देश के विकास का इंजन बनने की क्षमता रखता है पूर्वोत्तर: मोदी

देश के विकास का इंजन बनने की क्षमता रखता है पूर्वोत्तर: मोदी

देश के विकास का इंजन बनने की क्षमता रखता है पूर्वोत्तर: मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नई दिल्ली/भाषा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि पूर्वोत्तर में भारत के विकास का इंजन बनने की क्षमता है और उनके इस विश्वास का कारण यह है कि इस क्षेत्र में शांति की स्थापना हो रही है। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए मणिपुर जल आपूर्ति परियोजना की आधारशिला रखते हुए यह बात कही।

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‘मणिपुर जल आपूर्ति परियोजना’ का मकसद ग्रेटर इंफाल योजना क्षेत्र में शेष घरों में पाइप के जरिए स्वच्छ जलापूर्ति कराना और मणिपुर के सभी 16 जिलों में 2,80,756 घरों के साथ 1,731 ग्रामीण बस्तियों में जलापूर्ति करना है।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आज का ये कार्यक्रम, इस बात का उदाहरण है कि कोरोना के इस संकट काल में भी देश रुका नहीं है, देश थमा नहीं है। हमें कोरोना के खिलाफ मजबूती से लड़ते रहना है और साथ ही विकास के कार्यों को भी पूरी ताकत से आगे बढ़ाना है।’

उनकी सरकार द्वारा पूर्वोत्तर में किए गए विकास कार्यों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया, ‘पूर्वोत्तर में देश का ‘ग्रोथ इंजन’ बनने की क्षमता है। दिनों-दिन मेरा ये विश्वास इसलिए गहरा हो रहा है क्योंकि अब पूरे नॉर्थ ईस्ट में शांति की स्थापना हो रही है।’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘एक तरफ जहां मणिपुर में ब्लॉकेड इतिहास का हिस्सा बन चुके हैं, वहीं असम में दशकों से चला आ रहा हिंसा का दौर थम गया है। त्रिपुरा और मिज़ोरम में भी युवाओं ने हिंसा के रास्ते का त्याग किया है। अब ब्रू-रियांग शरणार्थी एक बेहतर जीवन की ओर बढ़ रहे हैं।’

उन्होंने कहा, ‘इस बार तो पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत को एक तरह से दोहरी चुनौतियों से निपटना पड़ रहा है। पूर्वोत्तर में फिर इस साल भारी बारिश से बहुत नुकसान हो रहा है। अनेक लोगों की मृत्यु हुई है, अनेक लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है।’

प्रधानमंत्री के मुताबिक, मणिपुर में कोरोना संक्रमण की गति और दायरे को नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार दिन रात जुटी हुई है। लॉकडाउन के दौरान मणिपुर के लोगों के लिए ज़रूरी इंतज़ाम हों, या फिर उनको वापस लाने के लिए विशेष प्रबंध, राज्य सरकार ने हर जरूरी कदम उठाए हैं।

उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत मणिपुर के करीब 25 लाख गरीब भाई-बहनों को मुफ्त अनाज मिला है। इसी तरह डेढ़ लाख से अधिक बहनों को उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त गैस सिलेंडर की सुविधा दी गई है।’

मोदी ने मणिपुर की परियोजना का उल्लेख करते हुए कहा, ‘ये परियोजना आज की ही नहीं बल्कि अगले 20-22 साल तक की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है। इस परियोजना से लाखों लोगों को घर में पीने का साफ पानी तो उपलब्ध होगा ही, हज़ारों लोगों को रोज़गार भी मिलेगा।’

उन्होंने कहा, ‘पिछले वर्ष जब देश में ‘जल जीवन मिशन’ की शुरुआत हो रही थी, तभी मैंने कहा था कि हमें पहले की सरकारों के मुकाबले कई गुना तेजी से काम करना है। जब 15 करोड़ से ज्यादा घरों में पाइप से पानी पहुंचाना हो, तो एक पल के लिए भी रुकने के बारे में सोचा नहीं जा सकता।’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आज स्थिति ये है कि देश में करीब-करीब एक लाख वॉटर कनेक्शन हर रोज दिए जा रहे हैं। यानी हर रोज एक लाख माताओं-बहनों के जीवन से पानी की इतनी बड़ी चिंता को हम दूर कर रहे हैं, उनका जीवन आसान बना रहे हैं।’

उन्होंने कहा, ‘ये तेज़ी इसलिए भी संभव हो पा रही है, क्योंकि जल जीवन मिशन एक जनआंदोलन के रूप में आगे बढ़ रहा है। इसमें गांव के लोग, गांव की बहनें, गांव के जनप्रतिनिधि ही तय कर रहे हैं कि कहां पाइप बिछेगी, कहां पानी का सोर्स बनेगा, कहां टैंक बनेगा, कहां कितना बजट लगेगा।’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘आज एलपीजी गरीब से गरीब की रसोई तक पहुंच चुकी है।’ हर गांव को अच्छी सड़क से जोड़ा जा रहा है। हर गरीब बेघर को रहने के लिए अच्छे घर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। एक बड़ी कमी रहती थी साफ पानी की, तो उसको पूरा करने के लिए भी मिशन मोड पर काम चल रहा है।’

उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘हमारा ये पूर्वोत्तर, एक प्रकार से पूर्वी एशिया के साथ हमारे प्राचीन सांस्कृतिक रिश्तों और भविष्य के व्यापार, यात्रा और पर्यटन के रिश्तों का द्वार है। इसी सोच के साथ मणिपुर सहित पूरे पूर्वोत्तर में संपर्क से जुड़े बुनियादी ढांचे पर निरंतर बल दिया जा रहा है।’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘ये एक तरफ से म्यांमार, भूटान, नेपाल और बांग्लादेश के साथ हमारे सामाजिक और व्यापारिक रिश्तों को मज़बूती देती है, वहीं भारत की ‘ऐक्ट ईस्ट पॉलिसी’ को भी सशक्त करती है।’

उन्होंने कहा, ‘राजमार्ग, वायुमार्ग, जलमार्ग और ‘आई-वेज’ के साथ-साथ गैस पाइपलाइन का भी आधुनिक अवसंरचना का जाल पूर्वोत्तर में बिछाया जा रहा है। बीते छह साल में संपूर्ण पूर्वोत्तर के बुनियादी ढांचे पर हज़ारों करोड़ रुपए का निवेश किया गया है।’

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