विश्वविद्यालयों का भविष्य

विश्वविद्यालयों का भविष्य

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पटना विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह में शिक्षा क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि देश के बीस शीर्ष विश्वविद्यालयों को विश्वस्तरीय बनाया जाएगा और इनमंे से १० सरकारी और १० निजी क्षेत्र के होंगे। बिहार के पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिए जाने की मांग बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की थी। नीतीश के इस आग्रह के जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की। हमारे देश में अनेक विश्वविद्यालयों को केंद्रीय विश्वविद्यालयों का दर्जा मिला हुआ था लेकिन सच तो यह है कि हमारी शिक्षा प्रणाली में भी सुधार लाने की आवश्यकता है। साथ ही प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी ध्यान आकर्षित किया है कि विश्व के शीर्ष संस्थानों की सूची में भारत के किसी भी विश्वविद्यालय का नाम शुमार नहीं है। देश के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में राजनीति, कम़जोर प्रशासन और साथ ही बार-बार विचारों के टकराव की चर्चाएं आज कल आम बात हो चुकी है। ऐसे में नई शिक्षा नीति लागू करने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया है कि विश्वविद्यालयों को विश्वस्तरीय बनाने के लिए अगले पांच वर्षो में दस हजार करो़ड रुपए आवंटित किए जायेंगे और अभी इस योजना पर काफी काम होना बाकी है। सच तो यह है कि प्रधानमंत्री की घोषणा के पहले इस बात पर अनेक स्तरों पर विचार विमर्श जारी था और अभी सरकार को व्यापक रूपरेखा बनाकर विश्वविद्यालयों की स्थिति में बहुत सुधार लाने प़डेंगे। हमारे देश में अधिकांश विश्वविद्यालयों का स्तर गिरता जार हा है और वहीं दूसरी और विश्व भर में अग्रणी विश्वविद्यालयों में आधुनिक नीतियों को अपनाने की हो़ड लगी हुई है। अगर हमारे युवाओं के कुशल विकास पर ध्यान देना है तो निश्चित रूप से हमारी सरकार को मजबूत नींव रखने के लिए विश्वविद्यालयों की स्थिति सुधारनी होगी। हमारे देश के मानव संसाधन का फायदा हमारे देश को तब ही होगा जब हमारे युवा विश्व भर के अवसरों का फायदा उठाने में सक्षम होंगे। ऐसा तब ही संभव है जब हमारे विश्वविद्यालयों का पूर्ण विकास हो सकेगा। यह एक ब़डी विडंबना ही है कि हमारे देश में लाखों युवा डिग्री लेकर भी उद्योग एवं कॉर्पोरेट जगत में नौकरी पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं। निजी क्षेत्र के विश्वविद्यालयों की भी स्थिति कोई बहुत बेहतर नहीं है। जिस तरह से कोई भी व्यवसाय अब वैश्विक स्तर पर आधारित होता जा रहा है उससे यही लगता है कि प्रधानमंत्री की बात पर जितनी जल्दी अमल हो सके उतना ही बेहतर होगा। युवाओं के लिए एक बेहतर भविष्य का निर्माण के लिए उनकी पढाई में अहम् भूमिका अदा करने वाले इन विश्वविद्यालयों का कायाकल्प होना चाहिए।

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