लद्दाख और पाक

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द्दाख की सीमा पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प की खबरों और इस तथ्य के बावजूद कि दोनों देशों के बीच सीमा पर कई अन्य जगहों पर भी तनातनी है, पाकिस्तान में अभी भी लोग भारत की मुश्किल पर जश्र्न मनाते नहीं दिख रहे हैं। आमतौर पर जब भी भारत और चीन के बीच तनातनी होती है, तो पाकिस्तानी मीडिया जोश में आ जाता है। मान लेता है कि जल्द ही चीन और भारत के बीच गोलीबारी शुरू हो जाएगी। अगर बात युद्ध तक पहुंची तो पाकी मीडिया यह तय मानकर चलता है कि भारत को भारी नुकसान पहुंचेगा। उन्हें लगता है कि चीन उनके पुराने दुश्मन भारत को उसकी औकात बता देगा। वहां के बहुत से सामरिक विशेषज्ञ खासतौर से रिटायर्ड कूटनीतिज्ञ और जनरल, जो हमेशा इस बात पर अफसोस जताते हैं कि पाकिस्तान ने वर्ष 1962 में भारत से कश्मीर छीनने का मौका गंवा दिया, अब वह लोग सक्रिय हो रहे हैं। ये सामरिक बल दे रहे हैं कि अगली बार अगर चीन और भारत के बीच जंग छिड़ती है, तो पाकिस्तान को कश्मीर पर कब्जे का दांव चल ही देना चाहिए। भारत के एक्सपर्ट भी जानते और मानते हैं कि चीन और पाकिस्तान मिलकर भारत के खिलाफ अभियान छेड़ सकते हैं और इसके लिए सैन्य रणनीति भी लंबे समय से बनाई जा रही है। इसमें कोई दो राय नहीं कि भारत के लिए एक साथ दो मोर्चों पर युद्ध लड़ना सबसे बड़ी चुनौती होगी और पाकिस्तान यह ख्वाब बरसों से पाल रहा है। सो, इस समय पाकिस्तान की खामोशी तब चुभने लगती है, जब चीन और भारत के बीच, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर संघर्ष एक महीने से भी ज्यादा पुराना हो चुका हो। ऐसा लगता है कि पाकिस्तान के मीडिया ने लद्दाख में इस सैन्य संघर्ष को बिल्कुल अनदेखा ही कर दिया है। यह बात हैरान करने वाली है कि पाकिस्तान में अभी भारत की इस मुश्किल का जश्र्न नहीं मनाया जा रहा है। भारत और चीन के बीच सीमा पर तनातनी को लेकर, पाकिस्तान के मीडिया में कुछ गिनी चुनी खबरें ही आई हैं और वह भी भारतीय मीडिया के हवाले से। इसके अलावा, पाकिस्तान का मीडिया इस मसले पर पूरी तरह से खामोशी की चादर ओढ़े हुए है। भारतीय मीडिया में ऐसी कुछ खबरें आने के बाद कि चीन ने भारत की कुछ जमीन पर कब्जा कर लिया है, पाकिस्तान में थोड़ी हलचल देखी गई लेकिन इसकी चर्चा भी सोशल मीडिया तक ही सीमित है। कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने तो कहा कि चीन ने तकनीकी रूप से भारत पर आक्रमण’ कर दिया है। अब इस खबर को लेकर पाकिस्तान में कुछ उत्साह देखा जा रहा है। पाकी ट्विटर हैंडल आमतौर पर इस खबर को लेकर संयम से काम ले रहे हैं लेकिन भारत की मुश्किल का लुत्फ जरूर उठा रहे हैं। भारत में पाकिस्तान के पूर्व उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने तो ये एलानिया कह दिया, भारत इस पूरे क्षेत्र में अलग थलग पड़ चुका है। चीन और पाकिस्तान ही नहीं, नेपाल और यहां तक कि बांग्लादेश को भी भारत से गंभीर शिकायतें हैं। भूटान भी चीन के साथ कूटनीतिक संबंध स्थापित करने को लेकर आतुर है और श्रीलंका व तालिबान के नेतृत्व वाला भविष्य का अफग़ानिस्तान तो भारत पर कभी भी भरोसा नहीं करेंगे।’

अगर हम वर्ष 2017 के डोकलाम संकट की बात करें, तो उस दौरान पाकिस्तान के मीडिया ने जोर-शोर से इस मसले को उठाया था। सैकड़ों लेख लिखे गए थे। टीवी चैनलों पर इस विषय को लेकर लगातार डिबेट किए गए थे। लेकिन, इस बार लद्दाख में भारत और चीन के संघर्ष पर पाकिस्तान के मीडिया में कुछ खास चर्चा देखने को नहीं मिल रही है.। डोकलाम संकट के दौरान पाकिस्तान के लोगों को इस बात का यकीन था कि सीमा पर भारत और चीन के बीच ये तनातनी कभी भी हिंसक संघर्ष में तब्दील हो सकती है और अगर पूरी तरह युद्ध नहीं भी छिड़ा, तो भी चीन और भारत के बीच छोटी-मोटी जंग हो ही जाएगी। जब भारत और चीन के बीच कई हफ्तों तक तनाव के बावजूद युद्ध नहीं हुआ तो पाकिस्तान के फौजी प्रवक्ता आसिफ गफूर ने फेक न्यूज के माध्यम से तनातनी को जंग में तब्दील करने की नाकाम कोशिश भी की थी।

पाकिस्तान के कई मीडिया संस्थानों को उस वक्त एक व्हाट्‌सऐप मैसेज भेजा गया था, जिसमें दावा किया गया था कि भारत और चीन के बीच एक बड़ी झड़प हुई है और इसमें भारत के 150 से अधिक सैनिक मारे गए हैं। उस समय न तो भारत और न ही चीन किसी युद्ध के इच्छुक थे। इसीलिए, चीन के अधिकारियों ने फौरन ही इसे गलत ठहरा दिया। जल्द ही पता चल गया कि ये फेक न्यूज पाकिस्तानी फौज की मीडिया एजेंसी आईएसपीआर ने फैलाई थी। उसी दौरान ये ख़बरें भी आई थीं कि चीन ने पाकिस्तान को हड़काया था कि वह ऐसी हरकतों से बाज आए। शायद उसी हड़कावे का असर है कि इस बार लद्दाख में संघर्ष के दौरान पाकिस्तान की ओर से कोई आधिकारिक बयान तक नहीं आया है। फर्जी खबरों की तो बात ही छोड़ दें।

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