बेंगलूरु/दक्षिण भारतपूरे शहर में ब़डे-ब़डे फ्लेक्स बोर्डों पर विज्ञापनों का जाल कुछ इस तरह से बिछा हुआ है कि यहां के आसमान को देख पाना भी मुश्किल होने लगा है। मजे की बात यह है कि इनमें से अधिकांश फ्लेक्स बोर्ड विज्ञापन अवैध ढंग से लगाए गए हैं। इनसे बृहत बेंगलूरु महानगर पालिके (बीबीएमपी) को राजस्व नुकसान भी होता है लेकिन इसके बावजूद नागरिकों की तमाम आपत्तियों को दरकिनार किया जाता रहा है। अवैध फ्लेक्स बोर्डों को उतारने के लिए बीबीएमपी कोई ब़डा अभियान छे़डने में विफल साबित होता रहा है। वहीं, अब कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी बीबीएमपी के वरिष्ठ अधिकारियों को इस मामले में क़डी फटकार लगाई है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि पालिके इन बोर्डों से होने वाली दिक्कतें दूर करने के लिए अच्छी तरह से सोच विचार करने के बाद फ्लेक्स बोर्ड विज्ञापनों के बारे में एक नई नीति अपनाए। शुक्रवार को इस मसले पर दाखिल की गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान बीबीएमपी ने कोर्ट से नई नीति बनाने के लिए कुछ अधिक समय की मांग की। पालिके अधिकारियों का कहना था कि ८ अगस्त को बेंगलूरु शहर के संस्थापक केंपेगौ़डा की जयंती के अवसर पर आयोजित होने जा रहे कार्यक्रमों के समापन के बाद पालिके नई नीति लागू करेगी। वहीं, इस अनुरोध को खारिज करते हुए कर्नाटक के मुख्य न्यायाधीश दिनेश माहेश्वरी ने बीबीएमपी अधिकारियों से कहा कि पालिके अधिकारियों को अवैध फ्लेक्स बोर्ड विज्ञापन तत्काल प्रभाव से हटाने चाहिए। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इसके साथ ही पालिके अधिकारियों को एक आपात बैठक बुलाकर नई विज्ञापन नीति का खाका तैयार करने और इसे तत्काल प्रभाव से लागू करने का निर्देश दिया है। वहीं, मुख्य न्यायाधीश ने मामले की अगली सुनवाई के दौरान बीबीएमपी आयुक्त को अदालत में हाजिर होने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि आयुक्त खुद अदालत को इस बात की जानकारी दें कि पूर्व में फ्लेक्स बोर्ड पर लगे विज्ञापनों को हटाने के दौरान पालिके अधिकारियों पर किस प्रकार का हमला हुआ था। कोर्ट की सख्ती के बाद इस बात की उम्मीद जताई जा रही है कि बेंगलूरु के महापौर संपत राज और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शनिवार को इस मसले पर एक आपात बैठक करेंगे, जिसमें फ्लेक्स बोर्ड विज्ञापनों की नई नीति पर विचार किया जाएगा। यह नीति पालिके परिषद की मंजूरी के लिए इसकी अगली बैठक के दौरान ६ या ७ अगस्त को प्रस्तुत की जाएगी।