आरएसएस को अयोध्या मामले का फैसला हिंदुओं के पक्ष में आने की उम्मीद

आरएसएस को अयोध्या मामले का फैसला हिंदुओं के पक्ष में आने की उम्मीद

राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामला

भुवनेश्वर/भाषा। राष्ट्रीय स्वयंसेवसक संघ (आरएसएस) ने उम्मीद जताई है कि रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले में उच्चतम न्यायालय का फैसला हिंदुओं के पक्ष में आएगा। आरएसएस के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने यहां संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की तीन दिवसीय बैठक के समापन के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा कि संघ राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के लिए गणना का समर्थन करता है और सभी राज्यों को राष्ट्र के कल्याण के लिए इसे अपनाना चाहिए।

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इस मौके पर आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत भी मौजूद थे। यह बैठक पहली बार ओडिशा में हुई। जोशी ने कहा, हम आशावान हैं कि उच्चतम न्यायालय का फैसला हिंदुओं के पक्ष में आएगा। उनसे सवाल पूछा गया था कि जब उच्चतम न्यायालय का फैसला आएगा तब क्या आरएसएस उसे स्वीकार करेगा। राजनीतिक रूप से संवेदनशील अयोध्या मामले की सुनवाई बुधवार को समाप्त हो गई और उच्चतम न्यायालय ने इस पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

इस मामले में अदालत के बाहर समझौता करने की कोशिशों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, यहां लंबे समय से मध्यस्थता के जरिए हल निकालने की कोशिशें की गई लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला। अगर ऐसा होता तो मामला अदालत में नहीं गया होता। उन्होंने कहा कि आरएसएस लंबे समय से अयोध्या में प्रस्तावित श्री राम मंदिर के निर्माण से पहले बाधाओं को हटाने की हिमायत कर रही है। हालांकि ऐसा हुआ नहीं और अदालत में कार्यवाही चलती रही।

विवादित एनआरसी पर एक सवाल के जवाब में जोशी ने कहा, हालांकि एनआरसी की कवायद केवल असम में हुई लेकिन सभी राज्यों को इसे अपनाना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि घुसपैठियों के कारण भारतीय नागरिक अपने अधिकारों से वंचित न हों। देश के कल्याण और उसकी सुरक्षा के लिए राज्यों को इसे अपनाना चाहिए। देश और राज्य के पास अपने नागरिकों की असल स्थिति होनी चाहिए।

आरएसएस के सरकार्यवाहक ने कहा कि यह किसी भी सरकार की जिम्मेदारी है कि वह राज्य में अपने नागरिकों की असल स्थिति को जाने और शरणार्थियों की पहचान करें तथा प्रशासन को सुनिश्चित करना चाहिए कि राष्ट्र विरोधी गतिविधियां रोकी जाएं। जोशी ने कहा, एनआरसी जैसी प्रक्रिया अनिवार्य बन गयी है क्योंकि कुछ राज्यों में बाहरी लोगों की संख्या अधिक है जो राष्ट्र विरोधी ताकतों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और हिंदुओं के खिलाफ काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, बढ़ते जनसांख्यिकी असंतुलन और देश की सुरक्षा के खतरे से निपटने के लिए पड़ोसी देशों से घुसपैठियों की पहचान करने के लिए भी एनआरसी अनिवार्य है। उन्होंने दावा किया कि पश्चिम बंगाल में हिंदुओं का जातीय सफाया किया गया और उन्होंने इस पर चिंता जताई। उनसे इस महीने दुर्गा पूजा के दौरान मुर्शिदाबाद में एक स्कूल शिक्षक के परिवार के तीन सदस्यों की हत्या पर सवाल पूछा गया था।

जोशी ने कहा, इसे फौरन रोकना होगा। पश्चिम बंगाल सरकार की चुप्पी कई मायनों में हैरान करने वाली है क्योंकि बंगाल का शांति और भाईचारे का इतिहास रहा है। गौरतलब है कि आरएसएस और भाजपा दावा कर रही हैं कि स्कूल शिक्षक उनका समर्थक था लेकिन पीड़ित के रिश्तेदारों और व्यक्ति की मां ने इससे इनकार किया है।

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाए जाने पर जोशी ने कहा कि विस्थापित कश्मीरी पंड़ितों की राज्य में वापसी होनी चाहिए। उन्होंने कहा, सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने चाहिए कि मूल कश्मीरी अपने पैतृक स्थानों पर लौटें और बिना किसी डर के रहे। पूरे देश में समान नागरिक संहिता का समर्थन करते हुए जोशी ने कहा, देश में सभी के लिए कानून एक होना चाहिए न कि अलग-अलग लोगों के लिए अलग।

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