जीवन परिवर्तन की ओर बढ़ने का समय है चातुर्मास: आचार्यश्री अभयशेखरसूरी

विद्यार्थियों ने बैंड और सलामी के साथ संतों का स्वागत किया

जीवन परिवर्तन की ओर बढ़ने का समय है चातुर्मास: आचार्यश्री अभयशेखरसूरी

'चातुर्मास में ज़्यादा से ज़्यादा जुड़कर ज्ञान का लाभ प्राप्त करना है'

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। शहर के आदिनाथ जैन श्वेताम्बर संघ, चिकपेट के तत्वावधान में प्रेम-भुवनभानुसूरी समुदायवर्ती आचार्य श्री अभयशेखरसूरीश्वरजी की निश्रा में पंन्यासश्री जयभानुशेखरविजयजी, मुनिश्री आर्यशेखरविजयजी का साथ आचार्यसम पंन्यासश्री चंद्रशेखरविजयजी के शिष्य गणिवर्यश्री गुणहंसविजयजी, साध्वीश्री हर्षज्योति श्रीजी, अर्हमज्योति श्रीजी का सोमवार को चातुर्मास प्रवेश हुआ। 

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सुबह अभिनव थियेटर के पास से सामैया के पश्चात विविध राजमार्गों से होते हुए संतों ने मंदिर में मंगल प्रवेश किया। संतों के विहार और वैयावच्च की व्यवस्था अर्हम ग्रुप ने संभाली। भंडारी स्कूल के विद्यार्थियों ने बैंड और सलामी के साथ संतों का स्वागत किया।  

प्रवेश के बाद चिकपेट भवन में आयोजित धर्मसभा में संघ के अध्यक्ष गौतमचंद सोलंकी ने सभी संतों का स्वागत किया और कहा कि हम सभी को चातुर्मास में ज़्यादा से ज़्यादा जुड़कर ज्ञान का लाभ प्राप्त करना है।

इस आयोजन में मुनिश्री भुवनभूषण विजयजी ने कहा कि हमारे संस्कारों को और ज्यादा पल्लवित करने के लिए जैन समाज के स्कूल और कॉलेज होने चाहिए। मुनिश्री आर्यशेखरविजयजी ने कहा कि हम सभी को छोटे बच्चों को जीवन जीने की कला सिखाने के लिए उन्हें संस्कारों व शारीरिक
बल से भी सशक्त करना होगा। 

पंन्यास श्री जयभानु शेखरविजयजी ने कहा कि हम सभी का सौभाग्य है कि हमें प्रचंड वैराग्य, पवित्रता के शिखर और पुण्यशाली महात्मा संत का सान्निध्य मिल रहा है जिसका हमें लाभ उठाना चाहिए और उपधान, तपस्या, प्रतिष्ठा आदि कार्य करने चाहिए। 

आचार्यश्री अभयशेखरसूरीश्वरजी ने कहा कि जीवन परिवर्तन की ओर बढ़ने का समय है चातुर्मास। उन्होंने कहा कि प्रवचन को लिखकर, पढ़कर व मननकर अपनी जीवन में आत्मसात करना चाहिए तभी जीवन में परिवर्तन संभव है। गुरुपूजन व काम्बली अर्पण का लाभ लेने वाले वरिष्ठ सदस्य प्रकाश राठौड़ ने उपस्थित जनों ने ज्यादा से ज्यादा मासक्षमण तप करना चाहिए। 

सभा का संचालन विक्रम गुरु ने किया। संगीत की सुरावली लब्धिसूरि जैन संगीत मंडल ने बिखेरी। आदिनाथ सर्वोत्तम सेवा मंडल ने व्यवस्था संभाली। इस मौके पर चिकपेट, वीवी पुरम संभवनाथ जैन मंदिर सहित अनेक संघों के सदस्य व पदाधिकारी उपस्थित थे।

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