जिन शासन के एक वीर सेनानी थे आचार्यश्री आनंद ऋषि: साध्वीश्री इंदुप्रभा

प्रभु की वाणी हम में जोश और उमंग भरती है

जिन शासन के एक वीर सेनानी थे आचार्यश्री आनंद ऋषि: साध्वीश्री इंदुप्रभा

अनंत ज्ञान, दर्शन, सुख और बल की धनी हमारी आत्मा है

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। स्थानीय श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन श्रावक संघ, अलसूर के तत्वावधान में महावीर भवन में आयोजित आचार्यश्री आनंदऋषिजी की जयंती के मौके पर आयोजित गुणानुवाद सभा को संबोधित करते हुए साध्वी इंदुप्रभा जी ने कहा कि आचार्य आनंद ऋषि जी जिन शासन के एक वीर सेनानी थे, जिन्होंने बाल्यकाल में संयम स्वीकार कर जैन आगम और अनेक दर्शनों का गहन अध्ययन और शोध कर हमें ज्ञान का अमृत दिया।

Dakshin Bharat at Google News
उन्होंने कहा कि प्रभु की वाणी हम में जोश और उमंग भरती है। प्रत्येक आत्मा में परमात्मा बनने की क्षमता और शक्ति होती है। मात्र कर्मों की दीवार ही हमें सिद्ध बनने से रोकती है।

प्रवचन के प्रारंभ में साध्वी श्री वृद्धिप्रभा जी ने कहा कि अनंत ज्ञान, दर्शन, सुख और बल की धनी हमारी आत्मा है। प्रभु की वाणी से साक्षात्कार कर सोए हुए शौर्य को जगाना है। हम स्वयं को हीन नहीं मानें। स्वयं को हीन मानना स्वयं का अपमान है। हम पुरुषार्थ करें और कर्म आवरण को हटाएं। निराशा और नकारात्मक सोच ही हमारी बाधक है। प्रभु का शासन पाकर निराशा में जीना गलत है। 

प्रवचन सभा में तमिलनाडु जयमल जैन श्रावक संघ के अध्यक्ष पारसमल गादिया भी उपस्थित थे। अलसूर संघ के मंत्री अभय कुमार बांठिया ने सभा का संचालन करते हुए आचार्य आनंद ऋषि जी के जीवन का गुणानुवाद किया। अध्यक्ष धनपत राज बोहरा ने तपस्वियों का सम्मान किया। साध्वी श्री शशिप्रभा जी ने मंगलपाठ दिया।

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download