अब भारत के दुश्मनों के लिए दुनिया में कोई जगह सुरक्षित नहीं है: मोदी

प्रधानमंत्री ने गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर में आदि तिरुवथिराई महोत्सव में भाग लिया

अब भारत के दुश्मनों के लिए दुनिया में कोई जगह सुरक्षित नहीं है: मोदी

Photo: @NarendraModi YouTube Channel

गंगईकोंडा चोलपुरम/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को तमिलनाडु के गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर में आदि तिरुवथिराई महोत्सव में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मैं तो काशी का सांसद हूं और जब मैं 'ऊं नमः शिवाय' सुनता हूं तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं। शिव दर्शन की अद्भुत ऊर्जा, श्री इलैयाराजा का संगीत और मंत्रोच्चार, यह आध्यात्मिक अनुभव मन को भाव-विभोर कर देता है।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि इस ऐतिहासिक मंदिर में, मैंने देशभर के 140 करोड़ लोगों की खुशहाली और देश की निरंतर प्रगति के लिए प्रार्थना की। भगवान शिव सभी पर अपनी कृपा बनाए रखें ... हर हर महादेव!

प्रधानमंत्री ने कहा कि चोल राजाओं ने अपने राजनयिक और व्यापारिक संबंधों का विस्तार श्रीलंका, मालदीव और दक्षिण-पूर्व एशिया तक किया था। यह भी एक संयोग है कि मैं कल ही मालदीव से लौटा हूं और आज तमिलनाडु में इस कार्यक्रम का हिस्सा बना हूं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि चोल साम्राज्य का इतिहास और उसकी विरासत, भारत की वास्तविक सामर्थ्य का प्रतीक है। यह उस भारत के सपने की प्रेरणा है, जिसे लेकर आज हम विकसित भारत के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रहे हैं। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि चोल राजाओं ने भारत को सांस्कृतिक एकता में पिरोया था। आज हमारी सरकार, चोला युग के उन्हीं विचारों को आगे बढ़ा रही है। काशी-तमिल संगमम् और सौराष्ट्र-तमिल संगमम् जैसे आयोजनों के माध्यम से हम एकता के सदियों पुराने सूत्रों को और अधिक मजबूत कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि चोल युग में भारत ने जिस आर्थिक और सामरिक उन्नति का शिखर छूआ है, वह आज भी हमारी प्रेरणा है। राजराजा चोल ने एक पावरफुल नेवी बनाई। राजेंद्र चोल ने इसे और सुदृढ़ किया था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब देश की नई संसद का लोकार्पण हुआ, तो हमारे शिव आदीनम के संतों ने उस ऐतिहासिक आयोजन का आध्यात्मिक नेतृत्व किया था। तमिल संस्कृति से जुड़े 'सेंगोल' को संसद में स्थापित किया गया। मैं आज भी उस पल को याद करता हूं तो गौरव से भर जाता हूं। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का भारत अपनी सुरक्षा को सर्वोपरि मानता है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुनिया ने देखा कि अगर कोई भारत की सुरक्षा और संप्रभुता पर हमला करता है, तो भारत उसे उसी की भाषा में जवाब देना जानता है। इस ऑपरेशन ने साफ कर दिया है कि अब भारत के दुश्मनों और आतंकवादियों के लिए दुनिया में कोई जगह सुरक्षित नहीं है।

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