यदि आपने अवैध रूप से भारत में प्रवेश किया है, तो आपके खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं होगा, किसी को डरने की जरूरत नहीं है। सभी को समान अधिकार दिए जाएंगे, क्योंकि वे भारत के नागरिक बन जाएंगे। 

शाह ने कहा कि एनआरसी का सीएए से कोई लेना-देना नहीं है। असम ही नहीं, बल्कि देश के हर हिस्से में सीएए लागू होगा, सिर्फ पूर्वोत्तर के राज्य जहां दो प्रकार के विशेष अधिकार दिए गए हैं, उन्हीं में सीएए लागू नहीं होगा। इसमें वे क्षेत्र शामिल हैं, जहां इनर लाइन परमिट का प्रावधान है और जिन्हें संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा दिया गया है।

शाह ने कहा कि सीएए आदिवासी क्षेत्रों की संरचना और अधिकारों को कमजोर नहीं करेगा। हमने अधिनियम में ही प्रावधान किए हैं कि जहां भी इनर लाइन परमिट है और जो भी क्षेत्र छठी अनुसूची क्षेत्रों में शामिल हैं, वहां सीएए लागू नहीं होगा। उन क्षेत्रों के पते वाले आवेदन एप्लिकेशन पर अपलोड नहीं होंगे। हमने इसे एप्लिकेशन से निकाल दिया है।

शाह ने विपक्ष के लिए कहा कि उसे भी मालूम है कि इंडि गठबंधन सत्ता में नहीं आने वाला है। सीएए के कानून को प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार लाई है, इसे रद्द करना असंभव है। यह संवैधानिक रूप से पूर्णतः वैध कानून है।

शाह ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने इस कानून पर कोई स्टे नहीं दिया है। मैं महबूबाजी से पूछना चाहता हूं कि अनुच्छेद 370 पर साल 1951 में ही उच्चतम न्यायालय में अर्जी दाखिल हो गई थी। फिर आपने उसे इतने समय तक क्यों एन्जॉय किया? मैं उद्धव ठाकरे से पूछता हूं कि पहले वे महाराष्ट्र की जनता के सामने स्पष्ट करें कि सीएए लागू होना चाहिए या नहीं? अब उन्हें अल्पसंख्यकों के वोट चाहिएं, इसलिए वे तुष्टीकरण की राजनीति कर रहे हैं।

शाह ने कहा कि सीएए कभी वापस नहीं लिया जाएगा और भारत की नागरिकता सुनिश्चित करना, यह भारत की संप्रभुता का निर्णय है। इसके साथ हम कोई समझौता नहीं कर सकते। उन्होंने सीएए के जरिए नागरिकता लेने वाले लोगों के बारे में कहा कि वे भारत के आम नागरिक की तरह ही नागरिकों की सूची में सम्मान के साथ समाहित हो जाएंगे। उन्हें भी उतने ही अधिकार होंगे, जितने आपके या मेरे पास हैं। वे चुनाव भी लड़ सकते हैं। विधायक, सांसद, मुख्यमंत्री या केंद्र सरकार के मंत्री भी बन सकते हैं।

शाह ने कहा कि विदेशी मीडिया से पूछिए कि उनके देश में तीन तलाक है क्या? उनके देश में मुस्लिम पर्सनल लॉ है क्या? अनुच्छेद 370 जैसे प्रावधान हैं क्या? उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी के पास 10 साल का ए ग्रेड पास्ट रिकॉर्ड है और 25 साल की योजना है। उन्होंने 25 साल की योजना बनाई है कि 15 अगस्त, 2047 को भारत, पूर्ण विकसित भारत होगा। मुझे गर्व है कि मेरे नेता के आह्वान पर पूरा देश आज संकल्पित होकर अमृतकाल के लिए तैयार खड़ा है।

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