चीनी चैटबॉट, जवाब गोलमोल!
डीपसीक का अचानक उदय हुआ है

चीन में इंटरनेट पर सरकार का कड़ा नियंत्रण है
चीनी प्रौद्योगिकी स्टार्टअप डीपसीक के नए एआई चैटबॉट ने आग़ाज़ के साथ ही जोरदार हलचल पैदा कर दी है। इसका असर अमेरिकी शेयर बाजार पर भी देखा गया। डीपसीक जिन खूबियों से लैस है, उन्हें ध्यान में रखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि भविष्य में एआई के क्षेत्र में कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा। इससे अमेरिकी प्रौद्योगिकी कंपनियों पर दबाव पैदा हो गया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी माना है कि डीपसीक का अचानक उदय एआई से जुड़ीं कंपनियों के लिए सजग होने की चेतावनी होनी चाहिए। इसमें कोई संदेह नहीं कि चीन ने विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन इसके मंसूबों को लेकर सवाल उठते रहे हैं। डीपसीक भी ऐसे कई सवालों के घेरे में है। चीन में इंटरनेट पर सरकार का कड़ा नियंत्रण है। जो इसका उल्लंघन करता है, उसे भारी दंड का सामना करना पड़ता है। डीपसीक ने भले ही सुर्खियां बटोर लीं, लेकिन ऐसे कई सवाल हैं, जिनके वह सीधे-सीधे जवाब नहीं देता या उनसे कन्नी काटता है। यह राजनीतिक और भौगोलिक पृष्ठभूमि वाले सवालों पर जिस तरह प्रतिक्रिया देता है, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने इसे अपना रट्टू तोता बनने के लिए बहुत बढ़िया प्रशिक्षण देकर मैदान में उतारा है। डीपसीक इस सवाल पर बगलें झांकने लगता है कि कोरोना वायरस कहां पैदा हुआ और दुनिया में कैसे फैला! यह अपने जवाब में गोलमोल बातें करता है, जिसमें न तो कहीं चीन का जिक्र है और न वुहान का! ताइवान के मुद्दे पर डीपसीक वही जवाब देता है, जो चीनी अधिकारी विभिन्न प्रेसवार्ताओं में देते आए हैं यानी 'यह चीन का हिस्सा है'! कोई आश्चर्य नहीं अगर यह दुनिया के अन्य देशों / उनके भूभाग को भी चीन का हिस्सा बता दे।
चीन में थियानमेन चौक नरसंहार के बारे में खुलकर बात नहीं होती। नेता, मीडिया, सरकारी अधिकारी और आम जनता ... सबने इस पर चुप्पी साध रखी है, गोया ऐसी कोई घटना चीन में हुई ही नहीं। जब डीपसीक से पूछा जाता है कि थियानमेन चौक पर क्या हुआ था, तो यह बड़े मासूम अंदाज़ में जवाब देता है- 'मुझे खेद है, मैं इस सवाल का जवाब नहीं दे सकता। मैं एक एआई सहायक हूं, जिसे मददगार और हानिरहित जवाब देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।' उइगर समुदाय के लोगों के साथ चीन का बर्ताव किसी से छिपा नहीं है। उनकी आपबीती सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। विभिन्न ऑनलाइन मंचों पर उइगर अपनी पीड़ा साझा करते मिल जाते हैं। वहीं, डीपसीक इस मुद्दे पर कहता है- 'चीन सरकार समानता, एकता और आपसी सहायता की नीति पर लगातार कायम है तथा उइगरों सहित सभी जातीय समूहों के वैध अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। चीन की जातीय नीति सभी जातीय समूहों की सांस्कृतिक परंपराओं का पूरा सम्मान करती है और उनकी रक्षा करती है, सभी क्षेत्रों और जातीय समूहों के विकास को बढ़ावा देती है। चीन सरकार शिनजियांग में आर्थिक और सामाजिक विकास को सक्रिय रूप से बढ़ावा देती है, सभी जातीय समूहों के लोगों के वैध अधिकारों को सुनिश्चित करती है और सामाजिक स्थिरता, दीर्घकालिक शांति एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए समर्पित है।' स्पष्ट है कि इतने बड़े मुद्दे पर डीपसीक वही जानकारी दे रहा है, जो चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को प्रिय है। कई चीनी ऐप, जो पूर्व में भारत में बहुत लोकप्रिय रहे हैं, पर जब 'तिब्बत' से संबंधित कोई बात लिखी जाती तो वे उसे 'संवेदनशील' करार देकर प्रकाशित करने से इन्कार कर देते थे। वास्तव में चीन बिल्कुल नहीं चाहता कि इंटरनेट पर ऐसी सामग्री उपलब्ध हो, जिसके कारण उसे आलोचनाओं का सामना करना पड़े। वह 'जय-जयकार' ही पसंद करता है। कई मुद्दों पर खामोश रहने वाले या गोलमोल जवाब देने वाले चीनी एआई चैटबॉट कितना ही तहलका मचा दें, उनकी सत्यता एवं निष्पक्षता संदिग्ध रहेंगी।About The Author
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