जिस फेसबुक पोस्ट के अनुवाद पर मचा हंगामा, उसके बारे में क्या बोले सिद्दरामय्या?
पोस्ट कन्नड़ में लिखी गई थी

Photo: Siddaramaiah.Official FB Page
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरामय्या ने अपनी फेसबुक पोस्ट के अंग्रेजी अनुवाद पर मचे हंगामे के बाद इस संबंध में एक और पोस्ट की है। उन्होंने कहा, 'मैंने 15 जुलाई को स्व. बी सरोजा देवी को श्रद्धांजलि अर्पित की थी। यह गहरे व्यक्तिगत और सार्वजनिक दुःख का क्षण था। इस बारे में मुख्यमंत्री के आधिकारिक फेसबुक पेज से कन्नड़ में एक पोस्ट साझा की गई थी।'
सिद्दरामय्या ने कहा, 'दुर्भाग्य से, कुछ लोगों को अपने फ़ेसबुक फ़ीड पर डिफ़ॉल्ट रूप से उस पोस्ट का गलत अंग्रेज़ी अनुवाद दिखाई दिया। पोस्ट केवल कन्नड़ में लिखी गई थी। कोई अंग्रेज़ी संस्करण पोस्ट नहीं किया गया था और हमारी ओर से कोई स्वचालित अनुवाद नहीं जोड़ा गया था या अनुरोध नहीं किया गया था।'सिद्दरामय्या ने कहा, 'फेसबुक की अनुवाद सुविधा यूजर्स की सेटिंग्स के आधार पर उनके फ़ीड पर दिखाई देती है और सामग्री निर्माताओं के पास व्यूअर्स फ़ीड पर स्वचालित अनुवाद सुविधा को अक्षम या नियंत्रित करने का कोई तरीका नहीं होता है।'
सिद्दरामय्या ने कहा, 'कई मामलों में, फ़ेसबुक डिफ़ॉल्ट रूप से यूजर फ़ीड में पोस्ट के स्वतः अनूदित संस्करण दिखाता है। मूल कन्नड़ पोस्ट अपरिवर्तित रहती है और इसे 'सी ओरिजिनल' विकल्प चुनकर देखा जा सकता है।'
सिद्दरामय्या ने कहा, 'इसके बाद, मेरे मीडिया सलाहकार केवी प्रभाकर ने मेटा को पत्र लिखा। उन्होंने इस गड़बड़ी को स्वीकार किया, माफ़ी मांगी और समस्या को ठीक करने का दावा किया। मेटा/फेसबुक को पहले भी स्वचालित अनुवाद त्रुटियों के लिए वैश्विक स्तर पर इसी तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा है, जिसमें म्यांमार (2018), फिलिस्तीन (2017) और हाल ही में मलेशिया (2024) शामिल हैं, जहां खराब अनुवाद के कारण गंभीर गलतफहमी और सार्वजनिक प्रतिक्रिया हुई।'
सिद्दरामय्या ने कहा, 'फेसबुक लगभग दो दशकों से कार्यरत है और भारत में इसका यूजर बेस बहुत बड़ा है, जिसमें बड़ी संख्या में कन्नड़ भाषी यूजर भी शामिल हैं। इसके बावजूद, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक सुदृढ़ और विश्वसनीय अनुवाद प्रणाली अभी तक स्थापित नहीं की गई है। हमें उम्मीद है कि इस चिंता को गंभीरता से लिया जाएगा।'
सिद्दरामय्या ने कहा, 'मैं सभी से अनुरोध करता हूं कि ऐसी किसी त्रुटि के आधार पर भ्रम या गलत सूचना न फैलाएं जो हमारी ओर से नहीं आई है। अब समय आ गया है कि मेटा बेहतर और ज़्यादा ज़िम्मेदार अनुवाद प्रणालियां लागू करे।'
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