अन्ना काफी नाराज हैं प्रधानमंत्री से

अन्ना काफी नाराज हैं प्रधानमंत्री से

हलद्वानी। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर देश में पुनर्जागरण के प्रणेता समाजसेवी अन्ना हजारे ने केन्द्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार के खिलाफ बिगुल फूंकने का निर्णय ले लिया है। देश के किसानों की समस्याओं को लेकर अन्ना हजारे ने २३ मार्च से नई दिल्ली स्थित रामलीला मैदान में अनशन करने की घोषणा कर दी है। अन्ना ने कहा कि उनका यह अनशन तब तक जारी रहेगा जब तक कि उनकी मांगें नहीं मान ली जातीं या तो वह अपनी मांगंे मनवाकर रहेंगे या फिर अपनी जान दे देंगे। हलद्वानी में किसानों की सभा को संबोधित करते हुए अन्ना हजारे ने कहा कि केन्द्र सरकार को देश के किसानों की नहीं बल्कि उद्योगपतियों की चिंता है। उन्होंने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए अपने आगामी दिल्ली अभियान के बारे में भी बताया। उन्होंने केन्द्र सरकार पर लोकपाल को कमजोर करने का भी आरोप लगाया।झ्श्नथ्य्द्मद्बैंख़य्र्‍ द्बह्ख्रर्‍ झ्द्य फ्य्थ्य् ्यद्मप्रय्य्द्मय्अन्ना ने जनसमूह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि चुनाव जीतने के बाद मोदी बदल गए हैं। उन्होंने कहा कि जिस मोदी को पहले आम लोगों की चिंता होती थी उसका आज आम आदमी से कोई वास्ता नहीं है। अन्ना ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उन्होंने उनके प्रधानमंत्री पद ग्रहण करने से लेकर अब तक पिछले तीन वर्षों के दौरान ४० पत्र लिखे लेकिन उन्होंने उनके (अन्ना के) एक भी पत्र का जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि हमारे देश की सरकारों को आंदोलन को नहीं गिरने का डर होता है और उन्होंेने दिल्ली में दो बार अनशन किया और दोनों ही बार सरकारें गिरी हैं।·र्ल्ैं्यप्त ृय्द्भह्ख् ·र्ैंह् फ्ैंप्स्थ्य्यद्म·र्ैं ख्रज्य्श्च ख्रष्ठद्मष्ठ ·र्ैंर्‍ द्बय्ैंख् ·र्ैंर्‍अन्ना हजारे ने प्रत्येक राज्यों में गठित कृषि आयोग की बदहाली पर अपने विचार रखते हुए कहा कि इन आयोगों द्वारा अपनी संस्तुति केन्द्र सरकार को भेजी जाती है लेकिन दिल्ली में बैठे शुक्राचार्य इन आयोगों की मांगों में ५० प्रतिशत तक की कमी कर देते हैं। उन्होंने मांग की कि इन आयोगों से केन्द्र सरकार का नियंत्रण पूरी तरह से समाप्त किया जाना चाहिए क्योंकि इनके द्वारा कृषि उत्पादों के सही मूल्य का निर्धारण नहीं किया जाता। अन्ना हजारे ने कहा कि राज्य में पिछले २२ वर्षों में २२ लाख से अधिक किसान आत्महत्या कर चुके हैं जबिक एक भी उद्योगपति ने ऐसा गंभीर कदम नहीं उठाया है इसके बावजूद केन्द्र सरकार किसानों की चिंता करने के बजाय उद्योगपतियों की चिंता करने और जीएसटी तथा नोटबंदी लागू करने में उलझी हुई है, व्यस्त है। अन्ना हजारे ने अपने संबोधन के दौरान चुनाव सुधार पर भी बल दिया और कहा कि देश में चुनाव चिन्हों के उपयोग को पूरी तरह से समाप्त करने की आवश्यकता है।द्मब्र्‍्र झ्स्ख्रय् ब्ह्द्मष्ठ ख्रष्ठैंख्ष्ठ ख्ररूफ्द्यय् ·र्ष्ठैंज्द्यर्‍प्य्ध् अन्ना के संबोधन में पूर्व में जनलोकपाल की मांग के साथ उनके द्वारा किए गए आंदोलन का राजनीतिक लाभ उठाए जाने की पी़डा भी झलकी। अन्ना ने कहा कि इस बार जब वह दिल्ली में आंदोलन करेंगे तो यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे कि कोई दूसरा केजरीवाल पैदा नहीं हो सके। उन्होंने कहा कि अब वह अपने आंदोलन से जु़डने वाले कार्यकर्ताओं से पहले १०० रुपए के स्टांप पेपर पर यह लिखवाएंगे कि वह भविष्य में किसी राजनीतिक संगठन से संबंध नहीं रखेगा और यदि कोई ऐसा करता है तो वह उसे कोर्ट के चक्कर कटवाएंगे।

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