उद्धव ठाकरे की तानाशाही के कारण 25 विधायक बगावत को तैयार?

उद्धव ठाकरे की तानाशाही के कारण 25 विधायक बगावत को तैयार?

  • उद्धव पर उल्टा पड़ सकता है दांव

मुंबई। महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गठबंधन में शामिल शिवसेना द्वारा समय-समय पर राज्य और केन्द्र की सत्तारुढ भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ बयानबाजी की जाती रही है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे बार-बार राज्य की देवेन्द्र फड़णवीस के नेतृत्व वाली सरकार को इस बात की धमकी भी देते रहे हैं कि शिवसेना भाजपा गठबंधन से अलग हो जाएगी। बीतते समय के साथ महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना के बीच कड़वाहट काफी हद तक बढ गई है और अब ऐसा लग रहा है कि दोनों पार्टियां अलग हो सकती हैं। हालांकि इस बार ऐसा लग रहा है कि उद्धव का दांव उन पर ही उलटा पड़ने वाला है। यदि उद्धव ठाकरे भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ने का निर्णय लेते हैं तो इस बात की काफी संभावना है कि विधानसभा में मौजूद उनकी पार्टी के कुल विधायकों में से लगभग एक तिहाई से अधिक विधायक उनके खिलाफ ही बगावत का झंडा बुलंद कर सकते हैं।

सामने आया शिवसेना का आपसी मनमुटाव

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अपने आप को राज्य की राजनीति में मजबूत समझने वाली शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे की तानाशाही से ही उनकी अपनी ही पार्टी के लगभग 25 विधायकों के नाराज होने के बात कही जा रही है। उद्धव ठाकरे न सिर्फ राज्य सरकार और केन्द्र सरकार के खिलाफ आक्रामक हमले करते रहे हैं बल्कि अपनी पार्टी के विधायकों के प्रति भी उनका रवैया तानाशाही पूर्ण रहा है। शिवसेना प्रमुख और उनके विधायकों का यह आपसी मनमुटाव हाल ही में उस समय सामने आया जब उद्धव ठाकरे ने “मातोश्री’ में अपने विधायकों की बैठक बुलाई। इस बैठक में शिवसेना के लगभग 25 विधायक उपस्थित नहीं हुए। यह बैठक कथित तौर पर भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ने के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए बुलाई गई थी।

फड़णवीस मध्यावधि चुनाव के लिए हैं तैयार

शिवसेना के पास राज्य विधानसभा में अभी 63 सीटें हैं। इन 63 विधायकों के साथ उद्धव ठाकरे जब -तब राज्य के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस और उनके निर्णयों पर प्रश्न उठाते रहते हैं। गठबंधन में शामिल होने के बावजूद उद्धव द्वारा राज्य सरकार और केन्द्र सरकार के प्रति आक्रामक रवैया रखने के कारण मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस भी आजिज हो चुके हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि यदि उद्धव की ओर से गठबंधन तोड़ने की घोषणा की जाती है तो फड़णवीस मध्यावधि चुनाव कराने के लिए भी तैयार हैं। फड़णवीस के मध्यावधि चुनाव के लिए तैयार होने का मुख्य कारण यह है कि यदि मौजूदा समय में महाराष्ट्र में चुनाव होता है तो भाजपा पहले की तुलना में और अधिक मजबूती से उभरेगी।

विधायकों के पाला बदलने पर कुछ नहीं कर पाएगी शिवसेना

शिवसेना के विधायकों को भी इस बात का एहसास है कि यदि मौजूदा समय में भाजपा और शिवसेना गठबंधन टूटता है तो इसका ज्यादा नुकसान शिवसेना को ही हो सकता है। यही कारण है कि इसके 25 विधायक यह नहीं चाहते कि यह गठबंधन टूटे। इस प्रकार की स्थिति पैदा होती है तो शिवसेना के 25 विधायक अपना पाला बदलकर भाजपा की ओर आ सकते हैं। इन विधायकों के पाला बदलने के बाद शिवसेना प्रमुख हाथ मलने के अलावा और कुछ भी नहीं कर सकेंगे क्योंकि एक साथ 25 विधायकों के पाला बदलने पर उनके खिलाफ दल- बदलू कानून के तहत भी कार्रवाई नहीं की जा सकेगी।

फड़णवीस आसानी से बना लेंगे पूर्ण बहुमत की सरकार

ज्ञातव्य है कि वर्ष 2014 में महाराष्ट्र में हुए पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भी शिवसेना इस मुगालते में थी कि उसे राज्य विधानसभा की अधिकाधिक सीटों पर जीत हासिल होगी और वह निर्णायक भूमिका में रहेगी लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। शिवसेना को महाराष्ट्र विधानसभा की कुल 288 सीटों में सिर्फ 63 सीटों पर ही जीत हासिल हुई। महाराष्ट्र की 42 सीटें कांग्रेस के पास और 41 सीटें शरद पवार की अध्यक्षता वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कब्जे में गई थी। मौजूदा समय में भाजपा के पास महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में 122 विधायक हैं। सरकार बनाने के लिए किसी दल या गठबंधन के पास 145 का जादुई आंकड़ा होना अनिवार्य है। यानी की शिवसेना के साथ गठबंधन टूटने के बाद सरकार बनाने की दावेदारी पेश करने के लिए महाराष्ट्र भाजपा को मात्र 23 और विधायकों के समर्थन की जरुरत होगी। शिवसेना के 25 विधायक यदि अपनी पार्टी से बगावत करते हैं तो फड़णविस के लिए महाराष्ट्र में पूर्ण बहुमत वाली भाजपा सरकार बनाने में कोई दिक्कत नहीं होगी और उद्धव जिस चाल से सरकार को शह देने की कोशिश कर रहे हैं उससे उन्हें ही मात मिल सकती है।

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