कोरोना संकट के समय भगवान बुद्ध के उपदेश और प्रासंगिक हैं: मोदी
कोरोना संकट के समय भगवान बुद्ध के उपदेश और प्रासंगिक हैं: मोदी
नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को आषाढ़ पूर्णिमा और धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस पर संदेश में कहा कि पूरी दुनिया ने त्रासदी के वक्त भगवान बुद्ध की शिक्षा की ताकत को महसूस किया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आप सभी को धम्म चक्र प्रवर्तन दिवस और आषाढ़ पूर्णिमा की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। आज हम गुरु पूर्णिमा भी मनाते हैं और आज के ही दिन भगवान बुद्ध ने बुद्धत्व की प्राप्ति के बाद अपना पहला ज्ञान संसार को दिया था।प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे यहां कहा गया है- जहां ज्ञान है, वही पूर्णत: है, वही पूर्णिमा है। जब उपदेश करने वाले स्वयं बुद्ध हो तो स्वाभाविक है कि ज्ञान संसार के कल्याण का पर्याय बन जाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सारनाथ में भगवान बुद्ध ने पूरे जीवन का, पूरे ज्ञान का सूत्र हमें बताया था। उन्होंने दुख के बारे में बताया, दुख के कारण के बारे में बताया, ये आश्वासन दिया कि दुखों से जीता जा सकता है, और इस जीत का रास्ता भी बताया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज कोरोना महामारी के रूप में मानवता के सामने वैसा ही संकट है, जब भगवान बुद्ध हमारे लिए और भी प्रासंगिक हो जाते हैं। भगवान बुद्ध के मार्ग पर चलकर ही बड़ी से बड़ी चुनौती का सामना हम कैसे कर सकते हैं। भारत ने यह करके दिखाया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान बुद्ध ने हमें जीवन के लिए अष्टांग सूत्र दिए: सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, सम्यक वाणी, सम्यक कर्म, सम्यक आजीविका, सम्यक प्रयास, सम्यक मन और सम्यक समाधि।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बुद्ध के सम्यक विचार को लेकर आज दुनिया के देश भी एक दूसरे का हाथ थाम रहा हैं, एक दूसरे की ताकत बन रहे हैं। इस दिशा में इंटरनेशनल बुद्धिष्ट कन्फेडरेशन की केयर विद प्रेयर पहल भी प्रशंसनीय है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि त्याग और तितिक्षा से तपे बुद्ध जब बोलते हैं तो केवल शब्द ही नहीं निकलते, बल्कि धम्मचक्र का प्रवर्तन होता है। इसलिए, तब उन्होंने केवल पांच शिष्यों को उपदेश दिया था, लेकिन आज पूरी दुनिया में उन शब्दों के अनुयायी हैं, बुद्ध में आस्था रखने वाले लोग हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज कोरोना महामारी के रूप में मानवता के सामने वैसा ही संकट है, जब भगवान बुद्ध हमारे लिए और भी प्रासंगिक हो जाते हैं। भगवान बुद्ध के मार्ग पर चलकर ही बड़ी से बड़ी चुनौती का सामना हम कैसे कर सकते हैं, भारत ने यह करके दिखाया है।