पाकिस्तानी बोले: मोदी की बात पूरी दुनिया मानती है, हमारी कोई नहीं सुनता!
सरकार और फौज से नाराज पाकिस्तानियों का फूट गुस्सा
एक यूजर ने लिखा, 'हम सत्तू पीकर सोए हुए हैं'
नई दिल्ली/इस्लामाबाद/दक्षिण भारत। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच पाकिस्तान में एक ख़बर लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही है। उसे पढ़कर पाक के नागरिक शहबाज सरकार और फौज को कोस रहे हैं। दरअसल एक मशहूर उर्दू वेबसाइट ने ख़बर प्रकाशित की- 'पेट्रोल के बाद अब भारत रूसी उर्वरक का सबसे बड़ा ख़रीदार, डॉलर की जगह रुपए में अदायगी', जिस पर पाकिस्तानियों ने तीखी टिप्पणियां कर अपनी सरकार और फौज को आड़े हाथों लिया।
एक यूजर मुहम्मद मुआविज लिखते हैं, 'मोदी की बात पूरी दुनिया मानती है और हमारी कोई नहीं सुनता।' राहील इक़बाल फौज पर व्यंग्य करते हैं, 'भारत अब भी हम से पीछे है, क्योंकि इतने वक्त में तो इतनी बचत सिर्फ़ हमारे बाजवा साहब कर सकते हैं!'खलील शाही कहते हैं, 'बेशक भारत आज़ाद रियासत है। बस रूस, भारत, चीन मिलकर डॉलर को पूरी दुनिया में रुस्वा कर दें।' मुहम्मद सलीम नामक यूजर भी व्यंग्य करते हैं, 'अगर रूस सब भारत को दे देगा तो हम क्या घास खाएंगे?'
एक यूजर पूर्व सेना प्रमुख जनरल कियानी पर चुटकी लेते हुए लिखते हैं, 'मीडिया का काम तो हमारे जख्म पर नमक छिड़कना है, लेकिन हम अमेरिका से ज्यादा डॉलर ले चुके हैं। हम तो उन से ऑस्ट्रेलिया में टापू खरीद चुके हैं।'
ज़ीक अफरीदी कहते हैं, 'हम तो ग़ुलाम हैं। आकाओं से इजाज़त लेनी पड़ती है।' शिराज सत्तार कहते हैं, 'हम यहां आईएमएफ से 6 बिलियन डॉलर कर्ज के लिए मिन्नतें कर रहे हैं।'
मुहम्मद इस्लाम कहते हैं, 'हमारे पाकिस्तानी लूटमार में व्यस्त हैं।' अकबर फाजिल इन हालात पर नाराजगी जताते हैं, 'हम पाकिस्तानियों को तो अमेरिका से इजाजत लेनी पड़ेगी, किसी भी मुल्क से कुछ भी लेने के लिए।' इसी तरह मुहम्मद इमरान कहते हैं, 'हम सत्तू पीकर सोए हुए हैं।'
फराज बलोच कहते हैं, 'हम बेहोश हैं, बगैर नशा किए हुए।' सना उल्लाह सानी लिखते हैं, 'यह होती है कौम। भारत आज़ाद है। एक हमारा देश पाकिस्तान, जहां चंद भ्रष्टतम लोग काबिज हैं, जिन्होंने पूरी कौम को बंधक बना कर लूटमार मचा रखी है।'
जहांजेब खान कहते हैं, 'स्वतंत्र विदेश नीति का मीठा फल।' रिजवान व्यंग्य करते हैं, 'हम ने भी बहुत बचत की है, एक रिटायरमेंट पर दहेज में दे दिए।' एक और यूजर सेना प्रमुख पर गुस्सा जाहिर करते हैं, 'पाकिस्तान ने जो भी कमाया, सब बाजवा को दे दिया, ताकि वह बेल्जियम में अच्छी ज़िंदगी गुजार ले।'
जमील लिखते हैं, '70 साल से हमें पढ़ाया गया कि भारत हम से कमतर है, लेकिन अब मैं खुद को गुलाम महसूस कर रहा हूं। भारत क्रांतिकारी देश है, जो अपने अधिकारों के लिए लड़ता है।'
मुहम्मद इब्राहिम कहते हैं, 'गुलाम कोई फैसला नहीं ले सकते। हमें 75 सालों से अंधेरे में रखा गया। हमारा देश ऊंची दर पर टैक्स चुका रहा है, लेकिन उसे बदले में घटिया शिक्षा, ओछी राजनीति, तानाशाही, बहुत महंगाई, हर जगह माफिया और भारी अज्ञात कर्जे और भ्रष्टाचार मिला। यहां तक कि विदेशी सहायता भी भूकंप व बाढ़ में तबाह हो चुके परिवारों के मुंह से चुरा ली जाती है। लानत है! इतिहास केवल अच्छे और वफादार लोगों को याद करेगा, कायरों और भ्रष्टाचारियों के टोले को नहीं।'
उस्ताद नसीरुल्लाह लिखते हैं, 'पाकिस्तान को चलाने वालो! तुम सब शर्मिंदा हों।'