डिजिटल डकैती: कब लगेगी लगाम?

डिजिटल ठग बेलगाम होते जा रहे हैं

डिजिटल डकैती: कब लगेगी लगाम?

साइबर अपराधियों की पौ-बारह हो रही है!

केंद्र सरकार ने वर्ष 2024 में साइबर अपराध के कारण देशवासियों को हुए वित्तीय नुकसान का जो आंकड़ा जारी किया, उससे पता चलता है कि डिजिटल ठग बेलगाम होते जा रहे हैं। उन्हें कानून का कोई डर नहीं है। वे लोगों की मेहनत की कमाई पर डाका डाल रहे हैं। उनका दुस्साहस कितना बढ़ गया, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लोगों को 22,845.73 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ा है! यह आंकड़ा इससे पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 206 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। इस राशि से विकास संबंधी कितने ही प्रोजेक्ट पूरे किए जा सकते थे, लेकिन साइबर ठग इसे डकार गए। ठगों द्वारा लूटी गई राशि का 7,465.18 करोड़ रुपए से छलांग लगाकर 22,845.73 करोड़ रुपए के आंकड़े तक पहुंच जाना अत्यंत चिंता का विषय है। हमारे देश में उच्च स्तर की जांच एजेंसियां हैं। सरकार के पास कुशल तकनीकी विशेषज्ञ हैं। इसके बावजूद साइबर अपराधियों की पौ-बारह हो रही है! आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2024 में साइबर अपराधियों द्वारा की गईं वित्तीय धोखाधड़ी की 36,37,288 घटनाएं एनसीआरपी और सीएफसीएफआरएमएस पर दर्ज की गई थीं। इससे पिछले वर्ष ऐसी 24,42,978 घटनाएं हुई थीं। ये वो आंकड़े हैं, जो दर्ज हुए हैं। कई लोगों को शिकायत दर्ज कराने के बारे में जानकारी नहीं होती या ठगी की राशि छोटी होती है तो वे शिकायत दर्ज नहीं कराते। ऐसे में असल आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा हो सकता है। हाल में दूरसंचार सेवाएं देने वाली कुछ कंपनियों ने ठगी संबंधी कॉल्स को प्रतिबंधित करने में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। अगर इस तकनीक पर पहले काम किया गया होता तो लोगों की कमाई ज्यादा सुरक्षित होती।

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सवाल है- साइबर ठगी की घटनाओं पर लगाम कैसे लगाई जाए? इसके लिए कई स्तर पर कार्रवाई करनी होगी। साइबर ठगी संबंधी शिकायत दर्ज कराने के लिए राष्ट्रीय हेल्प लाइन अच्छा काम कर रही है। इसे और मजबूत बनाने की जरूरत है, ताकि लोगों को शिकायत दर्ज कराने में ज्यादा समय न लगे। वहीं, दूरसंचार सेवाएं देने वाली कंपनियों को उन कॉल और सिम कार्ड को प्रतिबंधित करने में तेजी लानी चाहिए, जिनका संबंध साइबर ठगी से हो। पुलिस और जांच एजेंसियों को बेहतर समन्वय के साथ काम करते हुए साइबर अपराधियों को गिरफ्तार करना चाहिए। उनका पर्दाफाश करना चाहिए। साथ ही, उन्हें निश्चित अवधि में कठोर दंड मिलना चाहिए। हाल में उत्तर प्रदेश में एक साइबर ठग को 14 महीने के अंदर सजा मिलने का मामला चर्चा में रहा था। वह लोगों को डिजिटल अरेस्ट कर उनके बैंक खाते खाली कर देता था। उसने एक महिला डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट कर उससे 85 लाख रुपए हड़पे थे। उस ठग को सात वर्ष की सजा हुई है। अगर साइबर अपराधियों की जल्द गिरफ्तारी सुनिश्चित कर उन्हें इस तरह सजा मिलने लगे तो वे जरूर हतोत्साहित होंगे। लोगों को भी जागरूक होना चाहिए। पिछले डेढ़ दशक में साइबर अपराधियों ने नए-नए तरीके ढूंढ़कर लोगों को ठगा था। कभी लॉटरी लगने, केबीसी में इनाम जीतने, लकी नंबर खुलने का झांसा देकर खूब लूटा गया था। उसके बाद मोबाइल टावर, किसी खास योजना का लाभ, सस्ता लोन, डिजिटल दोस्ती, सोने के बिस्किट के नाम पर चूना लगाया गया। आश्चर्य की बात है कि सरकार द्वारा सावधान किए जाने के बावजूद रोजाना ही कई लोग साइबर ठगों के जाल में फंस रहे हैं। भविष्य में ठग कोई और तरीका ढूंढ़ेंगे। इससे बचने के लिए जनता को खबरें पढ़ने की आदत डालनी होगी। जो लोग समसामयिक घटनाओं से अवगत होंगे, वे साइबर ठगी की घटनाओं से ज्यादा सुरक्षित होंगे।

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