जयललिता के स्मारक पर घुटने टेकें और माफी मांगें और फिर पार्टी में लौट आएं

जयललिता के स्मारक पर घुटने टेकें और माफी मांगें और फिर पार्टी में लौट आएं

चेन्नई/दक्षिण भारतटीटीवी दिनाकरण का पक्ष लेने वाले १८ अयोग्य विधायकों से सत्तारू़ढ अखिल भारतीय अन्ना द्रवि़ड मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) ने सोमवार को कहा कि वह राज्य की पूर्व दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता के स्मारक पर घुटने टेकें और माफी मांगें और फिर पार्टी में लौट आएं। पार्टी के मुखपत्र नमाथु अम्मा’’ ने वर्ष २०१६ के विधानसभा चुनावों में सभी १८ विधायकों की जीत का श्रेय अन्नाद्रमुक की दिवंगत सु्प्रीमो को दिया और उनसे कहा कि वर्तमान संगठन में लौटने से पहले दिनाकरण का पक्ष लेने के लिए गहरा दुख जताएं। अन्नाद्रमुक नेतृत्व द्वारा अयोग्य १८ विधायकों की तरफ हाथ ब़ढाने के एक दिन पहले मुखपत्र में लिखे लेख में उनसे कहा गया कि वह सत्तारू़ढ दल में लौट आएं। पार्टी नेताओं पर पन्नीरसेल्वम और पलानीस्वामी ने आरोप लगाया है कि दिनाकरण ने उन्हें गुमराह किया। इसमें कहा कि अयोग्य विधायक दिनाकरण का पक्ष लेते हुए स़डकों पर आ गए हैं और उनकी स्थिति दयनीय है। पत्र में लिखा है कि जो लोग जयललिता के कारण विधायक बने वह अब गलत ध़डे में जाकर खत्म हो चुके हैं। इसमेंे कहा है आपने अन्नाद्रमुक का मंदिर छो़ड दिया और एएमएमके में शामिल हो गए्। चाहे आप फायदे के लिए गए या बिन चाहे गए, अम्मा द्वारा दिखाए गए रास्ते से भटकने के कारण यह स्थिति हुई है। इसमेंे कहा, ’’’’गहरा दुख जताइए। अम्मा (मरीना में उनके स्मारक) के पास घुटने टेकिए और आंखों में आंसू भरकर माफी मांगिए पार्टी को माफीनामा पत्र भेजकर समय रहते लौट आइये।’’’’मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री ने बागी विधायकों से कहा है कि आपने मंदिर जैसे अन्नाद्रमुक को छो़ड दिया और एएमएमके में शामिल हो गए। चाहे आप अपने फायदे के लिए गए या फिर अपनी इच्छा नहीं रहने के बाद भी उस पार्टी में गए, यह सब कुछ इसलिए हुआ क्योंकि आपने पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के बताए गए मार्ग पर चलना छो़ड दिया। इसमें कहा गया है कि दिनाकरण को स्वयं पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता ने पार्टी से निष्काषित कर दिया था। ऐसे में यदि दिनाकरण यह कहते हैं कि वह पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के पद चिन्हों पर चलते हैं तो यह पूरी तरह से झूठ होगा।ज्ञातव्य है कि २५ अक्टूबर को मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एम सत्यनारयण ने अन्नाद्रमुक के १८ विधायकों को अयोग्य घोषित करने के राज्य विधानसभा अध्यक्ष पी धनपाल के आदेश को बरकरार रखा था। इस आदेश के आने के बाद पलानीस्वामी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर मंडरा रहा खतरा टल गया है। ज्ञातव्य है कि दिनाकरण इस ताक में बैठे थे कि यदि उच्च न्यायालय द्वारा बागी विधायकों के पक्ष मंे आदेश दिया जाता है तो वह कुछ विपक्षी पार्टियों के साथ मिलकर राज्य की सत्तारुढ अन्नाद्रमुक सरकार को गिराने की कोशिश करेंगे।ज्ञातव्य है कि इससे पूर्व गत शनिवार को उप मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम ने कहा था कि मैं १८ अयोग्य करार दिए गए विधायक सहित सभी ऐसे कार्यकर्ताओ को पार्टी में वापस आने का अनुरोध करता हूं जो किसी कारणवश वैकल्पिक रास्ते पर चल प़डे थे। उन्होंने कहा कि जो पार्टी कार्यकर्ता दिग्भ्रमित होने या किसी दूसरे के बहकावे में आने के कारण अन्नाद्रमुक से दूर हुए हैं उन्हें मैं प्यार से वापस पार्टी में आने और पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता द्वारा शुरु किए जन आंदोलन में शामिल होने का अनुरोध करता हूं।

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