विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखने की जरूरत: उच्चतम न्यायालय
शिमला योजना क्षेत्र को लेकर गंभीर पर्यावरणीय और पारिस्थितिकी संबंधी चिंता जताई गई थी
पिछले महीने शिमला विकास योजना के मसौदे को अधिसूचित किया गया था
नई दिल्ली/भाषा। उच्चतम न्यायालय ने विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा है कि वह शिमला विकास योजना से संबंधित मामले पर 11 अगस्त को सुनवाई करेगा।
हिमाचल प्रदेश सरकार ने वहां निर्माण गतिविधियों को विनियमित करने के लिए पिछले महीने शिमला विकास योजना के मसौदे को अधिसूचित किया था।इस मुद्दे से संबंधित एक याचिका पर शुक्रवार को न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ के समक्ष सुनवाई हुई।
पीठ ने कहा कि वह इस बात को ध्यान में रखते हुए योजना की पड़ताल करेगी कि विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखने की जरूरत है।
इसने मामले को 11 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।
शीर्ष अदालत राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के नवंबर 2017 के आदेश से उत्पन्न एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। एनजीटी ने मुख्य, गैर-प्रमुख, हरित और ग्रामीण क्षेत्रों में अनियोजित और अंधाधुंध विकास पर ध्यान देते हुए कई निर्देश पारित किए थे।
शिमला योजना क्षेत्र को लेकर गंभीर पर्यावरणीय और पारिस्थितिकी संबंधी चिंता जताई गई थी।
इस योजना को पिछली राज्य सरकार ने फरवरी 2022 में मंजूरी दे दी थी, लेकिन यह अमल में नहीं आई, क्योंकि एनजीटी ने इसे अवैध बताते हुए स्थगन आदेश पारित कर दिया था और यह शिमला में अंधाधुंध निर्माण को विनियमित करने के लिए साल 2017 में पारित पहले के आदेशों के विपरीत था।