चीन को कड़ा संदेश

दलाई लामा के इस कदम से चीन का भड़कना स्वाभाविक है

चीन को कड़ा संदेश

हर अत्याचारी के अंत की तरह एक दिन चीन के अत्याचार का भी अंत होगा

तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने अमेरिका में जन्मे आठ साल के मंगोलियाई बच्चे को अवतार चुनकर चीन को कड़ा संदेश दे दिया कि भले ही उसने तिब्बत की धरती पर कब्जा कर लिया, लेकिन संस्कृति और परंपराओं पर उसका कोई जोर नहीं है। वे उसी तरह चलेंगी, जैसे तिब्बती धर्माचार्यों के निर्देशों के अनुसार चलती आई हैं। 

Dakshin Bharat at Google News
दलाई लामा के इस कदम से चीन का भड़कना स्वाभाविक है। हो सकता है कि आने वाले दिनों में उसकी खीझ एलएसी पर कहीं दिखाई दे, लेकिन वहां भी चीन की दाल गलने वाली नहीं है। तवांग सेक्टर में भारतीय सेना ने पीएलए का जो ‘सत्कार’ किया था, उसे दुनिया देख चुकी है। तिब्बत के साथ भारत के संबंध सौहार्दपूर्ण रहे हैं। 

बौद्ध परंपराओं के अनुसार चलने वाला यह देश ‘धर्मध्वज’ से शासित था। भारत में लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश के गांव-शहरों तक तिब्बती संस्कृति का प्रभाव दिखाई देता है। यहां दलाई लामा और पूर्ववर्ती लामाओं के प्रति गहरा सम्मान है। दुःखद है कि आज तिब्बत पर चीन अवैध कब्जा जमाए बैठा है। तिब्बत का चीन के अधीन होना भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है, जो हम वर्ष 1962 में देख चुके हैं। 

आज भी चीन गाहे-बगाहे टकराव के अवसर ढूंढ़ता रहता है। वह दलाई लामा के दौरों व भाषणों पर करीब से नजर रखता है और उन्हें ‘अलगाववादी’ बताता है। वह तिब्बत की जमीन पर कब्जे के बाद उसकी धार्मिक परंपराओं को भी अपने तौर-तरीकों से चलाना चाहता है।

 उसकी मंशा है कि वह अपनी मर्जी से लामा नियुक्त करे और अपने सरकारी मीडिया के जरिए उन्हें इतना प्रचारित करे कि लोग असल लामा को भूल जाएं या भ्रम के शिकार हो जाएं। इस कदम से चीन तिब्बतियों के विद्रोह को दबाना चाहता है। हालांकि उसके ये हथकंडे कामयाब नहीं हुए।

चीन कहता है कि वह उन्हीं तिब्बती बौद्ध नेताओं को मान्यता देगा, जिसे उसकी सरकार चुनेगी! यह हठ अत्यंत हास्यास्पद है। तिब्बत और उसका धर्म चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के पैदा होने के कई सदियों पहले से मौजूद हैं। लिहाजा चीन को ऐसी कोई मान्यता देने का अधिकार नहीं है। वर्ष 1995 में जब दलाई लामा ने दूसरे सबसे बड़े धर्मगुरु पंचेन लामा को चुना था तो चीनी अधिकारियों ने उन्हें जेल भेज दिया था। उसके बाद खुद की ओर से ‘धर्मगुरु’ नियुक्त किया। 

यह बताता है कि चीन तिब्बती बौद्ध परंपराओं से कितना भयभीत है। वह उन्हें निर्ममता से कुचलने के लिए पूरी शक्ति लगाता है। पूर्व में कुछ भिक्षुओं को प्रताड़ित करने की तस्वीरें सामने आ चुकी हैं। कड़े प्रतिबंधों के कारण ज़्यादातर बातें कभी सामने नहीं आतीं। चीन तिब्बत की संस्कृति को नष्ट करने के लिए दूरगामी षड्यंत्र पर काम कर रहा है। इसके तहत तिब्बतियों पर मंदारिन भाषा थोपी जा चुकी है। 

तिब्बत के स्कूली बच्चों की पाठ्यपुस्तकों में माओ, शी जिनपिंग जैसे नेताओं की झूठी बड़ाई के किस्से पढ़ाए जाते हैं। उन्हें बताया जाता है कि जब तिब्बत का शासन दलाई लामा के निर्देशों के अनुसार चलाया जाता था, तो ‘लोगों के पास पहनने के लिए कपड़े और खाने के लिए अन्न नहीं होता था। यह तो चीनी सरकार की कृपा है कि वे अच्छे कपड़े पहन रहे हैं और पेट भरकर खा रहे हैं!’ जबकि तिब्बत की ऐसी स्थिति बिल्कुल नहीं थी। 

चीनी अधिकारियों को राहुल सांकृत्यायन के यात्रा वृत्तांत पढ़ लेने चाहिएं, जिन्होंने मुक्त कंठ से तिब्बत की प्रशंसा की थी। चीन तिब्बती युवतियों की बहुसंख्यक हान जाति के युवकों के साथ जबरन शादियां भी करवा रहा है। वह तिब्बती युवकों को रोजगार के नाम पर देश के अन्य हिस्सों में बसा रहा है। इससे जनसांख्यिकीय असंतुलन पैदा हो रहा है, जिसने तिब्बती बुजुर्गों को चिंतित कर दिया है। 

चीन तिब्बत में सड़कों के नाम बदल रहा है। ल्हासा स्थित पोटाला महल के सामने बड़ा-सा चीनी झंडा तिब्बतियों के हृदय को पीड़ा दे रहा है, लेकिन उन्हें विश्वास है कि हर अत्याचारी के अंत की तरह एक दिन चीन के अत्याचार का भी अंत होगा। उस दिन यहां पुनः तिब्बत का झंडा शान से लहराएगा।

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download

Latest News

गांदरबल हमला: व्यापक तलाशी अभियान का आगाज, सबूत ढूंढ़ने में जुटे एनआईए के अधिकारी गांदरबल हमला: व्यापक तलाशी अभियान का आगाज, सबूत ढूंढ़ने में जुटे एनआईए के अधिकारी
Photo: NIA
हिज़्बुल्लाह ने इज़राइल के हर्मीस-900 ड्रोन को मार गिराने का दावा किया
ये पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोले- 'यूक्रेन युद्ध में मध्यस्थ बनने के लिए भारत के पास है विश्वसनीयता'
जब तक आतंकी हमले बंद न करे पाक, न हो उसके साथ कोई बातचीत: फारूक अब्दुल्ला
उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक को कक्षा 8 से 10 की अर्धवार्षिक परीक्षाओं के परिणाम घोषित करने से रोका
निर्दोष नागरिकों की हत्या करना और हिंसा फैलाना अपराध हैं: प्रियंका वाड्रा
डिजिटल मंच और राष्ट्रीय सुरक्षा