संकेतों को समझें
'रंग में भंग डालना' पाक की पुरानी फ़ितरत है, लिहाज़ा भारत को सतर्क रहना होगा
उप्र-एटीएस ने जिस तरह आईएसआई के जाल का पर्दाफाश किया है, उसके लिए इसके अधिकारियों का कार्य प्रशंसनीय है
हाल में अयोध्या के आस-पास के जिलों से जिस तरह आईएसआई के एजेंट और स्लीपर सेल गिरफ्तार हुए हैं, उसके संकेतों को समझने की जरूरत है। इससे कई सवाल भी पैदा होते हैं। जब उच्चतम न्यायालय ने नवंबर 2019 में ऐतिहासिक फैसला सुनाकर अयोध्या में प्रभु श्रीराम के मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया था, तब से ही पाकिस्तान में कट्टरपंथी बौखलाए हुए हैं। उन्होंने वहां कई हिंदू मंदिरों को नुकसान भी पहुंचाया है।
पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई इसे एक सुनहरे मौके के तौर पर देख रही है। बहुत संभव है कि वह सरहद के दोनों ओर ऐसे तत्त्वों पर डोरे डाले, जिन्हें सांप्रदायिकता के नाम पर भड़काना आसान हो। यह न भूलें कि सोशल मीडिया पर आईएसआई के एजेंट कई अकाउंट बनाकर सक्रिय हैं। भारतीय खुफिया एजेंसियां उनका खुलासा कर चुकी हैं।आईएसआई इस ऑनलाइन फरेब में महिला एजेंटों का खूब इस्तेमाल कर रही है, जो खुद को भारतीय बताकर सामान्य युवकों से लेकर बड़ी उम्र के वैज्ञानिक तक को अपने मोहपाश में फंसा चुकी हैं। पिछले कुछ दिनों में उप्र-एटीएस ने जिन लोगों को आईएसआई का एजेंट और स्लीपर सेल होने के आरोप में गिरफ्तार किया, वे बेहद सामान्य पृष्ठभूमि से हैं।
उन्हें देखकर कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता कि इनके आईएसआई से संबंध रहे होंगे, लेकिन अधिकारियों को उनके खिलाफ सबूत मिले हैं। अभी श्रीराम मंदिर के निर्माण का कार्य जारी है। अगले साल जब उसका उद्घाटन होगा तो वह क्षण अद्भुत होगा। दुनियाभर के करोड़ों रामभक्त विभिन्न माध्यमों से उसके साक्षी होंगे। लेकिन हाल में जिस तरह आस-पास के जिलों से एक के बाद एक आईएसआई के एजेंट और स्लीपर सेल गिरफ्तार किए गए हैं, उससे यह भी पता चलता है कि शत्रु देश की आंखों में भारत का सद्भाव बुरी तरह खटक रहा है।
'रंग में भंग डालना' पाक की पुरानी फ़ितरत है, लिहाज़ा भारत को सतर्क रहना होगा। विशेष रूप से भारतीय खुफिया एजेंसियों को गहरी नज़र रखते हुए खूब तालमेल से काम करना होगा।
उप्र-एटीएस ने जिस तरह आईएसआई के जाल का पर्दाफाश किया है, उसके लिए इसके अधिकारियों का कार्य प्रशंसनीय है। उप्र पुलिस पूर्व में भी आईएसआई के नापाक इरादों को नाकाम कर चुकी है। उप्र पुलिस के इंटेलिजेंस मुख्यालय ने जुलाई में पाकिस्तान के इंटेलिजेंस ऑपरेटिव (पीआईओ) से संबंधित सोशल मीडिया अकाउंट्स की जानकारी साझा की थी।
यह देखकर हैरानी हुई कि उनसे भारतीय युवक बड़ी संख्या में जुड़े हुए थे और उनकी 'ख़ूबसूरती' की तारीफों के पुल बांध रहे थे। युवाओं को मालूम होना चाहिए कि हमारा पड़ोसी देश जिस तरह की चालें चल रहा है, उनमें वे (जाने-अनजाने) इस्तेमाल हो सकते हैं। आईएसआई उन नए-नए हथकंडों पर काम करती रहती है, जिससे वह भारतवासियों से संवेदनशील जानकारी निकलवा सके।
पिछले दिनों आर्मी पब्लिक स्कूलों समेत कई स्कूलों के विद्यार्थियों को फोन कॉल और वॉट्सऐप संदेश मिलने का मामला सामने आया था, जो उन्हें सोशल मीडिया पर किसी खास ग्रुप से जुड़ने और संवेदनशील जानकारी साझा करने के लिए कह रहे थे। जिन नंबरों से कॉल और संदेश मिल रहे थे, उनका संचालन करने वाले लोग खुद को स्कूल शिक्षक बता रहे थे और विद्यार्थियों से कह रहे थे कि 'क्लास के नए ग्रुप' से जुड़ जाएं। वे उन्हें ओटीपी भी भेज रहे थे।
जब कोई विद्यार्थी उस ग्रुप से जुड़ जाता तो उसे संवेदनशील जानकारी साझा करने के लिए कहा जाता। बाद में पता चला कि इनके पीछे शत्रु एजेंसियों का हाथ है। अगर कोई विद्यार्थी उन्हें अनजाने में ही अपने माता-पिता के कार्यस्थल, संपर्क सूत्र, स्कूल की दिनचर्या और समय, शिक्षकों के नाम, वर्दी आदि के बारे में जानकारी दे दे तो उसका दुरुपयोग किया जा सकता है। इसलिए सोशल मीडिया पर विशेष सावधानी बरतनी जरूरी है।
किसी भी अनजान व संदिग्ध व्यक्ति के साथ कोई जानकारी साझा न करें। इससे शत्रु एजेंसियों के मंसूबों को नाकाम करने में मदद मिलेगी। जो लोग जानबूझकर शत्रु एजेंसियों को मदद पहुंचाएंगे, देश की सुरक्षा व सद्भाव से खिलवाड़ करेंगे, वे देर-सबेर पकड़े ही जाएंगे।