मां ने दिया ‘आत्मनिर्भर’ होने का मंत्र, विदेश की नौकरी छोड़ बेटी बनी मिसाल
मां ने दिया ‘आत्मनिर्भर’ होने का मंत्र, विदेश की नौकरी छोड़ बेटी बनी मिसाल
.. राजीव शर्मा ..
दीमापुर/दक्षिण भारत। उनके पास अमेरिका के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से डिग्री थी और एक बेहतरीन नौकरी, जो आज असंख्य लोगों के जीवन का एक सपना है, लेकिन वे भारत स्थित अपने गांव लौटीं और स्वरोजगार की शुरुआत की। यह कहानी है नागालैंड की युवा उद्यमी अकीतोली सू की, जो अपनी प्रतिभा और परिश्रम से बहुत लोगों के लिए प्रेरणा बन गई हैं।एक साक्षात्कार में अकीतोली ने बताया कि वे प्रकृति से बहुत लगाव रखती हैं। साल 2012 से यह लगाव और गहरा हो गया है। वे बतौर पोषण विशेषज्ञ अमेरिका और ब्रिटेन में काम कर चुकी हैं। इसके बाद उन्होंने भारत लौटने का फैसला किया ताकि अपने पिता के रबर प्लांट में हाथ बंटा सकें।
यही वह समय था जब प्रकृति के साथ उनका खास लगाव विकसित हुआ। चूंकि उन्होंने ‘पोषण’ की एक विषय के तौर पर पढ़ाई की थी, इसलिए ऐसे प्राकृतिक पदार्थों के बारे में जानती थीं जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं। उन्होंने पाया कि दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाली कई चीजें ऐसी हैं जिनमें रसायनों का उपयोग होता है जो दीर्घकाल में बहुत नुकसान पहुंचाते हैं। ये पर्यावरण के लिए भी हानिकारक होते हैं। बाजार में बिक रहीं सब्जियां, कई साबुन और विभिन्न उत्पाद ऐसे रसायनों का उपयोग कर तैयार किए जा रहे हैं।
ऐसे आया कमाल का आइडिया
यहीं से उनके दिमाग में एक विचार आया .. क्यों ना ऐसा साबुन तैयार किया जाए जो बिल्कुल प्राकृतिक हो, जिसमें किसी भी प्रकार के हानिकारक रसायन का इस्तेमाल नहीं किया जाए! शुरुआत में अकीतोली ऐसे साबुन सिर्फ परिवार के उपयोग के लिए ही बनाना चाहती थीं, लेकिन लोगों ने इन उत्पादों को इतना पसंद किया कि 2014 में एक कंपनी अस्तित्व में आ गई- ‘एंग्री मदर सोप’।
अकीतोली बताती हैं कि वे साबुन बनाने में नारियल, लेमनग्रास, जैतून, बादाम सहित विभिन्न प्राकृतिक तेलों का उपयोग करती हैं जो त्वचा को नुकसान नहीं पहुंचाते। अकीतोली के अनुसार, वे अब तक 35 हजार से ज्यादा साबुन बेच चुकी हैं।
किसी भी कारोबार में सिर्फ शुरुआत कर देना ही काफी नहीं होता, अकीतोली इस बात को बखूबी जानती हैं। वे साबुन निर्माण की नई विधियों के बारे में अध्ययन करती रहती हैं। इस काम में इंटरनेट बहुत मददगार साबित हुआ है।
कैसे बनाया पहली बार साबुन?
पहली बार साबुन बनाया तो कैसा महसूस हुआ? इसके बारे में अकीतोली बताती हैं, ‘जब मैंने पहली बार साबुन बनाया तो पता नहीं था कि तैयार होने पर यह कैसा होगा। पूरी तरह से प्राकृतिक इस साबुन में बादाम, नारियल और जैतून के तेल का मिश्रण था। मैंने इसे परिजन और दोस्तों को दिया और कहा कि इनका इस्तेमाल कर अपनी प्रतिक्रिया दें।’
नतीजे शानदार रहे। अकीतोली के साबुन को सबने पसंद किया और इससे प्रेरित होकर उन्होंने सीखने की प्रक्रिया जारी रखी। वे अब तक 22 तरह के साबुन बना चुकी हैं, जिनमें गाय का दूध, टमाटर, खास तरह की लाल मिट्टी, जौ और विभिन्न वनस्पतियों का उपयोग किया गया है जो त्वचा के लिए लाभदायक मानी जाती हैं।
अकीतोली अपने कारोबार को साबुन तक ही सीमित नहीं रखना चाहतीं। वे प्राकृतिक शैंपू, परफ्यूम, लिप बाम, केशतेल, मसाज तेल, छोटे बच्चों के लिए साबुन, पालतू जानवरों के लिए साबुन आदि भी बना चुकी हैं और उनके उत्पादों को सराहना मिल रही है।
हर महिला बने आत्मनिर्भर
अकीतोली की मां हैंडलूम के कारोबार से जुड़ी हैं। उनकी सीख ‘हर महिला को आत्मनिर्भर बनना चाहिए’ अकीतोली के लिए सफलता का मंत्र बन गई और इसी का परिणाम है- ‘एंग्री मदर सोप’।
डिग्री का मतलब सिर्फ नौकरी नहीं
साल 2012 के आखिर में जब वे अमेरिका व ब्रिटेन से अध्ययन और काम के अनुभव के साथ स्वदेश लौटना चाहती थीं तो उनके सामने अनिश्चितता के बादल थे। कई लोगों ने उनके फैसले पर सवाल भी उठाए, लेकिन अकीतोली ने अपनी मेहनत, सूझबूझ और लगन से यह साबित कर दिया कि डिग्री का मतलब सिर्फ नौकरी करना नहीं, बल्कि उद्यमी बनकर ‘आत्मनिर्भर’ बनना भी हो सकता है। आज अकीतोली की कंपनी और उनकी मां का हैंडलूम कारोबार स्थानीय लोगों को रोजगार के मौके दे रहा है।
रास्ता दिखाएगी यह ऊर्जा
अकीतोली सीखने की प्रक्रिया पर बहुत जोर देती हैं। वे कई घंटे अध्ययन और नए प्रयोगों में बिताती हैं। वे कहती हैं, सीखने की प्रक्रिया कभी बंद न करें। यही वह ऊर्जा है जो आपको आने वाले समय में रास्ता दिखाती रहेगी।