नरेश अग्रवाल की टिप्पणी पर रास में हंगामा
नरेश अग्रवाल की टिप्पणी पर रास में हंगामा
नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी के नरेश अग्रवाल की एक आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर बुधवार को राज्यसभा में भारी हंगामा हुआ जिसके कारण सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी प़डी और बाद में उन्हें इस पर खेद व्यक्त करना प़डा। अग्रवाल की टिप्पणी पर सत्तापक्ष ने क़डी आपत्ति जताई और उनसे माफी मांगने की मांग की। अग्रवाल ने माफी तो नहीं मांगी लेकिन अंतत: खेद व्यक्त किया और इसके बाद ही सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चल पाई। उप सभापति पीजे कुरियन ने इस टिप्पणी को निंदनीय बताते हुए सदन की कार्यवाही से हटा दिया। उन्होंने निर्देश दिया कि न केवल प्रिंट बल्कि इलेक्ट्रोनिक मीडिया भी इस टिप्पणी प्रकाशित प्रसारित नहीं करे। उन्होंने सदन में मौजूद मंत्री रविशंकर प्रसाद को विशेष तौर पर निर्देश दिया कि यह टिप्पणी सोशल मीडिया में भी नहीं आए। इस पर प्रसाद ने कहा कि यह संबंधित अधिकारियों को दिशा निर्देश देंगे। ’’भी़ड द्वारा पीट पीट कर हत्या किए जाने की घटनाओं पर’’ सदन में अल्पकालिक चर्चा के दौरान अग्रवाल ने रामजन्म भूमि आंदोलन का जिक्र करते हुए एक कविता प़ढी। इसका सत्ता पक्ष के सदस्यों ने जबरदस्त विरोध किया और कुरियन से इसे सदन की कार्यवाही से निकालने की मांग करते हुए अग्रवाल से माफी मांगने को कहा। कुरियन ने कहा कि वह इस मामले का देखेंगे और अगर आपत्तिजनक हुआ तो इसे सदन की कार्यवाही से निकाल देंगे। इसपर सदन के नेता अरुण जेटली ने कहा कि सपा सदस्य ने देवी देवताओं के बारे में आपत्ति जनक और बहुसंख्यकों की भावनाओं को आहत करने वाला बयान दिया है। संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने कहा कि अग्रवाल ने बहुसंख्यक समुदाय का अपमान किया है। यह गंभीर मामला है। उन्हें इसके लिए क्षमा याचना करनी चाहिए। इस पर उप सभापति ने कहा कि यह मामले को देखेंगे और आपत्तिजनक होने से कार्यवाही से निकाल देंगे। इसके बाद कुरियन ने कार्यवाही दस मिनट के लिए स्थगित कर दी। स्थगन के बाद कार्यवाही शुरू होने पर कुरियन ने कहा कि यह गंभीर और आपत्तिजनक टिप्पणी है। इसे सदन की कार्यवाही से निकाला जाता है। उन्होंने कहा कि यह टिप्पणी निंदनीय हैं। उन्होंने अग्रवाल से खेद प्रकट करने और अपने शब्द वापस लेने को कहा। इस पर अग्रवाल ने कहा कि वह अपने शब्द वापस लेते हैं लेकिन उन्होंने माफी मांगने से इन्कार कर दिया।राज्यसभा के उप सभापति पीजे कुरियन ने बुधवार को कहा कि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की नेता मायावती द्वारा इस्तीफा दिए जाने से सदन में कोई भी खुश नहीं है और वह उनसे इस्तीफा वापस लेने की अपील करते हैं। बसपा के सतीश चन्द्र मिश्रा ने देश में अल्पसंख्यकों और दलितों की पीट-पीट कर हत्या के मुद्दे पर सदन में चल रही चर्चा में हिस्सा लेते हुए सुश्री मायावती को इस मुद्दे पर न बोलने देने का मामला उठाया और कहा कि इसके चलते उन्होंने सदन की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। कुरियन ने कहा कि सुश्री मायावती वरिष्ठ नेता हैं और वह उनका सम्मान करते हैं। उनके इस्तीफा देने से सदन में कोई भी खुश नहीं है और सदन का यह मानना है कि वह अपने निर्णय पर फिर से विचार करें और इस्तीफा वापस ले लें। विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने भी कहा कि बसपा नेता को अपना इस्तीफा वापस ले लेना चाहिए। हालांकि उप सभापति द्वारा सत्ता पक्ष की राय पूछे जाने पर संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि यह बसपा का आंतरिक मामला है।