हम समस्या से लड़ना नहीं चाहते, उससे डरकर भागते हैं, अब समस्या दरवाज़े पर आ खड़ी हुई: पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ
पचास-साठ साल पहले सोचते तो आज नौबत नहीं आती

अब सामूहिक रूप से सामना करना सीखें
बेंगलूरु/दक्षिण भारत| ब्रह्मांड की उत्पत्ति से सनातन है और जब तक ब्रह्मांड है तब तक सनातन रहेगा| इसे मिटाया नहीं जा सकता| सनातन कोई हजार पंद्रह सौ वर्ष पहले उदित नहीं हुआ कि उसे एक दिन जाना होगा बल्कि यह लाखों करोड़ों वर्षों से है और आगे भी इसका अस्तित्व क़ायम रहेगा| जो लोग ग़लतफ़हमी में हैं वे इसके ख़त्म होने का स्वप्न संजोए हुए हैं और ऐसे नरेटिव स्थापित करने में लगे हैं ताकि सनातनी कमज़ोर हो| और सनातनी हिंदू के साथ यह समस्या है कि वह समस्या का सामना नहीं करना चाहता, लड़ना नहीं चाहता, डर कर भागता है, इसलिए अब समस्या दरवाज़े पर आकर खड़ी हो गई है| यदि 50 साल पहले ही सामना करने की हिम्मत जुटा लेता तो आज सनातन इस मुकाम पर नहीं पहुंचता जहां कदम कदम पर उसे समस्या का सामना करना पड़ रहा है| अब समय आ गया है कि हर समस्या का सामना पूरी ताक़त के साथ बेख़ौफ़ होकर सामूहिक तौर पर किया जाए तभी आने वाली पीढ़ियों के लिए भविष्य सुरक्षित होगा| यह विचार सनातन धर्म के प्रचारक, सशक्त वक्ता पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने यहां बेंगलूरु के कुछ बुद्धिजीवियों की एक गोष्ठी में व्यक्त किए| वे यहां एसआरएस कल्चरल कमेटी के आमंत्रण पर व्याख्यान देने आए थे|
-धर्म केवल सनातन है, बाकी सब मज़हबपुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा, सनातनी सबसे ज़्यादा झूठ बोलते हैं| उन्हीं के मुँह से आप सुनेंगे कि सब धर्म बराबर हैं| पहली बात तो यह है कि धर्म केवल सनातन है क्योंकि यही एक धर्म है जिसकी उत्पत्ति की कोई तारीख़ नहीं है| यह हमेशा से था और आगे भी रहेगा क्योंकि इसे नष्ट करने के प्रयास कभी सफल नहीं हुए| यह धर्म वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित है, प्राचीन ग्रंथों में इसके होने के अनेक ठोस प्रमाण मिलते हैं| कुलश्रेष्ठ ने कहा, सनातन के अलावा जिन्हें धर्म कहा जाता है वे सब मज़हब हैं| जो मज़हब कुछ हज़ार वर्ष पहले आए उनकी तुलना सनातन से करने का मतलब मूर्खता ही है| कुलश्रेष्ठ ने सेकुलर शब्द को संविधान में समाविष्ट करने के पीछे तत्कालीन सरकार की दुर्भावना को उजागर करते हुए उसके कारण कालांतर में पैदा हुई समस्याओं का विस्तार से ज़िक्र किया और तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की मंशा का भी उल्लेख किया जिसका ख़ामियाज़ा आज देश का सनातनी भुगत रहा है|
-मस्जिदों से नहीं तो मंदिरों से सरकार की वसूली जायज़ कैसे?
पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा कि जब भारत को सेकुलर राष्ट्र घोषित कर ही दिया तो फिर हिंदुओं के साथ भेदभाव क्यों? सरकार मस्जिदों से कोई धन नहीं वसूलती जबकि मंदिरों से टैक्स के रूप में पैसा वसूलती है| अभी जानकारी मिली है कि अयोध्या के राम मंदिर ने भी 400 करोड़ रुपये का टैक्स जमा किया है| बहुत सारे बड़े बड़े मंदिर सरकार के अधीन हैं जहां का चढ़ावा सरकार को मिलता है जबकि किसी अन्य मज़हबी स्थल के साथ ऐसा नहीं है| इस भेदभाव के ख़िलाफ़ सामूहिक आवाज़ उठनी चाहिए तभी सरकार तक बात पहुंचेगी| वर्षों पहले ही ऐसे मामलों का खुलकर सामूहिक विरोध हुआ होता और एक आंदोलन खड़ा होता तो किसी की हिम्मत नहीं होती कि हिंदुओं के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता|
-लड़ाई आलू-प्याज की नहीं, सिविलाइजेशन की लड़ाई लड़ें
निर्भीक होकर सनातन का अलख जगाने वाले पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा कि आज हम इतने स्वार्थी हो गए हैं कि निजी स्वार्थ पूर्ति के लिए आलू-प्याज की लड़ाई लड़ते हैं, चवन्नी छाप नेताओं को चुनकर भेज देते हैं| आज जब इतिहास लिखा जाएगा तो आने वाली पीढ़ी पढ़ेगी कि हम फ्री के चक्कर में बिक जाते थे| चवन्नी छाप नेता हमारी बोली लगाते हैं और हम बिक जाते हैं क्योंकि हम अपने निजी हित को प्राथमिकता देते हैं| अपनी प्राथमिकता को बदलें| देश बदल रहा है, हम भी बदलें| गलत होता हुआ देखें तो विरोध करें| जो विरोध करता है उसके साथ खड़े हों| सामूहिक लड़ाई लड़ना सीखें| सच बोलने और सच का साथ देने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है| कुलश्रेष्ठ ने कहा कि आस्था ठीक है लेकिन प्राथमिकता सोचसमझकर तय करें|सामूहिक शक्ति का प्रदर्शन करेंगे तो सत्ता आपके दरवाज़े पर नाक रगड़ेगी| उन्होंने कहा, जब तक ज़िंदा हो, ज़िंदा होने का सबूत दीजिए| कब तक डर डरकर जीओगे| सच बोलिए, ज़ोर से बोलिए, किसी को अच्छा लगे या न लगे| गलत को खामोशी से सुन लेना और देख लेना कायरता है|
-सब कुछ नष्ट हो जाएगा लेकिन सनातन संस्कृति अमिट रहेगी
सनातन प्रचार के पुरोधा पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने अनेक तथ्यों के साथ बताया कि सनातन का महत्व क्या है, हमारे पूर्वजों ने किस प्रकार सनातन संस्कृति को अक्षुण्ण बनाए रखने का इंतज़ाम किया था| कैसे सनातन पंचतत्वों पर टिका है, क्यों हमारे पुरखों ने पीपल की पूजा को अहमियत दी, क्यों १२ ज्योतिर्लिंगों के बीच की दूरी वैज्ञानिक दृष्टिकोण से दूरदृष्टि रखते हुए निर्धारित की गई, क्यों हमारी सभी नदियों के नाम मातृशक्ति के नाम पर रखे गए, इन सब बातों को प्रमाणिक ढंग से बताया और समझाया| उन्होंने कहा कि सब कुछ मिट जाएगा लेकिन सनातन संस्कृति अमिट रहेगी|
- शिक्षा रोज़गार दिला सकती है, ज्ञान मंदिरों में मिलेगा
कुलश्रेष्ठ ने कहा, शिक्षा रोज़गार दिला सकती है लेकिन ज्ञान नहीं| ज्ञान केवल मंदिरों में मिलता है | यह हमारी गलती है कि हमने मंदिरों को आडंबर की ओट में ढक दिया है| हमने साइंटिफिकली उसके महत्व को समझने की कोशिश ही नहीं की| अपने बच्चों को सनातन के बारे में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझाएं| उन्हें सवाल पूछने दीजिए, जवाब देने की योग्यता रखें| बच्चों को डॉंटने डपटने का वक़्त गया, उनके मित्र बनकर समझाएं| सच है उसको झूठ का लबादा न ओढ़ाएँ| साफ़ साफ़ बताएँ तो आगे चलकर तरह तरह के जिहाद की समस्या से सामना नहीं करना पड़ेगा | पुष्पेंद्र ने कहा, हमारे आदर्श किसको मानें, इस पर काम करें और बच्चों को भी हमारे सनातनी महापुरुषों, वीरों की कहानियॉं सुनाएँ, उनके बारे में बताएँ| हमें गलत इतिहास पढ़ाया गया है यह सच्चाई है लेकिन अब साहस के साथ इस झूठ से बाहर निकलने की ज़रूरत है| झूठी धारणाओं को नकारना है| मंदिर की महत्ता को समझना है| मंदिर आपकी इच्छाओं की पूर्ति या पर्यटन का स्थान नहीं है, जब यह समझ जाएँगे तो भागना बंद हो जाएगा| अपने मूल रूट की तरफ़ लौटिए, सनातन संस्कृति की शक्ति को समझिए, अपने धर्म पर गर्व कीजिए|