हमारे शिक्षण संस्थान दुनिया में बना रहे अलग पहचान: मोदी

प्रधानमंत्री ने दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय के शताब्‍दी समारोह समापन कार्यक्रम को संबोधित किया

हमारे शिक्षण संस्थान दुनिया में बना रहे अलग पहचान: मोदी

जब भारत में नालंदा जैसे विश्वविद्यालय थे, तब देश सुख और समृद्धि के शिखर पर था

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय के शताब्‍दी समारोह समापन कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय कंप्‍यूटर सेंटर, प्रौद्योगिकी संकाय भवन और अकादमिक ब्‍लॉक की आधारशिला भी रखी। 

Dakshin Bharat at Google News
इस अवसर पर उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि कोई भी देश हो, उसकी यूनिवर्सिटीज ... शिक्षण संस्थान, उसकी उपलब्धि का सच्चा प्रतीक होते हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी सिर्फ एक यूनिवर्सिटी नहीं, बल्कि एक मूमेंट रही है। इस यूनिवर्सिटी ने हर मूमेंट को जिया है, इस यूनिवर्सिटी ने हर मूमेंट में जान भर दी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब भारत में नालंदा जैसे विश्वविद्यालय थे, तब देश सुख और समृद्धि के शिखर पर था। जब भारत में तक्षशिला जैसे संस्थान थे, तब देश का विज्ञान दुनिया का मार्गदर्शन करता था। यह वह समय था, जब दुनिया में भारत की जीडीपी में हिस्सेदारी बहुत बड़ी थी।

डीयू में केवल तीन कॉलेज हुआ करते थे और अब 90 से अधिक कॉलेज डीयू का हिस्सा हैं। आज डीयू में छात्रों से ज्यादा छात्राएं पढ़ती हैं। इसी प्रकार भारत में भी लिंगानुपात में काफी सुधार हुआ है। यानी जिस देश में शैक्षणिक संस्थानों की जड़ें जितनी गहरी होती हैं, उस देश की शाखाएं उतनी ही ऊंचाई तक आसमान छूती हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देशभर में विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों का निर्माण हो रहा है। पिछले कुछ वर्षों में आईआईटी, आईआईएम, एनआईटी, एम्स जैसे शैक्षणिक संस्थानों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ये संस्थान नए भारत की आधारशिला हैं। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछली शताब्दी के तीसरे दशक ने स्वतंत्रता संग्राम को नई गति दी थी, अब इस शताब्दी का यह तीसरा दशक भारत की विकास यात्रा को नई रफ़्तार देगा। आज देशभर में बड़ी संख्या में यूनिवर्सिटी, कॉलेज बनाए जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि साल 2014 में, वर्ल्ड रैंकिंग में केवल 12 भारतीय विश्वविद्यालय थे। अब यह संख्या बढ़कर 45 हो गई है। हमारे शिक्षण संस्थान दुनिया में एक अलग पहचान बना रहे हैं। एक समय था, जब छात्र किसी संस्थान में दाखिला लेने से पहले सिर्फ प्लेसमेंट को ही प्राथमिकता देते थे। लेकिन आज, युवा जिंदगी को इसमें बांधना नहीं चाहता, वो कुछ नया करना चाहता है। अपनी लकीर खुद खींचना चाहता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि योग जैसा हमारा विज्ञान, हमारी संस्कृति, हमारे फेस्टिवल, हमारा लिटरेचर, हमारी हिस्ट्री, हमारा हैरिटेज, हमारी विधाएं, हमारे व्यंजन ... आज हर किसी की चर्चा हो रही है, हर किसी के लिए नया आकर्षण पैदा हो रहा है। इसलिए उन भारतीय युवाओं की डिमांड भी बढ़ रही है, जो विश्व को भारत के बारे में बता सके।

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download

Latest News

केंद्र आईटीआई लि. को वित्तीय रूप से मजबूत बनाने की रणनीति पर कर रहा काम: ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्र आईटीआई लि. को वित्तीय रूप से मजबूत बनाने की रणनीति पर कर रहा काम: ज्योतिरादित्य सिंधिया
Photo: JMScindia FB Page
पाकिस्तान के राष्ट्रपति ज़रदारी की जाने वाली है कुर्सी!
अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की कोशिश कर रहा भारत
कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद के लिए कोई वैकेंसी नहीं है: सिद्दरामय्या
बिहार में मतदाता सूची के 'एसआईआर' को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय ने क्या कहा?
अगला दलाई लामा स्वतंत्र लोकतांत्रिक देश से होगा, चीन से नहीं: अरुणाचल के मुख्यमंत्री
अज्ञानता मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन: कमल मुनि कमलेश