काश मैं अपनी जीत पर और स्त्रियोचित प्रतिक्रिया दे पाती : मानुषी छिल्लर
काश मैं अपनी जीत पर और स्त्रियोचित प्रतिक्रिया दे पाती : मानुषी छिल्लर
मुम्बई। मानुषी छिल्लर ने जब मिस वर्ल्ड २०१७ का खिताब जीता तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था लेकिन वह सोचती है कि काश उनकी प्रतिक्रिया और अधिक स्त्रियोचित होती। मानुषी ने हाल ही में चीन के सान्या में एक शानदार कार्यक्रम में यह प्रतिष्ठित खिताब जीता। हरियाणा की २० वर्षीय मेडिकल छात्रा ने कहा, मैं इस बात से इनकार नहीं करती कि मैंने वह वीडियो कई बार देखा। मैं अब भी रोमांचित हूं लेकिन मैं सोचती हूं कि काश मैं और अधिक ्त्रिरयोचित प्रतिक्रिया दे पाती। यह ऐसी चीज थी जो स्वत: आती है। अब मैं इसे देखना चाहती हूं और मुझे हंसी आती है। इससे पहले वर्ष २००० में प्रियंका चोप़डा ने मिसवर्ल्ड का खिताब जीता था। प्रियंका से पहले वर्ष १९९९ में युक्ता मुखी ने यह खिताब जीता था।मानुषी इस खिताब को जीतने के बाद कांग्रेस सांसद शशि थरुर द्वारा उनके उपनाम को गलत ढंग से पेश करने को लेकर सुर्खियों में आई थीं। थरुर ने कहा था, हमारी नोटबंदी की भूल है। भाजपा को अहसास करना चाहिए कि भारतीय नकद विश्व पर छाया हुआ। यहां तक कि चिल्लर भी मिसवर्ल्ड बन गई। उनकी इस टिप्पणी से राजनीतिक विवाद ख़डा हो गया था।हालांकि मानुषी ने अपने ट्वीट में इसे यह कहते हुए तूल नहीं दिया कि मजाक में ऐसा हो गया। उन्होंने इस संबंध में कहा, मिस वर्ल्ड बनना मेरे लिए बहुत ही खास है। लेकिन हरेक का मजाक का अपना तरीका है और आज के दिन तो आपके पास सोशल मीडिया है एवं उस पर हर व्यक्ति की अपनी अपनी राय होती है। मैं खुश हूं कि मैं लोगों को हास्य की अपनी धारा में अंतदृष्टि दे पाई। मानुषी की जीत के बाद हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और वर्तमान मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के बीच मानुषी को सम्मानित करने के विषय पर वाकयुद्ध छि़ड गया। हुड्डा ने सुझाव दिया कि राज्य सरकार उसे इस खिताब को जीतने पर छह करो़ड रुपए एवं भूखंड दे। उस पर खट्टर ने कहा, उनकी सोच बस भूखंड और नकद तक सीमित है। व्यक्ति को उससे ऊपर सोचना चाहिए। इस संबंध में मानुषी ने कहा, मैं समझती हूं कि यह पूरी तरह हरियाणा पर निर्भर करता है कि वह मुझे क्या देना चाहता है और क्या नहीं। मैं बस खुश हूं कि मैं उन्हें यह जीत दे पाई। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि उनकी जीत हरियाणा को केंद्र में ला देगी। उन्होंने कहा, पहले से ही काफी सकारात्मक बदलाव हो रहा है। मेरे पैतृक गांव में खाप पंचायत ने शादियों में गोलियां चलाने की प्रथा रोक दी है। मानुषी ने कहा, मैं बस २० साल की सामान्य ल़डकी हूं लेकिन यह जानना कि मैं ऐसी चीजें कर सकती हूं, मेरे लिए खुशी की बात है।