संवाद करने से ज्ञान बढ़ता है: संतश्री ज्ञानमुनि

'थोकड़े होते बहुत छोटे हैं परंतु उनमें ज्ञान का रस बहुत ही ज्यादा होता है'

संवाद करने से ज्ञान बढ़ता है: संतश्री ज्ञानमुनि

'दुख में मित्रों के साथ आगे रहना चाहिए और सुख में सबसे पीछे रहना चाहिए'

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। शहर के सुमतिनाथ जैन संघ यलहंका में विराजित आचार्यश्री हस्तीमलजी के शिष्य श्री ज्ञानमुनिजी ने कहा कि प्रभु महावीर की वाणी को आगम के रूप में लिखा गया था और हमारे गुरु भगवंतों ने थोकड़ों (सार) के रूप में उनका निचोड़ हमें दिया है। इन थोकड़ों को समयकत्व के सड़सठ बोल कहते हैं। 

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ये थोकड़े होते बहुत छोटे हैं परंतु उनमें ज्ञान का रस बहुत ही ज्यादा होता है। बड़े-बुजुर्ग कह गए हैं कि अगर कोई ज्ञानी मिले तो उनसे चर्चा करें, संवाद करें, विवाद नहीं। संवाद करने से ज्ञान बढ़ता है, लेकिन विवाद करने से सिर्फ अपवाद होता है।

मुनिश्री ने कहा कि प्रभु महावीर ने बताया है कि जो पाप करता है, हिंसा कृत्य करता है, उसे सोते रहना चाहिए और जो धर्म, दान, पुण्य में अग्रसर है, उसे जागते रहना चाहिए। दुख में मित्रों के साथ आगे रहना चाहिए और सुख में सबसे पीछे रहना चाहिए। 

गुरुवार को मनोज कुमार बोहरा ने 7 उपवास के पच्चखान ग्रहण किया। सभा में अध्यक्ष प्रकाशचंद कोठारी ने सभी का स्वागत किया। महामंत्री मनोहरलाल लुकड़ ने सभा का संचालन करते हुए बताया कि आगामी रविवार को आचार्य हस्तीमलजी, आचार्यश्री शोभाचंदजी की पुण्यतिथि और श्रमण संघ के द्वितीय पट्टधर आचार्यश्री आनंदऋषिजी की जयंती मनाई जाएगी।

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