चिक्कबल्लपुरा ने बढ़ाई दिग्गजों की चिंता, हैट्रिक की राह में मोइली को मिल रही कड़ी चुनौती

चिक्कबल्लपुरा ने बढ़ाई दिग्गजों की चिंता, हैट्रिक की राह में मोइली को मिल रही कड़ी चुनौती

वीरप्पा मोइली एवं बीएन बच्चेगौड़ा

चिक्कबल्लपुरा/दक्षिण भारत। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एम वीरप्पा मोइली चिक्कबल्लापुरा लोकसभा सीट से जीत की हैट्रिक बनाने के लिए भाजपा उम्मीदवार और पूर्व मंत्री बीएन बच्चेगौड़ा से कड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं। इस क्षेत्र में मतदान राज्य में पहले चरण के चुनाव में 18 अप्रैल को निर्धारित है, जबकि दूसरे और अंतिम चरण में 23 अप्रैल के लिए निर्धारित किया गया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री मोइली का कन्नड़ साहित्य के क्षेत्र में योगदान है। उन्होंने कई किताबें लिखी हैं। वे 2009 से इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

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मोइली मूल रूप से तटीय कर्नाटक से हैं। साल 2014 में मोदी लहर के बावजूद उन्होंने अपनी सीट बरकरार रखी। हालांकि जीत का अंतर 9,500 वोट रहा। वोक्कलिगा बहुल निर्वाचन क्षेत्र चिक्कबल्लापुरा में दलितों, मुसलमानों और अन्य पिछड़े वर्ग के मतदाताओं की बड़ी आबादी है। तीसरी बार लगातार जीत दर्ज करने के प्रयासों में जुटे मोइली को इनके समर्थन की उम्मीद है।

गठबंधन का मिलेगा लाभ
हालांकि, स्थानीय व्यक्ति होने के नाते बच्चेगौ़डा इस बार मोइली के गढ़ पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं और 18 अप्रैल को होने वाला कर्नाटक के पहले चरण का चुनावी मुकाबला दिनों-दिन मुश्किल होता जा रहा है। एक कांग्रेस कार्यकर्ता मुनिस्वामी ने बताया कि जातिगत संयोजन के साथ-साथ जनता दल (एस) के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन मोइली के पक्ष में काम करेगा, लेकिन कांग्रेस पार्टी के नेताओं के भीतर आंतरिक कलह एक बड़ा सिरदर्द है।

सोनिया गांधी के भरोसेमंद मोइली तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली संप्रग सरकार में प्रभावशाली मंत्री थे। उन्होंने जिले में व्याप्त पेयजल समस्या के समाधान के लिए विवादास्पद यतिनहोले लिफ्ट पेयजल परियोजना की मंजूरी पाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।हालांकि, भाजपा के एक समर्थक कृष्णमूर्ति कहते हैं कि यतिनहोले परियोजना के कार्यान्वयन में देरी मोइली के लिए समस्या खड़ी कर रही है, क्योंकि उन्होंने वर्ष 2009 में चुनाव के पांच साल के भीतर पानी लाने का वादा किया था। यतिनहोले परियोजना की अनुमानित लागत 3,500 करोड़ रुपए थी, जो 19,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि फिर भी यह उम्मीद नहीं है कि निकट भविष्य में यह पूरी हो जाएगी।

एक समय में कृषि प्रधान रहा यह इलाका अब व्यावसायिक क्षेत्र में परिवर्तित हो रहा है। चूंकि यह टेक हब बेंगलूरु के नजदीक है। जब वर्ष 2008 में केंपेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा खोला गया, तब से इस जिले के लोगों के लिए बड़े अवसर खुले हैं। लेकिन जिले के लोगों के मन में चिंता भी है, जैसा कि वे कहते हैं कि राज्य सरकार विदेशी निवेशकों के लिए लाल कालीन बिछा रही है। उद्योगों की वजह से कृषि भूमि के ब़डे क्षेत्र को खोने का डर है। हालांकि, हवाईअड्डा खुलने के बाद जिले में जमीन की कीमतें चार गुना तक बढ़ गई हैं।

बच्चेगौड़ा जीत के प्रति आश्वस्त
होसकोटे से ताल्लुक रखने वाले बच्चेगौ़डा लोकसभा में एंट्री के लिए आश्वस्त हैं। वे यह आरोप लगाते हैं चिक्कबल्लापुरा के लोगों ने दो बार मोइली को चुना, जो बाहरी व्यक्ति हैं। लोग यह महसूस कर चुके हैं कि कांग्रेस उम्मीदवार जिले की समस्याओं को दूर करने में विफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दस वर्षों में जिला सबसे बड़े कृषि संकट में से एक का सामना कर रहा है, क्योंकि राज्य सरकार ने अर्ध-शहरी निर्वाचन क्षेत्र में स्थिति को ठीक करने के लिए कुछ भी नहीं किया है। भाजपा प्रत्याशी इस पार्टी के पुराने कार्यकर्ता रहे हैं। वे बीएस येड्डीयुरप्पा सरकार में मंत्री बने। इसके अलावा ‘स्थानीय उम्मीदवार’ का टैग उनकी स्थिति को मजबूती प्रदान करता है। संघ परिवार का सहयोग मिलने के साथ वे राज्यभर में ‘मोदी लहर’ के बूते चुनावी परिणाम खुद के पक्ष में करने के लिए खूब मेहनत कर रहे हैं।

इतिहास पर गौर करें तो चिक्काबल्लापुरा निर्वाचन क्षेत्र कांग्रेस का ग़ढ रहा है। वर्ष 1996 के आम चुनावों के अलावा यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार 10 बार संसद में भेजे गए। वर्ष १९९६ के चुनाव में जनता पार्टी के उम्मीदवार आरएल जालप्पा जीते थे और केंद्र में एचडी देवेगौड़ा के नेतृत्व वाली संयुक्त मोर्चा सरकार में केंद्रीय मंत्री भी बने।

यहां के आठ विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस पांच सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही है। दो सीटों पर जद (एस) और एक सीट पर भाजपा का कब्जा है। वहीं, मोइली और बच्चेगौड़ा की सीधी टक्कर और बसपा व सीपीआई (एम) प्रत्याशियों सहित 15 लोगों के मुकाबले ने चुनाव जंग को और मुश्किल बना दिया है।

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