मर्यादा का घटता स्तर
शिक्षक होकर ऐसा अनैतिक आचरण करने वाले लोग किसी नरमी के हकदार नहीं हैं

सजा देकर उन लोगों को भी सख्त संदेश देना चाहिए, जो ऐसी गतिविधियों में लिप्त हैं
हाल के वर्षों में सोशल मीडिया में कई लोगों के अनैतिक आचरण से संबंधित सामग्री का वायरल होना समाज में मर्यादा के घटते स्तर को दर्शाता है। एक मशहूर कंपनी के सीईओ और एचआर हैड के वीडियो ने तो दुनियाभर में लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। ऐसी घटनाएं उस समय गंभीर चिंता का विषय बन जाती हैं, जब कुछ 'शिक्षक' भी उनमें लिप्त पाए जाते हैं। ये लोग उन सभी शिक्षकों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाते हैं, जो अपने पेशे के प्रति ईमानदार हैं और विद्यार्थियों को नैतिक मूल्यों के साथ शिक्षा देते हैं। राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के बेगूं थाना क्षेत्र में एक सरकारी स्कूल के शिक्षक का मामला तो गंभीर सवाल खड़े करता है, जिस पर दो दर्जन विद्यार्थियों के यौन शोषण का आरोप लगा है। वह न केवल बच्चों का शोषण करता था, बल्कि उनके वीडियो भी बनाता था। उक्त घटना से लोगों का आक्रोशित होना स्वाभाविक है। मामले में राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर की कार्रवाई न्यायसंगत है, जिन्होंने इस शिक्षक को सरकारी सेवा से बर्ख़ास्त करने के आदेश जारी कर दिए। वहीं, स्कूल के बच्चों ने जिस तरह हिम्मत दिखाई, वह सराहनीय है। उन्होंने न केवल शिक्षक के खिलाफ सबूत जुटाने के लिए उसके फोन से वीडियो ले लिए, बल्कि उच्चाधिकारियों से शिकायत भी की। अगर वे ऐसा न करते तो शोषण का सिलसिला चलता रहता। अब इस बात का पता लगाना चाहिए कि यह शख्स कितने वर्षों से ऐसी अनैतिक गतिविधियां कर रहा था और उसने अब तक कितने बच्चों को निशाना बनाया?
यह आरोप इस मामले की गंभीरता को बढ़ाता है कि उक्त 'शिक्षक' की हरकतों के कारण कई बच्चों ने स्कूल ही छोड़ दिया था। अगर जांच का दायरा बढ़ेगा तो पीड़ित बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। इससे पहले, ऐसे भी मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें कोई शिक्षक अपनी छात्रा को फोन पर आपत्तिजनक मैसेज भेजता पाया गया, किसी ने होमवर्क और पढ़ाई के नाम पर गलत हरकत की। इस साल जनवरी में चित्तौड़गढ़ जिले में ही एक स्कूल के प्रधानाध्यापक और शिक्षिका का घोर आपत्तिजनक वीडियो वायरल हुआ था। ज्ञान के मंदिरों में ऐसी अशोभनीय हरकतों पर रोक लगाने के लिए जरूरी है कि दोषी शिक्षकों को बर्खास्त कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही, सभी स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे लगाने चाहिएं। बच्चों को 'गुड टच, बैड टच' के बारे में समझाना होगा। प्राय: ऐसे मामले इसलिए दब जाते हैं, क्योंकि पीड़ित बच्चे भयभीत रहते हैं और वे किसी को कुछ नहीं बताते। उन्हें आशंका होती है कि कोई उनकी बात पर विश्वास नहीं करेगा और आरोपी शिक्षक उनकी पिटाई करेगा या परीक्षा में फेल कर देगा। बच्चों को अपनी बदनामी का भी डर रहता है। वे बार-बार सोचते हैं कि अगर इस घटना के बारे में सबको पता चल जाएगा तो लोग क्या कहेंगे? ऐसी स्थिति में बच्चों का हौसला बढ़ाना चाहिए। उन्हें ऐसा माहौल देना चाहिए, जिसमें वे अपनी तकलीफ खुलकर बयान कर सकें। जब बच्चा ऐसी बात बताए तो उसे डराना, धमकाना और खामोश रहने की नसीहत देना बिल्कुल गलत है। उसकी क्या गलती है कि उसे डरना और खामोश रहना चाहिए? ऐसे मामलों में चुप्पी साधने से संबंधित व्यक्ति का दुस्साहस और ज्यादा बढ़ता है। वह अन्य बच्चों को निशाना बना सकता है। शिक्षक होकर ऐसा अनैतिक आचरण करने वाले लोग किसी नरमी के हकदार नहीं हैं। उन्हें सजा देकर उन लोगों को भी सख्त संदेश देना चाहिए, जो ऐसी गतिविधियों में लिप्त हैं।About The Author
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