केंचुआ खाद से धरती की सेहत बचाने में जुटीं सना खान
केंचुआ खाद से धरती की सेहत बचाने में जुटीं सना खान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके तारीफ
.. राजीव शर्मा ..
मेरठ निवासी सना खान ने जब केंचुआ खाद का कारोबार शुरू किया तो उन्हें अंदाजा नहीं रहा होगा कि एक दिन यह इतना प्रसिद्ध हो जाएगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘मन की बात’ कार्यक्रम में उनकी तारीफ करेंगे। उनके लिए यह पहल आसान नहीं थी। शुरुआत में वैसे नतीजे नहीं आए, जैसी उम्मीद की थी, लेकिन धीरे-धीरे इस कारोबार की बारीकियां समझ में आने लगीं और आज सना खान अपना परिचय गर्व से बिज़नेस वुमन के तौर पर देती हैं।सना खान की कंपनी का नाम एसजे ऑर्गेनिक्स है। वे इसके मंच से केंचुआ खाद बनाती हैं, जो अधिक उपज देती है। साथ ही धरती के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होती है। यह विचार आया कहां से? इस पर सना ने बताया कि वे बीटेक के चौथे साल की पढ़ाई कर रही थीं। उस समय उन्होंने रासायनिक खाद के दुष्प्रभाव के बारे में पढ़ा जो धरती की सेहत को नुकसान पहुंचा रही है।
उन्हें मालूम हुआ कि किस प्रकार रसायन मिट्टी में घुलकर मानव को गंभीर बीमारियां दे रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने केंचुआ खाद के बारे में जाना, जो मिट्टी के मूल तत्वों को नष्ट नहीं करती, बल्कि उसमें पोषक तत्वों को बढ़ाकर उपज में वृद्धि करती है। यह फसल मानव स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती है। यहीं से उन्होंने केंचुआ खाद के बारे में अध्ययन शुरू किया।
कैसे की शुरुआत?
सना खान ने छोटे स्तर से शुरुआत की। इसके लिए केंचुए पालने शुरू किए और स्थानीय स्तर पर मार्केटिंग की। चूंकि उनके परिवार का कृषि कार्य से संबंधित कोई अनुभव नहीं था, इसलिए यह आशंका भी थी कि अगर यह काम सफल नहीं हुआ तो क्या होगा! सना को कई लोगों ने राय दी कि वे इंजीनियरिंग करने के बाद केंचुआ पालने जैसे काम में क्यों वक्त बर्बाद कर रही हैं, बेहतर है कि किसी कंपनी में नौकरी करें।
सना खान बताती हैं कि इस काम में सबसे ज्यादा सहयोग उनके पिता की ओर से मिला। उन्होंने यह कहते हुए हौसला बढ़ाया कि अगर कोई कारोबार शुरू करने का मन है तो करना चाहिए। फिर कुछ वर्षों में उसके नतीजों के आधार पर फैसला लेना चाहिए। सना ने ऐसा ही किया। उन्होंने 23 साल की उम्र में एसजे ऑर्गेनिक्स का आगज किया। इस काम में उनके भाई जुनैद पूरा सहयोग कर रहे हैं।
केंचुआ खाद बनाने के लिए डेयरी से गोबर और गोमूत्र लाया गया। फिर खास तरह के केंचुए मंगाए गए। उनकी सहायता से खाद तैयार होने लगी। इसे प्राकृतिक कीटनाशक मिलाकर पैक किया गया। यह खाद स्थानीय किसानों, नर्सरी संचालकों ने खरीदी और फसल, पौधों पर उनके नतीजे देखे। जब इसका अच्छा असर देखने को मिला तो मांग बढ़ने लगी।
वैज्ञानिक विधियों को महत्व
चूंकि सना स्वयं विज्ञान की छात्रा रही हैं, इसलिए खाद निर्माण में वैज्ञानिक विधियों को काफी महत्व देती हैं। जिन किसानों की जमीन में पोषक तत्वों की कमी होती है, वे उन्हें मिट्टी की जांच कराने का सुझाव देती हैं। फिर रिपोर्ट के आधार पर खाद बनाकर देती हैं ताकि उन तत्वों की कमी दूर की जा सके जिनकी जरूरत है।
सना खान के मुताबिक, जब उन्होंने काम की शुरुआत की थी, तो आसपास के लोग उनकी बातों को खास अहमियत नहीं देते थे। सना स्थानीय किसानों को समझाती थीं कि रासायनिक खाद धीरे-धीरे आपके खेतों की उर्वरता को कम कर उन्हें विषैला बना रही है। इससे भविष्य में बहुत नुकसान है। जबकि वे समझते थे कि गोबर, केंचुआ वगैरह से कुछ नहीं होने वाला, जैसे काम चल रहा है, उसी तरह चलने दें।
जब मोदी ने किया उल्लेख
फिर साल 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम की 41वीं कड़ी में सना खान का उल्लेख किया, उनकी पहल को सराहा तो देशभर का ध्यान उनके प्रयासों की ओर गया। अब लोग सना की बातों को ध्यान से सुनने लगे और केंचुआ खाद के फायदे जानने में दिलचस्पी लेने लगे।
इससे सना खान के पास खाद की ज्यादा मांग आने लगी। ऐसे में उनके लिए जरूरी था कि कुछ लोगों को नियुक्त किया जाए। अब सना की कंपनी में ढाई दर्जन से ज्यादा कर्मचारी हैं। सना अपने कारोबार का विस्तार कर रही हैं। वे कहती हैं, ‘मैं न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरे भारत में केंचुआ खाद के जरिए खेती को लोकप्रिय बनाने के लिए प्रयासरत हूं। मेरी यह पहल इस बात को प्रमाणित करती है कि महिलाएं भी व्यवसाय कर सकती हैं और सफल होकर देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में योगदान दे सकती हैं।’