कर्नाटक: दफ्तरों के चक्कर से मिलेगी मुक्ति, गांवों में जल्दी होंगे राजस्व विभाग के काम

कर्नाटक: दफ्तरों के चक्कर से मिलेगी मुक्ति, गांवों में जल्दी होंगे राजस्व विभाग के काम

कर्नाटक: दफ्तरों के चक्कर से मिलेगी मुक्ति, गांवों में जल्दी होंगे राजस्व विभाग के काम

प्रतीकात्मक चित्र। स्रोत: PixaBay

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक के राजस्व अधिकारी ग्रामीणों के विभिन्न मसले सुलझाने और संवाद के लिए महीने के हर तीसरे शनिवार को उनके साथ होंगे। यह कार्यक्रम 20 फरवरी को शुरू होगा, जिसके तहत उपायुक्त, तहसीलदार, सर्वेक्षक और संबंधित सभी राजस्व अधिकारी गांवों में रातभर रहेंगे। राजस्व मंत्री आर अशोक स्वयं डोड्डाबल्लापुर के होसाहल्ली में एक रात बिताएंगे।

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इससे ग्रामीणों की विभिन्न समस्याओं का गांव में ही निराकरण हो जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि इन यात्राओं के दौरान अधिकारी राजस्व विभाग के दायरे में आने वाली किसी भी समस्या, जैसे भूमि, पेंशन, बीपीएल कार्ड या अन्य सेवाओं को लेकर कार्यवाही करेंगे।

हर महीने 227 गांव
मंत्री ने बताया कि राज्य में 227 तहसीलदार हैं। ऐसे में हर महीने, 227 गांवों को कवर किया जाएगा। अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि संबंधित स्थान पर ही समाधान करें ताकि ग्रामीणों को जिला दफ्तरों के चक्कर न लगाने पड़ें।

मंत्री अशोक ने कहा कि अधिकारी गांव के छात्रावास या आंगनबाड़ी में रहेंगे। इससे वे ग्रामीणों के समक्ष उपस्थित होने वाली समस्याओं से भलीभांति परिचित हो सकेंगे, उन्हें समाधान में मदद मिलेगी। अगर इन इमारतों के बुनियादी ढांचे से संबंधित कोई दिक्कत है तो अधिकारी तुरंत ठीक करेंगे।

महिला अधिकारियों के लिए यह प्रावधान
मंत्री ने बताया कि उन्होंने सभी अधिकारियों को परिवहन पर पैसा खर्च नहीं करने का निर्देश दिया था। गांव में जो भी उपलब्ध है, उन्हें उससे इंतजाम करना होगा। महिला अधिकारियों को उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए गांव में किसी के घर में रहने की अनुमति दी गई है।

बताया गया कि मंत्री अशोक होसाहल्ली में गांव के दलित समाज के लोगों से बातचीत करेंगे और फिर रात को सरकारी छात्रावास में ठहरेंगे।

फर्जी खाते होंगे खत्म
मंत्री ने पेंशन भुगतान के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इसके लिए नए ‘नवोदय’ ऐप का इस्तेमाल किया जाएगा। सरकार लाभार्थियों की पहचान करेगी। इस कार्य के लिए राशन कार्ड का विवरण, आयु और आय आदि बिंदुओं को ध्यान में रखा जाएगा। अधिकारी लाभार्थियों के दरवाजे से तस्वीरें और अन्य जरूरी जानकारी एकत्र करेंगे और पेंशन प्रमाणपत्र जारी करेंगे। बाद में पेंशन बैंक खातों में भेज दी जाएगी।

मंत्री ने बताया कि इस प्रक्रिया के जरिए सरकार फर्जी खातों को खत्म करने की उम्मीद करती है। उन्होंने आंकड़े गिनाते हुए कहा कि सरकार 69 लाख लोगों को पेंशन देती है। इसमें हर साल, लगभग 4 लाख नए लाभार्थियों को जोड़ा जाता है।

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